Delhi: पाबंदी के बाद भी यमुना में नहीं थम रहा पूजन सामग्री डालने का सिलसिला
यमुना में कूड़ा-कचरा डालने पर पूरी तरह पाबंदी है लेकिन रविवार को शास्त्री पार्क के पास यमुना के लोहे पुल से पूजन सामग्री और अन्य सामान नदी में डालने का काम खुलेआम हो रहा है और कुछ लोग तो खादर में रास्ते यमुना किनारे सामग्री डालने आ रहे हैं।
नई दिल्ली [पुष्पेंद्र कुमार]। सरकारी एजेंसियों द्वारा यमुना नदी को साफ करने की कई बार पहल शुरू हुई। कई नियम तैयार हुए, सरकार व सामाजिक संस्थाओं द्वारा लगातार यमुना के घाटों पर स्वच्छता अभियान चला, लेकिन इसके बाद भी यमुना में पूजन सामग्री डालने का सिलसिला थमने का नाम तक नहीं ले रहा है। नवरात्र में उपयोग की गई पूजन सामग्री को एकत्रित कर रविवार को लोग ने यमुना में विसर्जित किया। प्रशासन की लापरवाही के कारण यमुना किनारे जगह-जगह फूलों की माला के साथ पूजा की अन्य सामग्री पड़ी हुई है, जो यमुना को भी प्रदूषित बना रही है।
यमुना में कूड़ा-कचरा डालने पर पूरी तरह पाबंदी है, लेकिन रविवार को शास्त्री पार्क के पास यमुना के लोहे पुल से पूजन सामग्री और अन्य सामान नदी में डालने का काम खुलेआम हो रहा है और कुछ लोग तो खादर में रास्ते यमुना किनारे सामग्री डालने आ रहे हैं। उसे रोकने के लिए वहां कोई अधिकारी मौजूद नहीं है यमुना में डाले जा रहे सामान में भी कई चीजें ऐसी थीं, जो बायो-डीग्रेडेबल नहीं थीं। यमुना में पूजन सामग्री विसर्जित कर रहे कुछ बच्चों ने बताया कि वे पास की सेवा बस्ती में रहते है। वे यहां गुजरने वाले लोगों से पूजन सामग्री की थैली लेकर उसे यमुना में बहाने का काम करते हैं। इसके बदले लोग उन्हें पैसे दे जाते हैं। वे सुबह 8 बजे के करीब यहां पहुंच जाते हैं और देर शाम तक यहीं रहते हैं।
नवरात्र में विसर्जित की जाती है सबसे पूजा साम्रगी
शास्त्री पार्क स्थित लोह पुल के पास यमुना खादर की झुग्गी में रहने वाले संदीप ने बताया कि प्रशासन द्वारा यमुना के अन्य घाटों पर पाबंदी लगी हुई है। यमुना का एक मात्र यही किनारा है जहां प्रशासन द्वारा कोई सुरक्षा व्यवस्था नहीं है। प्रशासन की लापरवाही का फायदा उठाकर लोग सबसे ज्यादा यहां नवरात्र के बाद ही बड़ी तादाद में सामग्री नदी में विसर्जित करने आते हैं और सबसे ज्यादा सामग्री यमुना में ही विसर्जित होती है। इस दौरान यमुना के किनारे कूड़ा-कचरा भी काफी बढ़ जाता है, क्योंकि न तो वे लोग थैलियां नदी में फेंकते हैं और न ही लोग ऐसा करते हैं। इस संबंध में पूर्वी जिलाधिकारी अरुण कुमार मिश्रा से फोन पर बात की गई लेकिन उनसे फोन पर बात नहीं हो पाई।
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