फॉगिंग पर प्रदूषण का साया, केवल जरूरी स्थानों पर होगी फॉगिंग
बीते सप्ताह तक यानि 10 अक्टूबर तक राजधानी में डेंगू के 300 से ज्यादा मामले आ चुके हैं तो वहीं मलेरिया के 189 मरीज आ चुके हैं। हर सप्ताह मच्छरजनित बीमारियों के 100 के करीब मरीज सामने आ रहे हैं। इसमें सर्वाधिक डेंगू के मरीज दक्षिणी निगम इलाके से हैं।
नई दिल्ली [निहाल सिंह]। दिल्ली में प्रदूषण की वजह से इस वर्ष फॉगिंग भी प्रभावित हो गई है। दिल्ली में प्रत्येक वार्ड में योजनाबद्ध तरीके से होने वाली फॉगिंग इस वर्ष नहीं होगी।। निगम केवल उन स्थानों पर फॉगिंग करेगा जहां पर मच्छरजनित बीमारियों के मरीज सामने आ रहे हैं। दिल्ली के पूर्वी से लेकर उत्तरी और दक्षिणी निगम ने कर्मचारियों को फिलहाल मौखिक आदेश दिए हैं कि जरूरत के हिसाब से ही फॉगिंग करें। योजनाबद्ध तरीके से होने वाली फॉगिंग फिलहाल न करें।
दरअसल, फॉगिंग की मशीन पेट्रोल से चलती है। मशीन के चलने से तो प्रदूषण होता ही है। बल्कि मच्छरों को मारने के लिए निगम डीजल के साथ मैलाथियोन रसायन का उपयोग करता है। इस रसायन के मिलाने से मशीन धुंआ छोड़ती है। ऐसा माना जाता है कि यह धुंआ न केवल मच्छरों को मार देता है बल्कि नए मच्छरों के प्रजनन को भी रोक देता है। मशीनों से बढ़ी मात्रा में होने वाले धुंए से वायु प्रदूषण की मात्रा बढ़ती है।
दक्षिणी निगम के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि पिछले वर्षों की तुलना में इस बार प्रदूषण थोड़ा पहले ज्यादा ही देखने को मिल रहा है। हम हर वर्ष अगस्त में फॉगिंग का एक चरण हर वार्ड में पूरा कर देते थे, लेकिन इस बार हमारा स्टॉफ कोरोना संक्रमण के चलते सैनिटाइजेशन में भी व्यस्त था। साथ ही कोरोना में चूंकि श्वसन क्रिया प्रभावित होती है इसलिए हमने इस फॉगिंग अभियान को देरी से शुरू किया।
इसके चलते इस बार अभियान थोड़ा देर से चल रहा था, लेकिन बढ़ते वायु प्रदूषण को देखते हुए निगम ने योजनाबद्ध तरीके से फॉगिंग न करके केवल उन स्थानों पर फॉगिंग के निर्देश दिए गए हैं जहां मच्छर जनित बीमारियों के मरीज सामने आ रहे हैं। या फिर जो इलाके मच्छरजनित बीमारियों के लिए संवेदनशील है केवल वहां पर ही फॉगिंग होगी।
चार लीटर डीजल को एक घंटे में कर देती है खत्म
प्रत्येक फॉगिंग मशीन में पांच लीटर की टंकी होती है। इसमें निगम के कर्मी एक बार में 3.8 लीटर डीजल और 5 फीसद मैलाथियोन मिलाते हैं। अगर, यह मशीन लगातार एक घंटे चलाई जाए तो यह सारा चार लीटर का डीजल और रसायन खर्च हो जाएगा। इससे बहुत ज्यादा प्रदूषण भी होगा। ऐसा तीनों नगर निगमों में प्रत्येक दिन एक हजार से ज्यादा मशीनों में होता है। इसलिए निगम फॉगिंग की मात्रा सीमित करने का फैसला लिया है।
डेंगू के तीन से ज्यादा आ चुके हैं मामले
बीते सप्ताह तक यानि 10 अक्टूबर तक राजधानी में डेंगू के 300 से ज्यादा मामले आ चुके हैं तो वहीं मलेरिया के 189 मरीज आ चुके हैं। हर सप्ताह मच्छरजनित बीमारियों के 100 के करीब मरीज सामने आ रहे हैं। इसमें सर्वाधिक डेंगू के मरीज दक्षिणी निगम इलाके से हैं। 316 में 114 डेंगू के मरीज दक्षिणी इलाके से हैं। वहीं दूसरे स्थान पर उत्तरी निगम इलाके से 90 और पूर्वी निगम 28 मरीज सामने आ चुके हैं।
पांच वर्षों में राजधानी में मच्छरजनित बीमारियों का प्रकोप
वर्ष-मलेरिया-डेंगू-चिकनगुनिया
2016-454-4431-7760
2017-577-4726-559
2018-473-2798-165
2019-713-2036-293
2020-189-316-71
(2016 से लेकर 2019 के आंकड़े प्रत्येक वर्ष एक जनवरी से लेकर 31 दिसंबर तक के)
(2020 के आंकड़े एक जनवरी से लेकर 10 अक्टूबर तक के )
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