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मौसम विभाग की भविष्यवाणी कठघरे में, मानसून के पूर्वानुमान पर भी शंका के बादल मंडराए

मौसम विज्ञान विभाग के महानिदेशक डॉ. केजे रमेश का कहना है कि सही है कि गर्मियों की बारिश हर स्तर पर कम चल रही है, लेकिन इससे मानसून के पूर्वानुमान को लेकर कुछ सटीक नहीं कहा जा सकता है।

By Edited By: Published: Sat, 26 May 2018 11:05 PM (IST)Updated: Sun, 27 May 2018 06:27 PM (IST)
मौसम विभाग की भविष्यवाणी कठघरे  में, मानसून के पूर्वानुमान पर भी शंका के बादल मंडराए
मौसम विभाग की भविष्यवाणी कठघरे में, मानसून के पूर्वानुमान पर भी शंका के बादल मंडराए

नई दिल्ली (संजीव गुप्ता)। रिकार्डतोड़ गर्मी के बीच बारिश भी दिल्ली एनसीआर वासियों को निराश कर रही है। प्री मानसून और मानसून तो अभी कुछ दूर है, लेकिन गर्मियों के तीन माह में ही औसत से 17 फीसद कम बारिश हुई। मार्च एकदम सूखा रहा है, हालांकि अप्रैल और मई की स्थिति बेहतर है।

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मौसम विभाग के पूर्वानुमानों पर लगातार अंगुली उठ रही है। वर्ष 2016 और 2017 में भी सामान्य मानसून का दावा किया गया था, लेकिन बारिश सामान्य से कम हुई। इसी तरह गत आठ मई को आंधी-तूफान के अलर्ट को लेकर भी मौसम विभाग की काफी किरकिरी हुई है।

मंत्रालय स्तर पर भी मौसम विभाग के आला अधिकारियों को जमकर फटकार पड़ी। मौजूदा हालात में मानसून के पूर्वानुमान पर भी शंका के बादल मंडराते दिख रहे हैं। जानकारी के मुताबिक, एक मार्च से 31 मई तक के तीन माह गर्मियों के होते हैं, जबकि जून से सितंबर तक चार माह का समय मानसून का रहता है।

इस वर्ष मार्च, अप्रैल और मई में 24 तारीख तक औसत बारिश देश भर में 23 फीसद तक कम है। उत्तर पश्चिमी राज्यों यानी दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़, जम्मू कश्मीर व उत्तराखंड में औसत से 25 फीसद कम पानी बरसा है, जबकि दिल्ली एनसीआर में यह कमी 17 फीसद तक की है।

मौसम विभाग के मुताबिक, गर्मियों के तीन माह में दिल्ली एनसीआर में औसत बारिश 47.8 मिलीमीटर होनी चाहिए थी, लेकिन 24 मई तक केवल 39.1 मिलीमीटर हुई। मार्च में 15.9 मिलीमीटर तक बारिश होनी चाहिए लेकिन हुई न के बराबर। अप्रैल में औसत बारिश 12.2 मिलीमीटर होनी थी जबकि हुई 14.9 मिलीमीटर। वहीं, मई में अभी तक नौ दिन बारिश हुई है।

इस माह की औसत बारिश है 19.7 मिलीमीटर, जबकि हुई 24.2 मिलीमीटर। फरवरी भी सूखी ही रही थी जबकि इस माह दिल्ली में 20 मिलीमीटर तक बारिश होती है। जनवरी में भी 19.4 मिलीमीटर बारिश के मुकाबले दिल्ली में सिर्फ 4.4 मिलीमीटर ही बारिश हुई।

जनवरी से मार्च तक हिमालय क्षेत्र में पश्चिमी विक्षोभ की सक्रियता काफी कम रही। इस कारण बारिश न के बराबर हुई। वहीं, अप्रैल से तीन चार पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय रहे हैं। लिहाजा, दिल्ली में ठीक बारिश हो गई। हालांकि, कुल मात्रा में यह कम ही है।

प्रादेशिक मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक कुलदीप श्रीवास्तव के मुताबिक, गर्मियों में अभी तक की बारिश औसत से कम जरूर है, लेकिन संभव है कि मानसून सामान्य ही रहे। मौसम की परिस्थितियों में बदलाव होता रहता है। ज्यादा कहना अभी जल्दबाजी होगी।

वहीं, मौसम विज्ञान विभाग के महानिदेशक डॉ. केजे रमेश का कहना है कि सही है कि गर्मियों की बारिश हर स्तर पर कम चल रही है, लेकिन इससे मानसून के पूर्वानुमान को लेकर कुछ सटीक नहीं कहा जा सकता है। हमें उम्मीद है कि जून में प्री मानसून और जुलाई से सितंबर तक मानसून सीजन में बारिश औसत से बेहतर अर्थात सामान्य ही होगी। 


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