गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को भी लगे वैक्सीन : अनुराग कुंडू
आयोग के अध्यक्ष अनुराग कुंडू ने कहा कि वर्तमान ने सरकार ने वैक्सीनेशन (टीकाकरण) अभियान से गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को नहीं शामिल किया है। क्योंकि उन पर वैक्सीन का क्या असर होगा इसके पुख्ता प्रमाण नहीं हैं।
नई दिल्ली [रीतिका मिश्रा]। दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव को गर्भवती महिलाओं स्तनपान कराने वाली महिलाओं को भी वैक्सीन (टीका) लगाने की सलाह दी है। आयोग के अध्यक्ष अनुराग कुंडू ने कहा कि वर्तमान ने सरकार ने वैक्सीनेशन (टीकाकरण) अभियान से गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को नहीं शामिल किया है। क्योंकि उन पर वैक्सीन का क्या असर होगा, इसके पुख्ता प्रमाण नहीं हैं।
उन्होंने कहा कि भारत के प्रसूति और स्त्री रोग फेडरेशन ने हाल ही में कहा है कि प्रसूति और स्त्रीरोग विशेषज्ञ और महिलाओं के स्वास्थ्य का देखभाल करने वालों को गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं में वैक्सीन लगाने की अनुमति दी जानी चाहिए। इसके साथ ही अगर वैक्सीन लगाने के बाद कोई प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है तो इसके लिए तैयार रहना चाहिए।
आयोग ने पत्र में सचिव को सलाह दी है कि गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को न सिर्फ वैक्सीन लगनी चाहिए बल्कि उन्हें एक उच्च जोखिम वाली श्रेणी के रूप में वर्गीकृत भी किया जाना चाहिए। इसके साथ ही एक टास्क फोर्स का भी गठन किया जाना चाहिए और इस फोर्स को वैक्सीनेशन अभियान में शामिल किया जाना चाहिए। इसमें स्वास्थ्य क्षेत्र और अन्य संस्थानों के विशेषज्ञ शामिल हो सकते हैं।
टास्क फोर्स का काम महिलाओं को वैक्सीन लगने के बाद उसको प्रभावों को भी निगरानी करनी होगा। वहीं, आंगनवाड़ी केंद्रों को आंगनवाड़ी कार्यकर्ता और आशा कार्यकर्ताओं के साथ मिलकर महिलाओं को वैक्सीन के दुष्प्रभावों, गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं पर वैक्सीन के दुष्प्रभावों को लेकर शिक्षित करना चाहिए।
इसके लिए वो एक जागरूकता अभियान भी चला सकते हैं। इसके साथ ही वैक्सीन लगवाने वाली सभी महिलाओं का पंजीकरण कर एक सूची तैयार करनी चाहिए और वैक्सीन लगने के बाद इनकी निरंतर निगरानी करनी चाहिए ताकि ये जानकारी मिल सके कि वैक्सीन का इन महिलाओं पर कोई प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है या नहीं। अनुराग ने कहा कि गर्भवती महिलाओं पर वैक्सीन के प्रभाव को लेकर भारत में कोई मौजूदा डाटा नहीं है। इसलिए टीकाकरण अभियान का उद्देश्य न केवल इस श्रेणी का टीकाकरण करना ही नहीं बल्कि इसके प्रभाव की निगरानी करना भी होना चाहिए ताकि एक डाटा भी मिल सके कि ये कितना प्रभावी है।