जलवायु परिवर्तन के अनुकूल कृषि शोध को बढ़ावा देना वक्त की मांग
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि यह अच्छी बात है कि वक्त की जरूरत को देखते हुए हम लोगों ने इसके लिए अभी से ही तैयारी शुरू कर दी है।
नई दिल्ली [ गौतम कुमार मिश्र]। जलवायु परिवर्तन के अनुकूल कृषि शोध को बढ़ावा देना वक्त की मांग है। इस बात के पूरे संकेत हैं कि 2050 तक दुनिया में खाद्यान्न उत्पादन में कटौती होगी, लेकिन मांग में कटौती के बजाय बढ़ोतरी कायम रहेगी। इस संकेत के हिसाब से हमें अभी से ही भविष्य को देखते हुए एक रोड मैप बनाने की जरूरत है।
वक्त की जरूरत को देखते हुए तैयारी शुरू
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि यह अच्छी बात है कि वक्त की जरूरत को देखते हुए हम लोगों ने इसके लिए अभी से ही तैयारी शुरू कर दी है। पूरे देश को स्थानीय जलवायु के हिसाब से आठ अलग-अलग जोनों में बांट दिया गया है।
तीन दिवसीय सम्मेलन का आयोजन
अब इन आठ जगहों पर कृषि मंत्रालय व भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, राज्य कृषि विश्वविद्यालय, कृषि विज्ञान केंद्रों को साथ लेकर तीन दिवसीय सम्मेलन का आयोजन करेगा। यहां क्षेत्र विशेष की चुनौतियों के हिसाब से क्या सुधार होगा, किस तरह के शोध हो इस पर चर्चा की जाएगी। इस बात पर विचार किया जाएगा।
बीज की जरूरत पर जोर
इन क्षेत्रों के लिए किस तरह के बीज की जरूरत है। उन्होंने यह भी कहा कि इन आठ जोनों के हिसाब से इन जगहों पर पूसा कृषि विज्ञान मेले की तर्ज पर कृषि विज्ञान मेले का आयोजन किया जाएगा, ताकि अधिक से अधिक किसान कृषि क्षेत्र की नई प्रौद्योगिकियों के बारे में जानकारी ले सकें।
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