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कचरे पर राजनीतिः BJP ने आप पर फोड़ा ठीकरा, कांग्रेस ने केजरीवाल को बताया छोटे मोदी

केन्द्र के अनुसार संवैधानिक व्यवस्था के तहत राज्य सरकार को कर व अन्य मद से जुटाए गए धन का एक हिस्सा स्थानीय निकायों को उपलब्ध कराना होता है। इसमें केंद्र की कोई जिम्मेदारी नहीं है।

By Amit SinghEdited By: Published: Wed, 10 Oct 2018 04:04 PM (IST)Updated: Wed, 10 Oct 2018 08:39 PM (IST)
कचरे पर राजनीतिः BJP ने आप पर फोड़ा ठीकरा, कांग्रेस ने केजरीवाल को बताया छोटे मोदी
कचरे पर राजनीतिः BJP ने आप पर फोड़ा ठीकरा, कांग्रेस ने केजरीवाल को बताया छोटे मोदी

नई दिल्ली, जेएनएन। सुप्रीम कोर्ट की तल्ख टिप्पणी के बावजूद केंद्र ने पूर्वी दिल्ली में फैले कचरे का ठीकरा दिल्ली सरकार के सिर पर फोड़ दिया है। केंद्र सरकार का कहना है कि पूरे देश में स्थानीय निकायों को फंड के आवंटन के लिए संवैधानिक दिशा-निर्देश तय हैं। दिल्ली सरकार इनका खुला उल्लंघन कर रही है। हालत यह है कि दिल्ली के नगर निगमों को अब भी तीसरे दिल्ली वित्त आयोग की अनुशंसा के अनुरूप फंड का आवंटन किया जा रहा है, जबकि पांचवें दिल्ली वित्त आयोग की अनुशंसा रिपोर्ट को दिल्ली सरकार दबाए बैठी है।

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दिल्ली के नगर निगमों को तत्काल फंड जारी नहीं करने पर सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणी के बारे में पूछे जाने पर गृह मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इस संबंध में अदालत को जल्द ही हलफनामा दाखिल कर स्थिति से अवगत करा दिया जाएगा।

उन्होंने इन आरोपों से साफ इन्कार कर दिया कि केंद्र सरकार दिल्ली के नगर निगमों के लिए तय फंड का आवंटन नहीं कर रही है। उनके अनुसार, संवैधानिक व्यवस्था के तहत राज्य सरकार को कर व अन्य मद से जुटाए गए धन का एक हिस्सा स्थानीय निकायों को उपलब्ध कराना होता है। इसमें केंद्र की जिम्मेदारी का कोई प्रावधान नहीं है।

गृह मंत्रालय ने पूर्वी दिल्ली नगर निगम के बदहाल हालात के लिए पूरी तरह से दिल्ली सरकार को जिम्मेदार ठहराया। उनके अनुसार, दिल्ली को राज्य का दर्जा दिए जाने के बाद राज्य के संसाधनों में से निकायों का हिस्सा तय करने के लिए 1995 में दिल्ली वित्त आयोग का गठन किया गया था।

इसके बाद लगातार नगर निगमों को इसके अनुरूप हिस्सा मिलता रहा। तीसरे दिल्ली वित्त आयोग ने 2007 में रिपोर्ट दी थी और इसके आधार पर 2011 तक दिल्ली के नगर निगमों को फंड का आवंटन किया जाना था। 2013 में चौथे दिल्ली वित्त आयोग ने अपनी रिपोर्ट दे दी। दिल्ली सरकार ने अब तक इसके अनुरूप निगमों को फंड का आवंटन नहीं किया है।

तीसरे दिल्ली वित्त आयोग की अनुसंशा के अनुरूप अभी पूर्वी दिल्ली नगर निगम को सालाना केवल 590.66 करोड़ रूपये मिल रहे हैं। चौथे आयोग की अनुसंशा के अनुरूप में उन्हें 1730.93 करोड़ रुपये यानी 1140.27 करोड़ रुपये अतिरिक्त मिलते। बात यहीं तक सीमित नहीं है। खुद केजरीवाल सरकार ने 2015 में पांचवें वित्त आयोग का गठन किया था, जिसने एक साल पहले ही रिपोर्ट दे दी है। बावजूद, अब तक इस रिपोर्ट को सार्वजनिक तक नहीं किया गया है।

वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि दिल्ली सरकार को बार-बार चौथे वित्त आयोग के अनुरूप निगमों को फंड का आवंटन करने के लिए कहा गया है। दिल्ली सरकार कोई-न-कोई बहाना बनाकर वह इसे टालती रही है। उनके अनुसार, दिल्ली सरकार निगमों को उनका वाजिब हक देने के लिए भी केंद्र के साथ सौदेबाजी करने की कोशिश करती रही है।वहीं, केंद्र ने साफ कर दिया कि राज्य के संसाधनों से स्थानीय निगमों की फंडिंग की जिम्मेदारी दिल्ली सरकार की है और इसके लिए संवैधानिक तंत्र मौजूद है। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार को अपनी संवैधानिक जिम्मेदारी का निवर्हन करना चाहिए।

पूर्वी दिल्ली नगर में हड़ताल पूरी तरह समाप्त

पूर्वी दिल्ली नगर निगम के सफाई कर्मचारियों की हड़ताल आखिरकार मंगलवार को 29वें दिन पूरी तरह से समाप्त हो गई। बुधवार को सभी कर्मचारी काम करेंगे। निगम आयुक्त डॉ. पुनीत गोयल ने सफाई कर्मचारियों की यूनियन के नेताओं के साथ निगम मुख्यालय में देर शाम बैठक की। इसमें उन्होंने अस्थायी कर्मचारियों को स्थायी करने की मांग को मानते हुए आदेश जारी कर दिए। साथ ही सफाई कर्मचारियों को दीपावली से बोनस और दो डीए देने का भी आश्वासन दिया। इसके बाद कर्मचारियों ने हड़ताल वापस ले ली।

आप और भाजपा ने घटाया नगर निगमों का बजट : अजय माकन

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने नगर निगमों के बजट घटाए जाने पर भाजपा और आम आदमी पार्टी दोनों को ही कठघरे में खड़ा किया है। मंगलवार को ट्वीट कर उन्होंने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को छोटे मोदी की संज्ञा भी दी। माकन ने कहा कि अरविंद केजरीवाल उर्फ छोटे मोदी जी, आप ने झूठ बोलने का टेंडर ले रखा है क्या? 2013-14 में कांग्रेस ने तीनों नगर निगमों को 11.76 फीसद बजट दिया था। केंद्र की भाजपा व दिल्ली की आप सरकार ने इसे घटाकर 2.60 फीसद कर दिया है। अगर कांग्रेस के बराबर बजट दिया जाता तो इस साल नगर निगमों को 2015 करोड़ मिलते।


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