RSS News: दो दशक पहले शुरू हुई थी मुस्लिम समाज और संघ के बीच संवाद बढ़ाने की प्रक्रिया
हाल के वर्षाें में मोहन भागवत समेत अन्य राष्ट्रीय पदाधिकारियों का मुस्लिम धर्मगुरुओं बुद्धीजीवियों और प्रबुद्ध लोगों से मिलने का सिलसिला चला आ रहा है। हालांकि भागवत एक कदम आगे बढ़ते हुए पहली बार मदरसे में मुस्लिम छात्रों से मिले हैं। इसके पहले कोई सरसंघचालक मदरसा में नहीं गया था।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत बृहस्पतिवार को मदरसे के साथ मस्जिद गए। दोनों स्थानों पर उन्होंने कई घंटे बिताएं और इमाम, मुफ्ती व छात्रों से खुलकर संवाद किया। विशेष बात कि उनके साथ संघ के कई अन्य राष्ट्रीय पदाधिकारी भी थे, जिन्हें खास तौर पर मुस्लिम समाज से परस्पर संवाद बढ़ाने की जिम्मेदारी दी गई है। वैसे, संघ को जानने वालों के लिए यह घटनाक्रम कोई नया नहीं है। क्योंकि, हाल के वर्षाें में मोहन भागवत समेत अन्य राष्ट्रीय पदाधिकारियों का मुस्लिम धर्मगुरुओं, बुद्धीजीवियों और प्रबुद्ध लोगों से मिलने का सिलसिला चला आ रहा है। हालांकि, भागवत एक कदम आगे बढ़ते हुए पहली बार मदरसे में मुस्लिम छात्रों से मिले हैं। इसके पहले कोई सरसंघचालक मदरसा में नहीं गया था। उनके इस कदम को मुस्लिम समाज से संवाद और मजबूत करने की कोशिशों के तौर पर देखा जा रहा है। इसके साथ ही इसमें यह संदेश भी है कि संघ किसी के प्रति भेद नहीं रखता है और देशहित में काम करने वालों को साथ लेकर आगे बढ़ेगा।
हिंदुत्व की अवधारणा मुस्लिम समाज के बिना अधूरी
कई मौकों पर खुद भागवत ने स्पष्ट किया है कि संघ के हिंदुत्व की अवधारणा मुस्लिम समाज के बिना अधूरी है। साथ ही आपसी भेदभाव दूर कर जब तक सभी साथ नहीं आते तब तक देश को विश्व के शीर्ष स्थान पर नहीं पहुंचाया जा सकता है। जानकार उनकी इस पहल को संघ के प्रति मुस्लिम समाज में हिचकिचाहट को दूर करने तथा विरोधियों द्वारा फैलाए जा रहे इस भ्रम की हवा निकालने के तौर पर भी देखा जा रहा है कि संघ केवल हिंदुत्ववादी संगठन है।
संघ के कार्यों की होती है सराहना
वैसे, इसकी कोशिशें पूर्व सरसंघचालक केएस सुदर्शन के दौर में ही शुरू हो गई थीं। संघ के वरिष्ठ प्रचारक इंद्रेश कुमार बताते हैं कि तब उनके पास देश-विदेश से हिंदू और मुसलमान सभी के पत्र आते थे, जिसमें मुस्लिम और संघ में बनी दूरियों को पाटने का आग्रह होता था। कई ऐसे आग्रह होते थे जिसमें संघ के कार्याें की सराहना और साथ आकर काम करने की पेशकश होती थी। वह कहते हैं कि उनके मार्गदर्शन में वर्ष 2002 में मुस्लिम राष्ट्रीय मंच (एमआरएम) का गठन हुआ, जो मुस्लिमों के द्वारा संचालित और मुस्लिमों के लिए कार्य करता है। एक जानकार के मुताबिक वर्ष 2004 में इसी क्रम में केएस सुदर्शन ने जमीयत उलेमा -ए-हिंद के शीर्ष पदाधिकारियों से भी मुलाकात की थी।
पहले भी कर चुके हैं इन लोगों से मुलाकात
वहीं, भागवत अलग-अलग मौकों पर जमीयत के मौजूदा अध्यक्ष मौलाना अरशद मदनी व पूर्व चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी समेत कई धार्मिक गुरुओं और प्रभावी लोगाें से मुलाकात कर चुके हैं। पिछले वर्ष चार जुलाई को गाजियाबाद में एमआरएम के देशभर से जुटे 75 पदाधिकारियों को संघ प्रमुख ने दो दिन तक बौद्धिक दिया था। इसी तरह पिछले माह दिल्ली व मुंबई में भी मुस्लिम समाज के प्रभावी लोगों से मुलाकात की थी।