बुराड़ी कांडः फांसी लगने से ही हुई थी 10 लोगों की मौत, 11वीं सस्पेंस कायम
दिल्ली में अब तक की सबसे बड़ी सनसनीखेज घटना में बुराड़ी स्थित एक घर में एक जुलाई की सुबह एक ही परिवार के 11 लोग संदिग्ध हालात में मृत पाए गए थे।
नई दिल्ली (जेएनएन)। दिल्ली के बुराड़ी इलाके के एक ही घर में भाटिया परिवार के 11 लोगों की मौत का मामला सुलझता नजर आ रहा है। बुराड़ी फांसी कांड के 11 मृतकोंं में से 10 की पोस्टमार्टम रिपोर्ट पुलिस को मंगलवार देर रात मिल गई है। इससे खुलासा हुआ है कि 10 लोगों की मौत फांसी लगने से हुई है। इनमें कुछ लोगों की गर्दन की हड्डी टूट गई थी, वहीं ललित की मां व परिवार की बुजुर्ग मुखिया नारायणी देवी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट अभी नहीं मिली है।
पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, जिन 10 लोगों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट प्राप्त हुई है, सभी के फांसी लगाने की पुष्टि हुई है। इनमें से किसी के शरीर पर चोट का कोई निशान नहीं मिला है। इससे साफ है कि किसी के साथ कोई जोर-जबरदस्ती नहीं हुई थी। सभी अपनी मर्जी से फंदे तक पहुंचे थे। माना जा रहा है कि 11 में से 10 लोगों की मौत की मिस्ट्री से पर्दा उठ गया है और साफ हो गया है कि सभी ने आत्महत्या ही की थी। पोस्टमार्टम करने वाले डॉक्टरों ने बताया कि नारायणी देवी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट एक-दो दिन में मिलने की संभावना है। सभी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिलने के बाद मामले में पुलिस की कार्रवाई तेज होगी। साथ ही पुलिस जांच की दिशा तय कर सकेगी।
यहां पर बता दें कि भाटिया परिवार के 11 लोगों के शवों का मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज के तीन-तीन डॉक्टरों के दो मेडिकल बोर्ड ने पोस्टमार्टम किया था। इससे खुलासा हुआ है कि शरीर पर चोट आदि के निशान नहीं थे। हत्या जैसी कोई बात सामने नहीं आई है।
यहां पर बता दें कि दिल्ली में अब तक की सबसे बड़ी सनसनीखेज घटना में बुराड़ी स्थित एक घर में एक जुलाई की सुबह एक ही परिवार के 11 लोग संदिग्ध हालात में मृत पाए गए थे। मृतकों में सात महिलाएं व चार पुरुष थे, जिनमें दो नाबालिग थे। एक महिला का शव रोशनदान से तो नौ लोगों के शव छत से लगी लोहे की ग्रिल से चुन्नी व साड़ियों से लटके मिले। एक बुजुर्ग महिला का शव जमीन पर पड़ा मिला था। नौ लोगों के हाथ-पैर व मुंह बंधे हुए थे और आंखों पर रुई रखकर पट्टी बांधी गई थी।
बुराड़ी-संत नगर मेन रोड से सटे संत नगर की गली नंबर दो में बुजुर्ग महिला नारायण का मकान है। इसमें वह दो बेटों भुवनेश व ललित, उनकी पत्नियों, पोते-पोतियों व विधवा बेटी संग रहती थीं। ये लोग मूलरूप से राजस्थान के निवासी थे और 22 साल पहले यहां आकर बसे थे। बुजुर्ग महिला के तीसरे बेटे दिनेश सिविल कांटेक्टर हैं और राजस्थान के चित्ताैड़गढ़ में रहते हैं। बुजुर्ग महिला के दोनों बेटों की भूतल पर एक परचून व दूसरी प्लाईवुड की दुकान है। ऊपर पहली व दूसरी मंजिल पर परिवार रहता था।
रोज सुबह ललित घर के सामने रहने वाले दिल्ली पुलिस से सेवानिवृत्त तारा प्रसाद शर्मा के साथ मार्निंग वॉक पर जाते थे। उससे पहले शर्मा ललित की दुकान से दूध लेते थे। रविवार सुबह दुकान नहीं खुली तो शर्मा दरवाजा खटखटाने गए, पर दरवाजा खुला था तो वह ऊपर चले गए। ऊपर का दरवाजा भी खुला था। आगे जाने पर उनकी रूह कांप गई। बरामदे वाले हिस्से में दस लोगों के शव लटके थे, जबकि एक महिला का शव कमरे में पड़ा था।