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पूजा खेडकर ने दिल्ली हाईकोर्ट में पुलिस के दावों का किया विरोध, AIIMS में कराना चाहती हैं मेडिकल टेस्ट

पूर्व आईएएस प्रोबेशनर पूजा खेडकर ने दिल्ली हाईकोर्ट में पुलिस के दिव्यांगता प्रमाण पत्र को जाली बताने के दावे का विरोध किया है। उन्होंने एम्स में अपनी चिकित्सकीय जांच कराने की इच्छा जताई है। पुलिस का कहना है कि पूजा खेडकर ने सिविल सेवा परीक्षा देते समय जरूरी तथ्य छुपाए थे। अब इस मामले की अगली सुनवाई 26 सितंबर को होगी।

By Vineet Tripathi Edited By: Sonu Suman Updated: Thu, 05 Sep 2024 08:36 PM (IST)
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पूजा खेडकर ने दिल्ली हाईकोर्ट में पुलिस के दावों का किया विरोध।

जागरण संवाददाता, नई दिल्ली। पुलिस द्वारा दिव्यांगता प्रमाण पत्र को जाली व मनगढ़ंत होने का दावा करने का पूर्व आईएएस प्रोबेशनर पूजा खेडकर ने बृहस्पतिवार को दिल्ली हाईकोर्ट में विरोध किया है। पूजा खेडकर की तरफ से पेश अधिवक्ता ने कहा कि पूजा एम्स में अपनी चिकित्सकीय जांच कराने की इच्छुक हैं।

खेडकर की तरफ से पेश अधिवक्ता ने कहा कि पुलिस ने पहले कहा कि उनकी मुवक्किल ने नाम बदल लिया है और अब कह रहे हैं कि दिव्यंगता संदिग्ध है। ऐसे में पूजा एम्स जाने को तैयार हैं। अदालत ने खेडकर की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई कर रही है।

आगे की जांच के लिए 10 दिन के समय की मांग 

वहीं, दिल्ली पुलिस के वकील ने तर्क दिया कि खेडकर ने सिविल सेवा परीक्षा देते समय तथ्य छुपाए कि वह लिखने में सक्षम नहीं थी। साथ ही पुलिस ने मामले की आगे की जांच के लिए 10 दिन का और समय देने का अनुरोध किया।

पुलिस के अनुरोध को स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने मामले की सुनवाई 26 सितंबर तक के लिए स्थगित कर दी। साथ ही पूजा खेडकर को पूर्व में दी गई गिरफ्तारी की अंतरिम सुरक्षा अगली सुनवाई तक जारी रखने का निर्देश दिया। पूजा खेडकर पर धोखाधड़ी और गलत तरीके से अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) और दिव्यांगता कोटा लाभ लेने का आरोप लगाया गया है।

पूजा को हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता बताई

खेडकर ने दावा किया कि पुलिस ने मामले में दायर अपनी स्थिति रिपोर्ट में उनकी हिरासत में पूछताछ के लिए दबाव नहीं डाला है। वहीं, पुलिस ने कहा कि मामले की साजिश और इसमें शामिल अन्य व्यक्तियों का पता लगाने के लिए पूजा को हिरासत में लेकर पूछताछ की आवश्यकता है।

31 जुलाई को संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने उनकी उम्मीदवारी रद्द करते हुए उन्हें भविष्य में परीक्षा देने से रोक दिया था। यूपीएससी और दिल्ली पुलिस दोनों ने अग्रिम जमानत याचिका विरोध करते हुए याचिका खारिज करने की मांग की है।

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