राकेश टिकैत ने केंद्र सरकार की अब इस नीति का शुरू किया पुरजोर विरोध, पढ़िये क्या है पूरा मामला?
भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत अब तक केंद्र सरकार के कृषि कानूनों का विरोध कर रहे थे। अब उन्होंने केंद्र सरकार की एक नई नीति का विरोध करना शुरू कर दिया है। राकेश टिकैत कई बातों पर सरकार की नीतियों से इतेफाक नहीं रखते।
नई दिल्ली, आनलाइन डेस्क। भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत अब तक केंद्र सरकार के कृषि कानूनों का विरोध कर रहे थे। अब उन्होंने केंद्र सरकार की एक नई नीति का विरोध करना शुरू कर दिया है। दरअसल सरकार ऑस्ट्रेलिया के साथ एक अभूतपूर्व मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत कर रही है जो हमारे डेयरी क्षेत्र को ऑस्ट्रेलियाई डेयरी आयात के लिए खोल देगा। उनका कहना है कि अगर इसे लागू किया जाता है तो इसका असर भारतीय किसानों और डेयरी कर्मचारियों के जीवन पर पड़ेगा। इस वजह से बीकेयू(भारतीय किसान यूनियन) इस सौदे का पुरजोर विरोध करता है। इसके पीछे उन्होंने अपने तर्क भी दिए हैं। अपने इंटरनेट मीडिया एकाउंट ट्विटर से उन्होंने इसका विरोध करते हुए ये चीजें लिखी भी हैं।
मालूम हो कि भारत और ऑस्ट्रेलिया काफी समय से लंबित मुक्त व्यापार समझौते को 2022 के अंत तक अंतिम रूप देने पर सहमत हुए हैं, जिसे आधिकारिक तौर पर व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता (सीईसीए) करार दिया गया है। वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने पहले ही बताया है कि हम साल के अंत तक या नये साल की शुरुआत तक एक बहुत अच्छा अंतरिम समझौता कर सकते हैं, जोकि छोटा नहीं बल्कि व्यापक है। कहा जा रहा है कि अब तक भारत ने दुग्ध और कृषि को इस व्यापार से मुक्त रखा था मगर अब इसे भी इसमें शामिल किया जा रहा है मगर इसके बारे में राज्य सरकारों या किसानों को कुछ जानकारी नहीं है।
भारत को कई देशों से आयात के दौरान हटाने होंगे शुल्क
रीजनल कॉम्प्रिहेंसिव इकोनॉमिक पार्टनरशिप (RCEP) के तहत भारत को चीन, ऑस्ट्रेलिया व न्यूजीलैंड से आयात होने वाली चीजों पर 74 फीसदी शुल्क कम करने होंगे। इसके अलावा जापान, दक्षिण कोरिया व आसियान देशों से आयतित होने वाले सामानों पर 90 फीसदी वस्तुओं से शुल्क हटाने होंगे। अब एक बात ये कही जा रही है कि यदि RCEP पर साइन करने के बाद देश सस्ती चीनी वस्तुओं का डंपिंग ग्राउंड बन जाएगा। इन सब चीजों को देखते हुए किसान संगठनों ने अब इसका विरोध करना शुरू कर दिया है जिससे आने वाले समय में समस्या न होने पाए।
इसको इस तरह से समझ भी सकते हैं। मान लीजिए सरकार किसी चीज को बाहर से आयात करना चाहती है तो वो आयात शुल्क बढ़ाकर उसका आयात कम कर सकती है मगर ये समझौता होने के बाद सरकार के पास से ये अधिकार चला जाएगा। ऐसे में देश में हर तरह का दूध, दाल और अन्य चीजों का उत्पादन करने वाले किसानों के सामने समस्या होगी। इसी का राकेश टिकैत विरोध कर रहे हैं।
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