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जानिए कोर्ट ने क्यों कहा- धोखेबाजों के लिए दुधारू गाय बन गए हैं सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक

सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंक धोखेबाजों के लिए दुधारू गाय की तरह हो गए हैं। बैलेंस शीट से छेड़छाड़ कर और फर्जी दस्तावेजों के दम पर लोन लेते हैं।

By Mangal YadavEdited By: Published: Tue, 14 Jul 2020 02:32 PM (IST)Updated: Tue, 14 Jul 2020 02:32 PM (IST)
जानिए कोर्ट ने क्यों कहा- धोखेबाजों के लिए दुधारू गाय बन गए हैं सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक
जानिए कोर्ट ने क्यों कहा- धोखेबाजों के लिए दुधारू गाय बन गए हैं सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक

नई दिल्ली [सुशील गंभीर]। सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंक धोखेबाजों के लिए दुधारू गाय की तरह हो गए हैं। बैलेंस शीट से छेड़छाड़ कर और फर्जी दस्तावेजों के दम पर लोन लेते हैं। ऐसे लोग बैंक क्षेत्र और देश की अर्थव्यवस्था को भारी नुकसान पहुंचा रहे हैं। इस तरह का आर्थिक अपराध करने वालों को माफी नहीं दी जा सकती। इनके साथ सख्ती से पेश आने की जरूरत है, ताकि उनको भी संदेश मिले जो ऐसा ही अपराध कर खुली हवा में घूम रहे हैं।

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यह उनके के लिए भी संदेश है जो भारतीय बैंकों को भारी आर्थिक नुकसान पहुंचाकर हजारों करोड़ रुपये के लोन लेकर देश से भाग गए हैं। राउज एवेन्यू अदालत के विशेष न्यायाधीश संजीव अग्रवाल ने यह तल्ख टिप्पणी चार दोषियों को सजा सुनाते वक्त की। दोषियों ने फर्जी दस्तावेजों के दम पर बैंक ऑफ बड़ौदा से तीन करोड़ 15 लाख रुपये का लोन लिया था।

यह है पूरा मामला

सीबीआइ ने बैंक ऑफ बड़ौदा की कीर्ति नगर स्थित शाखा से धोखाधड़ी कर लोन लेने के आरोप में सदर बाजार निवासी जगमोहन मित्तल, रिठाला निवासी अनूप कुमार गुप्ता, रोहिणी निवासी प्रदीप उपाध्याय और शाहदरा निवासी विजय भूषण के खिलाफ केस दर्ज किया था। सीबीआइ के आरोपपत्र के मुताबिक सैनिक विहार स्थित एक प्रॉपर्टी को गिरवी कर बैंक ऑफ बड़ौदा से 2011 में तीन करोड़ 15 लाख रुपये का लोन लिया। जबकि इसी प्रॉपर्टी को दो अन्य बैंकों के पास गिरवी कर भी लोन लिया गया था और वह लोन भी अभी बकाया थे।

जो प्रॉपर्टी पहले से ही गिरवी हो, उसे फिर से कहीं अन्य बैंक में गिरवी नहीं किया जा सकता। आरोपपत्र के मुताबिक एक ही प्रॉपर्टी को ये चारों मिलकर आपस में एक-दूसरे को फर्जी सेल डीड पर बेचते रहे और अलग-अलग बैंकों से अलग-अलग नाम पर लोन लेते रहे। अदालत में सीबीआइ के आरोप सही साबित हुए तो चारों को दोषी करार दिया गया।

दोषी को हुई 7 और 4 साल की सजा

हालांकि अन्य केस अभी विचाराधीन हैं। विशेष अदालत ने अनूप कुमार गुप्ता को सात साल जेल, 32 हजार रुपये जुर्माना और जगमोहन मित्तल को चार साल जेल, 10 हजार रुपये जुर्माने की सजा दी। जबकि प्रदीप उपाध्याय को सात साल जेल और 25 हजार रुपये जुर्माना अदा करने की सजा दी। चौथा दोषी विजय भूषण केस के ट्रायल के दौरान उतनी जेल काट चुका है, जितनी उसे सजा होनी थी। लिहाजा उस पर 10 हजार रुपये जुर्माना लगाया गया है।


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