जेल की बैरक में क्षमता से अधिक कैदी, राजधानी में हैं 16 जेल
राजधानी में हैं 16 जेल तिहाड़ की नौ जेलों के अलावा मंडोली व रोहिणी परिसर भी हैं शामिल। कई जेल के सेल पड़े हैं खाली कई जेलों में क्षमता से तीन गुना अधिक कैदी बैरकों में हैं।
नई दिल्ली, गौतम कुमार मिश्रा। क्षमता से डेढ़ गुना अधिक कैदियों की समस्या से जूझ रहे दिल्ली की जेलों में स्थिति सुधरने का नाम नहीं ले रही है। जेल में कहीं क्षमता से कम तो कहीं काफी अधिक संख्या में कैदियों के होने की बात जेल प्रशासन ने खुद मानी है। अब जेल में बने सेलों के संबंध में पूछे गए सवाल के जवाब में भी जेल प्रशासन ने बताया है कि कई सेल खाली पड़े हैं। वहीं कई सेल ऐसे हैं, जिनमें बहुत अधिक कैदी हैं। आमतौर पर अधिकांश कैदी जेल के भीतर सेल में जगह पाने की कोशिश में रहते हैं, लेकिन सेल में रहने की अनुमति कुछ कैदियों को ही मिल पाती है। राजधानी में अभी 16 जेल हैं। इनमें तिहाड़ के नौ जेलों के अलावा रोहिणी व मंडोली परिसर भी शामिल हैं।
जेल में कैदियों के रहने के लिए दो तरह की व्यवस्थाएं होती हैं। दो तरह की व्यवस्थाओं में एक बैरक तो दूसरा सेल कहा जाता है। बैरक ऐसी जगह होती है, जहां एक बड़े हॉल में एक साथ कई कैदी रहते हैं। आमतौर पर बैरक में कम से कम 20 कैदी होते हैं, लेकिन तिहाड़ की अधिकांश बैरकों में कैदियों की संख्या क्षमता से काफी अधिक है। कई जेलों में तो क्षमता से तीन गुना अधिक कैदी बैरकों में रह रहे हैं।
वहीं सेल में कैदियों की संख्या एक से चार हो सकती है। कैदियों की संख्या सेल के आकार पर निर्भर करती है। सामान्य तौर पर सेल में रसूखदार कैदियों को ही जगह मिलती है। हालांकि ऐसे कैदी जो खूंखार या किसी गंभीर संक्रामक बीमारी से जूझ रहे होते हैं, उन्हें भी सेल में रखा जाता है। ऐसे कैदी की संख्या कम ही होती है।
सूचना का अधिकार के तहत इस बात की जानकारी मांगी गई कि दिल्ली की विभिन्न जेलों में कितने सेल हैं और इनमें कितने कैदियों को रखा गया है। जेल प्रशासन की ओर से इसका उत्तर आधा-अधूरा दिया गया। कुछ जेलों ने जहां केवल सेल की संख्या बताकर कैदियों की संख्या को छुपा लिया, तो कुछ जेल ऐसे भी हैं जिन्होंने सेल की संख्या के साथ-साथ उसमें बंद कैदियों की संख्या की भी जानकारी दी है। वहीं कुछ ऐसे भी जेल हैं, जिन्होंने जानकारी देना मुनासिब नहीं समझा।