Move to Jagran APP

Priceless 94 Idols: अमेरिका से वापस भारत आ रही हैं बेशकीमती 94 मूर्तियां

यह अभी तक के इतिहास में सांस्कृतिक धरोहर वापस आने की सबसे बड़ी खेप होगी। इन मूर्तियों में 2100 साल पुरानी मूर्तियां भी शामिल हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) कुछ माह पहले अमेरिका जाकर इनकी पहचान कर चुका है।

By Jp YadavEdited By: Published: Wed, 08 Dec 2021 09:16 AM (IST)Updated: Wed, 08 Dec 2021 09:16 AM (IST)
Priceless 94 Idols: अमेरिका से वापस भारत आ रही हैं बेशकीमती 94 मूर्तियां
Priceless 94 Idols: अमेरिका से वापस भारत आ रही हैं बेशकीमती 94 मूर्तियां

नई दिल्ली [वीके शुक्ला]। सांस्कृतिक धरोहर में शामिल बेशकीमती 94 मूर्तियां अमेरिका से वापस लौटेंगी, इन्हें इसी माह के अंत तक देश में लाने की जद्दोजहद चल रही है। यह अभी तक के इतिहास में सांस्कृतिक धरोहर वापस आने की सबसे बड़ी खेप होगी। इन मूर्तियों में 2100 साल पुरानी मूर्तियां भी शामिल हैं। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) कुछ माह पहले अमेरिका जाकर इनकी पहचान कर चुका है। बता दें कि कुछ माह पहले अमेरिका की यात्रा पर गए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को अमेरिकी सरकार ने भेंट स्वरूप 157 मूर्तियां लौटाई थीं।इसमें से 63 मूर्तियां और पुरा महत्व की चीजें पिछले माह वापस दिल्ली आ चुकी हैं, जबकि अब दूसरी खेप में जो मूर्तियां वापस आनी हैं इसमें सभी मूर्तियां अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। जो मूर्तियां वापस आ रही हैं जिन्हें देश के विभिन्न हिस्सों से चोरी कर अमेरिका में करोड़ों रुपयों में बेच दिया गया था। इसमें 27 मूर्तियां कांस्य की हैं और 10 पत्थर की हैं।जबकि अन्य 57 टेराकोटा की बनी हैं। इसमें ईसा पूर्व पहली शताब्दी से लेकर 11-12वीं शताब्दी तक की मूर्तियां हैं, जबकि कुछ हड़प्पन संस्कृति की टेराकोटा वस्तुएं भी शामिल हैं। 

loksabha election banner

इन मूर्तियों में मध्य प्रदेश के कटनी जिला के कारीतलाई से चुराई गई 11 वीं शताब्दी की एक अप्सरा की मूर्ति है। इसके अलावा मध्य प्रदेश के ही भरहुत के एक स्मारक से चुराई गई 16-17 वीं शताब्दी की महाकोका देवता की एक बहुत महत्वपूर्ण मूर्ति शामिल है। यह मूर्ति 2006 में 16-17 अगस्त को चोरी कर ली गई थी। इसके अलावा तमिलनाडु के मंदिरों से चुराई गईं तीन मूर्तियां शामिल हैं। इनमें पूर्व चोल काल के लिंगोद्भवा की एक पत्थर की मूर्तियां शामिल हैं। ये मूर्ति 12 वीं- 13 वीं शताब्दी की हैं।

तमिलनाडु से ही कांस्य की मंजुश्री की एक मूर्ति है जो 10-11 वीं शताब्दी है।एक नटराज की कांस्य मूर्ति है जो 10 वीं शताब्दी की है।इनके अलावा टेराकोटा की बनी करीब 2100 साल पुरानी याक्षी की दो प्रतिमा भी हैं।जिसमें से एक प्रतिमा का नीचे की तरफ का कुछ भाग खंडित है।

इन मूर्तियों में से कई को अमेरिका के एक संग्रहालय ने मूर्ति तस्कर सुभाष कपूर से खरीदा था, जिन्हें संग्रहालय ने अमेरिकी सरकार को वापस लौटा दिया था।एएसआइ को कई मूर्तियों के बारे में यह जानकारी नहीं मिल पाई है कि वे देश के किस हिस्से से चोरी की गई थीं।जो मूर्तियां इस बार आ रही हैं, इसमें से कुछ पिछली खेप में ही आनी थीं, मगर पिछली खेप में नहीं आ सकीं और अब आ रही हैं। ज्ञात हो कि देश में मूर्तियां वापस आने का सिलसिला तब तेज हुआ जब मूर्ति तस्कर को सुभाष कपूर को 2011 में गिरफ्तार कर लिया गया।

पूछताछ में पता चला कि उसने देश के कई हिस्सों से मूर्तियां चोरी कर दूसरे देशों में बेच दी थीं। इनमें मध्य प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु से अधिक मूर्तियां चोरी की गई थीं। उसकी गिरफ्तारी के बाद विदेश में कई लोगों ने मूर्तियों को वहां की सरकार को वापस कर दिया या वहीं की सरकार ने वहां के लोगों से जब्त किया।वहां के कई संग्रहालयों ने भी मूर्तियां वहां की सरकारों को वापस की हैं।कपूर इस समय तमिलनाडु की जेल में बंद है।  


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.