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दिल्ली विश्वविद्यालय में ऑनलाइन हाजिरी का विरोध, नाराज प्रोफेसरों ने VC से जताया विरोध

प्रोफेसरों का कहना है कि उपस्थिति प्रबंधन प्रणाली को कॉलेजों में लागू करने के लिए आदेश डीयू का कंप्यूटर केंद्र नहीं जारी कर सकता है।

By JP YadavEdited By: Published: Mon, 23 Jul 2018 08:19 AM (IST)Updated: Mon, 23 Jul 2018 08:19 AM (IST)
दिल्ली विश्वविद्यालय में ऑनलाइन हाजिरी का विरोध, नाराज प्रोफेसरों ने VC से जताया विरोध
दिल्ली विश्वविद्यालय में ऑनलाइन हाजिरी का विरोध, नाराज प्रोफेसरों ने VC से जताया विरोध

नई दिल्ली (जेएनएन)। दिल्ली विश्वविद्यालय कंप्यूटर केंद्र ने डीयू के कॉलेजों के कई प्रधानाचार्यो को दो दिन पहले ही मेल कर कॉलेजों में ऑनलाइन हाजिरी प्रणाली शुरू करने के लिए कहा था। अब इस मामले को लेकर विवाद हो गया है। दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों ने कुलपति को पत्र लिखकर विरोध जताया है। प्रोफेसरों का कहना है कि उपस्थिति प्रबंधन प्रणाली को कॉलेजों में लागू करने के लिए आदेश डीयू का कंप्यूटर केंद्र नहीं जारी कर सकता है।

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डीयू के कार्यकारी परिषद के सदस्य प्रो. राजेश झा ने कहा कि उपस्थिति प्रबंधन प्रणाली को कॉलेजों में लागू करने का फैसला डीयू की कार्यकारी परिषद, वित्तीय परिषद से लागू नहीं किया गया है। डीयू के नियमों के मुताबिक, इस तरह की प्रणाली को लागू करने के लिए कंप्यूटर केंद्र आदेश नहीं दे सकता है। उन्होंने दावा किया कि आचार्य नरेंद्र देव कॉलेज में हाल ही में एक आरटीआई में खुलासा हुआ है कि उपस्थिति प्रबंधन प्रणाली को लागू करने के लिए साल 2020 तक एक करोड़ रुपये चुकाने होंगे। यह प्रणाली काफी महंगी है। इसका पैसा एकत्र करने के लिए कॉलेजों में छात्रों से यूजर चार्ज जैसी फीस भी वसूली जा सकती है। 

शोध के लिए अवकाश का अनुभव नहीं गिनने पर प्रोफेसर नाराज

विश्वविद्यालयों में शोध के लिए अध्ययन अवकाश लेने पर प्रोफेसरों के अनुभव को नहीं गिनने की विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की अधिसूचना का डीयू के शिक्षक विरोध कर रहे हैं। गत दिनों जारी हुई अधिसूचना को लेकर दिल्ली विश्वविद्यालय के कार्यकारी परिषद के सदस्य प्रो. राजेश झा ने कहा कि एक तरफ सरकार शोध को बढ़ावा दे रही है, वहीं दूसरी तरफ शोध के लिए अध्ययन अवकाश लेने के अनुभव को नहीं गिनने की अधिसूचना जारी की जा रही है। यह बिल्कुल गलत है। बता दें कि पहले शोध के लिए अध्ययन अवकाश लेने पर प्रोफेसरों के अनुभव को गिना जाता था, जिसके आधार पर उनकी वेतन वृद्धि होती थी। 


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