Toolkit Case में दिशा रवि को दिल्ली की कोर्ट ने दी जमानत, पुलिस की किरकिरी; उठे कई सवाल
कोर्ट ने कहा कि वाट्सएप ग्रुप बनाना या किसी सहज टूलकिट का संपादक होना अपराध नहीं है। उक्त टूलकिट या पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन के साथ संबंधों को आपत्तिजनक नहीं पाया गया है। रिकॉर्ड में यह बताने के लिए कुछ नहीं है कि अभियुक्त ने अलगाववादी समूह की सदस्यता ली है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। दिल्ली पुलिस की ओर से पेश साक्ष्यों को घिसे-पिटे और अस्पष्ट बताते हुए टूलकिट मामले में आरोपित कथित पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि को कोर्ट ने एक लाख रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दे दी और जांच में सहयोग करने का आदेश दिया है। मंगलवार को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने कहा कि जमानत नहीं देने का कोई ठोस कारण नहीं मिल रहा है। इस टूलकिट से पता चलता है कि किसी भी हिंसा के लिए कोई साजिश नहीं की गई है। किसी को केवल इसलिए सलाखों के पीछे नहीं रखा जा सकता है कि वह राज्य की नीतियों से असहमत है। मतभेद, असहमति व असंतोष नीतियों में निष्पक्षता के वैध उपकरण हैं। एक जागरूक नागरिक एक स्वस्थ लोकतंत्र का संकेत है। वाट्सएप ग्रुप बनाना या किसी सहज टूलकिट का संपादक होना अपराध नहीं है। उक्त टूलकिट या पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन के साथ संबंधों को आपत्तिजनक नहीं पाया गया है। रिकॉर्ड में यह बताने के लिए कुछ नहीं है कि अभियुक्त ने अलगाववादी समूह की सदस्यता ली है।
शनिवार को पुलिस की तरफ से एडिशनल सालिसिटर जनरल एसवी राजू ने तीन घंटे बहस की थी और कोर्ट ने मंगलवार के लिए फैसला सुरक्षित रखा था। मंगलवार को रिमांड खत्म होने पर दिशा रवि को पटियाला हाउस कोर्ट के मजिस्ट्रेट कोर्ट में पेश किया गया, तभी सत्र अदालत से उसकी जमानत का आदेश हो गया। अदालत ने एक लाख रुपये का निजी मुचलका और इतनी ही रकम की दो गारंटी जमा कराने को कहा। इस पर दिशा के वकील ने मुचलके की रकम 50 हजार तय करने की गुहार लगाई, लेकिन अदालत ने इनकार कर दिया।
दिशा को पुलिस ने 13 फरवरी को गिरफ्तार किया था। आरोप है, कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन को लेकर दिशा ने ट्विटर टूलकिट तैयार की थी, जिसके तहत प्रभावशाली लोगों से कृषि कानूनों के खिलाफ ट्वीट कराए गए थे। पुलिस के उस दावे पर अब सवाल उठ गए हैं, जिसमें कहा गया था कि दिशा रवि ने टूलकिट बनाकर भारत विरोधी एजेंडा तैयार किया।
डीसीपी साइबर सेल अन्येष राय ने कहा, पुलिस के पास पर्याप्त सबूत हैं। कोर्ट को भी बताया गया कि दिशा वाट्सएप ग्रुप डिलीट कर चुकी है। उसने टूलकिट को भी संपादित करके स्वीडन की पर्यावरण कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग को भेजा था, इसलिए जमानत नहीं दी जाए। जरूरत पड़ने पर उसे फिर रिमांड पर लेने की मांग की जाएगी और हाई कोर्ट तक जाएंगे।