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राकेश टिकैत ने पूंजीपति अडानी पर किया कटाक्ष, बोले लोन लौटाने के लायक नहीं मगर बैंक खरीदने की क्षमता, पढ़िये और क्या कहा

राकेश टिकैत के नेतृत्व में यूपी गेट पर एक साल से अधिक समय तक किसानों का आंदोलन चलता रहा वो किसानों का एक चेहरा बनकर उभरे हैं। किसानों को एकजुट करने के लिए वो कई राज्यों में जाते रहे वहां पंचायतों का आयोजन करते रहे किसानों को जोड़ते रहे

By Vinay Kumar TiwariEdited By: Published: Sun, 26 Dec 2021 10:20 AM (IST)Updated: Sun, 26 Dec 2021 10:20 AM (IST)
राकेश टिकैत ने पूंजीपति अडानी पर किया कटाक्ष, बोले लोन लौटाने के लायक नहीं मगर बैंक खरीदने की क्षमता, पढ़िये और क्या कहा
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने अडानी पर कटाक्ष किया।

नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने एक बार फिर पूंजीपतियों पर निशाना साथा है। साथ ही वोटरों को अपना जमीर जगाने की बात कही है। अपने इंटरनेट मीडिया एकाउंट ट्विटर पर उन्होंने लिखा है कि वोटरों का जमीर नहीं जागा तो मारे जाएंगे। जो काम अंग्रेजों का अधूरा रह गया उस काम को उनके मुखबिर पूरा करने में लगे हुए हैं। उन्होंने पूंजीपति अडानी पर कटाक्ष भी किया है। लिखा कि अडानी बैंकों का लोट लौटाने के लायक नहीं है पर बैंकों को खरीदने की क्षमता रखा है। किसानों का जमीन जिंदा था सो बच गए।

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मालूम हो कि राकेश टिकैत के नेतृत्व में यूपी गेट पर एक साल से अधिक समय तक किसानों का आंदोलन चलता रहा, वो किसानों का एक चेहरा बनकर उभरे हैं। किसानों को एकजुट करने के लिए वो कई राज्यों में जाते रहे, वहां पंचायतों का आयोजन करते रहे, किसानों को जोड़ते रहे, आंदोलन को मजबूत बनाए रखने के लिए अपील करते रहे। शायद उसी का नतीजा रहा कि केंद्र सरकार ने तीनों कृषि कानूनों को वापस ले लिया, अब किसानों की मांग एमएसपी की गारंटी कानून की है। इसके अलावा मुकदमे वापस लेने की मांग भी प्रमुख थी जिसे राज्य सरकारों ने मान लिया उसके बाद किसान अपने टेंट और तंबू लेकर घर को वापस लौट गए।

कुछ दिन पहले जब बैंकों के निजीकरण की बात हुई थी, उस दौरान भी राकेश टिकैत ने कहा था कि बैंकों का निजीकरण नहीं होना चाहिए। निजीकरण होने से कई तरह की समस्याएं सामने आएंगी, इसके लिए उन्होंने बैंक यूनियनों का हर तरह से साथ देने का वायदा भी किया था। उसके बाद बैंक यूनियनों ने दो दिनों की हड़ताल भी की थी। अब एक बार फिर उन्होंने बैंकों का निजीकरण किए जाने पर एक तरह से विरोध दर्ज कराया है।

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