देश के नामी संस्थानों में शुमार JNU में अब रुकेगी साहित्य की चोरी
जेएनयू के कुलपति प्रो. एम. जगदीश कुमार के मुताबिक, छात्रों को अब शोध पत्र एवं किताब लिखने से पहले यह ध्यान रखना होगा कि वह बिल्कुल भी किसी अन्य साहित्य से जुड़ा न हो।
नई दिल्ली (राहुल मानव)। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) साहित्य की चोरी रोकने के लिए यूजीसी के अधिनियम को लागू करने जा रहा है। अकादमिक परिषद की बैठक में सदस्यों ने इस आशय का प्रस्ताव पारित किया है। जेएनयू के कुलपति प्रो. एम. जगदीश कुमार के मुताबिक, साहित्य चोरी की रोकथाम के अधिनियम को पास कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि जेएनयू के छात्रों को अब शोध पत्र एवं किताब लिखने से पहले यह ध्यान रखना होगा कि वह बिल्कुल भी किसी अन्य साहित्य से जुड़ा न हो। इस दिशा में यूजीसी ने नकल रोकने के लिए जो डिटेक्शन टूल तैयार किया है, उसका उपयोग किया जाएगा।
सभी विश्वविद्यालय को मिलेगा ऑनलाइन डिटेक्शन टूल
जेएनयू के शिक्षकों ने बताया कि शोध पत्र, थीसिस और प्रकाशनों में लगातार नकल की शिकायतें देशभर के अन्य संस्थानों से सामने आती रही हैं। यूजीसी की ओर से इस पर रोक संबंधी कई प्रयास किए गए हैं। मानव संसाधन मंत्रलय की तरफ से देश के सभी विश्वविद्यालयों को नकल की जांच करने के लिए मुफ्त में ऑनलाइन डिटेक्शन टूल देने का फैसला अगस्त में लिया गया था। अब इस टूल को जेएनयू को भी मुहैया कराए जाने की जल्द संभावना है।
यूजीसी के अधिनियम को लागू करेगा जेएनयू
बैठक में यूजीसी के दो अहम अधिनियम को विश्वविद्यालय में लागू करने का फैसला लिया गया है। विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में शिक्षकों और अकादमिक कर्मचारियों की नियुक्ति के लिए न्यूनतम योग्यता के अधिनियम को पास किया गया है।