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इस बार प्यार के धागे में होगी स्थानीय शिल्प और मिट्टी की महक, राज्य के कला की मिलेगी झलक

इस बार ऐसी राखियां बाजार में आई हैं जो विभिन्‍न राज्‍यों के स्‍थानीय शिल्‍प और वहां की मिट्टी की महक को लपेटे हुए हैं।

By Prateek KumarEdited By: Published: Mon, 27 Jul 2020 08:56 PM (IST)Updated: Mon, 27 Jul 2020 08:56 PM (IST)
इस बार प्यार के धागे में होगी स्थानीय शिल्प और मिट्टी की महक, राज्य के कला की मिलेगी झलक
इस बार प्यार के धागे में होगी स्थानीय शिल्प और मिट्टी की महक, राज्य के कला की मिलेगी झलक

नई दिल्‍ली [नेमिष हेमंत]। ऐसा पहले नहीं था कि राखी खरीदते समय बहनें पूछे कि यह राखी चीन में तो बनी नहीं है। या इसमें चीनी उत्‍पादों का इस्‍तेमाल तो नहीं हुआ है। इस तरह के सवालों से इस बार सदर बाजार समेत अन्‍य स्‍थानों के राखी दुकानदारों को जूझना पड़ रहा है। दूसरा पहलू यह कि इस बार ऐसी राखियां बाजार में आई हैं जो विभिन्‍न राज्‍यों के स्‍थानीय शिल्‍प और वहां की मिट्टी की महक को लपेटे हुए हैं।

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बिहार की मैथिली पेंटिंग से सजी राखियां

इनमें बिहार की मैथिली व मधुबनी पेंटिंग की राखियां, महाराष्ट्र में बीज की राखियां, राजस्‍थान की मोती की राखी, मध्‍य प्रदेश की उन की राखियां व कानपुर में मिट्टी से बनी व असम में चाय की पत्‍ती से तैयार राखी भी है। इसके अलावा दिल्‍ली में बनी मोदी व अक्‍साई चीन हमारा है का संदेश देती राखियां अलग ही लुभा रही हैं। इन राखियां की कीमत 10 रुपये से लेकर 50 रुपये तक है।

चीन के खिलाफ लोगों में गुस्‍सा

कोरोना देने के साथ ही देश की सरहद पर चालबाजी करने वाले चीन के खिलाफ इस समय लोग में बेहद गुस्‍सा है। यह भाई-बहनों के पवित्र त्‍योहार रक्षाबंधन पर खुले रूप से देखा जा रहा है। ऐसा नहीं है कि इस आक्रोश महज खरीदारों में ही, बल्‍कि दुकानदार भी इस बार खासे सचेत हैं। यहीं नहीं, वे स्‍थानीय शिल्‍प को बढ़ावा देने के लिए आगे आए हैं। वे न सिर्फ स्‍थानीय उत्‍कृष्‍ट शिल्‍प को बढ़ावा दे रहे हैं। बल्‍कि बाजार भी दे रहे हैं।

शहर के बाजारों में लगेगा स्‍टॉल

ऐसे ही एक प्रयास के तहत कारोबारी संगठन कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) द्वारा 29 जुलाई को दिल्‍ली के मालवीय नगर समेत देश के विभिन्‍न राज्‍यों के प्रमुख शहरों के बाजारों में स्‍टॉल लगाने की तैयारी है। 

मालवीय नगर में मिलेंगी 10 राज्‍यों की राखियां

मालवीय नगर के स्‍टॉल पर कम से कम 10 राज्‍यों की राखियां उपलब्‍ध होंगी। खास बात कि इन राखियों के निर्माण में मदद में बड़ी संख्‍या में महिला उद्यमी भी सामने आई हैं। वे स्‍थानीय शिल्‍प व सामानों से चीन के जवाब में यह राखियां स्‍थानीय महिला शिल्‍पकारों से तैयार करा रही है। इन तैयार राखियों की मांग भी खूब है। इस बारे में कैट के महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने बताया कि विभिन्‍न राज्‍यों में कम से कम 25 स्‍थानों पर राखियां बनवाने का काम चल रहा है। इसमें पूर्वोत्‍तर के राज्‍यों के साथ उत्‍तर प्रदेश, पश्‍चिम बंगाल, बिहार, गुजरात, जम्‍मू, महाराष्‍ट्र, तमिलनाडु समेत अन्‍य राज्‍य हैं। ये राखियां देश की विविधता से भरे विशिष्‍ट शिल्‍प को दर्शा रही है। इन्‍हें बनाने में स्‍थानीय महिलाओं को रोजगार भी मिला और इनको तैयार करने में सामानों के लिए भी ज्‍यादा परेशानी नहीं आई, क्‍योंकि सामान भी स्‍थानीय स्‍तर पर मिल गए।


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