इस तकनीक से सुलझ सकता है गुरुग्राम ट्रिपल मर्डर का रहस्य, बुराड़ी फांसीकांड से जुड़ा लिंक
इससे पहले दिल्ली में हुए सुनंदा पुष्कर हत्याकांड और देश के सबसे चर्चित बुराड़ी फांसीकांड को सुलझाने के लिए भी पुलिस साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी का सहारा ले चुकी है।
गुरुग्राम, जेएनएन। Gurugram Triple murder case: पत्नी सोनू सिंह, बेटे आदित्य और बेटी (अदिति) की हथौड़े और फरसे से हत्या करने के बाद डॉ. श्रीप्रकाश के फांसी लगाकर जान देने की असली वजह का खुलासा ग्ररुग्राम पुलिस 17 दिन बाद भी नहीं कर सकी है। दरअसल, हत्याकांड के बाद घटनास्थल पर पहुंची पुलिस को आरोपित श्रीप्रकाश सिंह के हाथ से लिखा हुआ सुसाइड नोट बरामद हुआ था। जिसे में उन्होंने परिवार को नहीं संभाल पाने की बात लिखी थी, लेकिन पुलिस पत्नी, बेटे और बेटी की हत्या के साथ श्रीप्रकाश के सुसाइड करने की वजह भी जानना चाहती थी। मनोचिकित्सक की मान रहे हैं कि यह घटना अवसाद की तरफ इशारा करती है, लेकिन घटना जिस क्रूरता से हुई है उसमें केवल अवसाद वजह नहीं मानी जा सकती। इसके लिए आर्थिक तंगी जैसा मामला नहीं होगा। यह मनोरोग के केस में हो सकता है। आज के दौर में छोटी-छोटी परेशानियों को लोग बड़े रूप में देखने लगते हैं। इसी का नतीजा है कि लोगों में हिंसक प्रवृति पनपने लगती है। ऐसे में संभावना जताई जा रही है कि क्या मामले को सुलझाने के लिए गुरुग्राम पुलिस मनोवैज्ञानिक परीक्षण (साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी) का सहारा लेगी। यह अलग बात है कि इस तकनीक के जरिये हत्याकांड के खुलासे के लिए पुलिस क्या साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी का सहारा लेगी? इस पर पुलिस कोई जवाब नहीं दे पा रही है।
क्या होता है शेयर्ड साइकोटिक डिसऑर्डर
साइकोटिक डिसऑडर यानी साझा मनोविकृति ऐसी मानसिक अवस्था है जिसमें कोई एक व्यक्ति भ्रमपूर्ण मान्यताओं का शिकार होता है। उससे जुड़े दूसरे लोग भी उसके भ्रम को मान्यता देने लगते हैं। हालांकि, हत्यारोपित श्रीप्रकाश सिंह में इस तरह के कोई लक्षण साफतौर पर दिखाई नहीं दिए हैं, लेकिन कई बार व्यक्ति Dissociative identity disorder का शिकार होता है।
कैसे होती है ‘साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी'
‘साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी' दरअसल, आत्महत्याओं की जांच करने का एक तरीका है। इसमें परिजनों, दोस्तों, परिचितों और चिकित्सकों से बात कर मृतक की मानसिकता का विश्लेषण किया जाता है। विश्लेषण में मृतक के इंटरनेट और सोशल मीडिया प्रोफाइल, पसंद-नापसंद संबंधी जानकारी पर अध्ययन किया जाता है। इस दौरान जांच टीम, फॉरेंसिक टीम और मनोचित्सकों की टीम शामिल होती है। ये टीमें अपने-अपने स्तर पर पुरानी स्मृतियों पर आधारित खुदकुशी करने वाले शख्स के बारे में जानकारी एकत्र करती हैं। जिसका विश्लेषण कर उस शख्स की मन:स्थिति का पता लगाया जाता है।
बुराड़ी कांड और सुनंदा पुष्कर मामले में भी किया गया था ये टेस्ट
इससे पहले सुनंदा पुष्कर हत्याकांड और बुराड़ी फांसीकांड को सुलझाने में भी पुलिस साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी का सहारा ले चुकी है। इसमें सुनंदा के फोन के मैसेज, व्हाट्सएप, सोशल नेटवर्किंग साइट्स के कम्यूनिकेशन और परिवार व जानकारों से हुई बातचीत के आधार पर मन:स्थिति को जानने का प्रयास किया गया था। इसी तरह बुराड़ी फांसीकांड के मुख्य आरोपित ललित की भी ‘साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी' की गई थी, जिसके बाद पुलिस इस नतीजे पर पहुंची थी कि इन सभी 11 लोगों ने आत्महत्या ही की थी।
दुनिया भर की पुलिस लेती है इसका सहारा
इसके अलावा दुनिया के कई देशों में जटिल मामलों को सुलझाने में पुलिस इसका सहारा ले चुकी है। साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी का सबसे चर्चित विदेशी केस इजरायल का है। इस मामले में सैनिकों ने एक साथ आत्महत्या को अंजाम दिया था। जिसके बाद उनकी साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी की गई थी। इस दौरान उनके जानकारों से व्यवहार, बातचीत की प्रतिक्रिया व उनकी मन:स्थिति का विश्लेषण किया। जांच में सामने आया कि यह सैनिक डिप्रेशन का शिकार थे, जिसकी वजह से इन्होंने आत्महत्या का कदम उठाया था।
कैसे हुई साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी की शुरुआत
आपको यहां बता दें कि 70 के दशक में अमेरिका और यूरोपियों देशों से ‘साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी' की शुरुआत हुई थी। 90 के दौर में ‘साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी' पर भारत में चर्चा होने लगी थी। साइकोलॉजिकल ऑटोप्सी एक ऐसा तरीका है जिसकी मदद से मरने वाले के दिमाग को समझने की कोशिश की जाती है ताकि यह पता लगाया जा सके कि आखिर मरने से पहले उसके बर्ताव में किस तरह का बदलाव आया।
जानिए - क्या है गुरुग्राम का ट्रिपल मर्डर
गौरतलब है कि पत्नी, बेटा और बेटी की हत्या के बाद और आत्महत्या करने से पहले डॉ. श्रीप्रकाश ने एक सुसाइड नोट भी लिखा था। नोट में इस जघन्य कांड के लिए घर की तंगहाली को वजह बताया था, लेकिन आत्महत्या की यह वजह पुलिस के गले नहीं उतर रही है। पुलिस ने इस मामले की कई पहलुओं से जांच शुरू कर दी थी, लेकिन शुरुआती जांच में पुलिस अभी किसी नतीजे पर नहीं पहुंची है। जांच के दौरान पुलिस को ऐसे सबूत भी नहीं मिल रहे हैं, जिससे कि हत्या और आत्महत्या की असली वजह सामने आ सके।
पुलिस से जुड़े जानकार बताते हैं कि कुछ ऐसे सवाल हैं जो सुसाइड नोट की तस्दीक नहीं कर रहे हैं। जैसे श्रीप्रकाश गुरुग्राम के पॉश इलाके सेक्टर 49, उप्पल साउथएंड सोसाइटी में रहते थे। उन्हें कुत्तों का शौक था। इसी के चलते घर में चार अच्छी नस्ल के तिब्बतन, लासा एपसो और दो पग प्रजाति के कुत्ते पाले हुए थे। हैरानी की बात है कि डॉ. श्रीप्रकाश सिंह व उनका परिवार कुत्तों का शौकीन था। उनके पास चार पग (चीनी) नस्ल के कुत्ते हैं। चारों कुत्ते पूरी तरह सुरक्षित थे। पुलिस ने सभी को अपने कब्जे में ले लिया है। बताया जाता है कि हत्याकांड के बाद दो कुत्ते पूरी तरह शांत थे जबकि दो भौंक रहे थे। एक कुत्ता डॉ. सोनू सिंह (कोमल सिंह) के शव के पास बैठा था जबकि एक डॉ. श्रीप्रकाश सिंह के शव के नजदीक। दो कुत्ते ड्राइंग रूम में इधर-उधर भाग रहे थे। चार कुत्ते रखने से भी साफ है कि डॉ. श्रीप्रकाश सिंह आर्थिक रूप से काफी मजबूत थे। नौकरी जाने से उन्हें किसी भी प्रकार की आर्थिक परेशानी थी, ऐसा नहीं लग रहा है। यह भी बताया जाता है कि उनके नाम गुरुग्राम के बाहर भी प्रॉपर्टी है।
काफी पहले कर ली थी हत्याकांड की तैयारी
उप्पल साउथ एंड निवासी डॉ. श्रीप्रकाश सिंह ने हत्याकांड को अंजाम देने से पहले काफी तैयारी की थी। मौके के हालात से साफ होता है कि उन्होंने हत्या के लिए न केवल मांस काटने चाकू की व्यवस्था की बल्कि हथौड़े से लेकर फांसी लगाने के लिए प्लास्टिक की रस्सी का भी जुगाड़ किया था। किस तरह फंदा लगाने पर मौत हर हाल में हो, इस बारे में भी गहराई से जानकारी हासिल की थी, क्योंकि फंदे की गांठ कुछ विशेष प्रकार से थी।
हत्याकांड को जिस तरह से अंजाम दिया गया, उससे साफ दिख रहा है कि किसी घटना की त्वरित प्रतिक्रिया नहीं थी बल्कि आरोपित के भीतर पूरा गुबार भरा था। चाकू, हथौड़ा एवं विशेष प्रकार की रस्सी फांसी लगाने के लिए खरीदकर लाना यह साफ दर्शाता है। जांच में शामिल अधिकारी से लेकर कर्मचारी तक यह पता लगाने का प्रयास कर रहे हैं कि किस दुकान से वारदात में प्रयुक्त सामान खरीदे गए। दुकान की पहचान होने के बाद काफी हद तक स्थिति साफ हो जाएगी।
सबसे अधिक पत्नी के ऊपर किया हमला
डॉ. श्रीप्रकाश सिंह ने सबसे अधिक अपनी पत्नी डॉ. सोनू सिंह के ऊपर हमला किया। उनके सिर पर चोट मारने के साथ ही शरीर के कई हिस्सों पर 19 बार चाकू व हथौड़े से हमला किया। गले पर चाकू से वार किया। बेटे आदित्य के सिर पर चोट मारने के साथ ही गर्दन के पीछे चाकू से हमला किया गया। बेटे के शरीर पर कुल 12 जगह चोट के निशान पाए गए।
बेटी अदिति के सिर पर चोट मारने के साथ ही शरीर के अन्य भाग पर भी चोट के निशान मिले। घटना 30 जून की रात 12 बजे से 2 बजे के बीच की थी। यह जानकारी पोस्टमार्टम से सामने आई है। पोस्टमार्टम करने वाली टीम के लीडर डॉ. दीपक माथुर ने बताया कि आधे घंटे के भीतर ही सभी की हत्या की गई।
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