दिल्ली दंगा को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने बिना डरे की त्वरित व प्रभावी कार्रवाई
कोर्ट दिल्ली दंगा व इस दौरान विभिन्न दलों के नेताओं द्वारा दिए गए भड़काऊ भाषण से जुड़ी विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है।दायर हलफनामे में पुलिस ने पीठ को बताया कि 758 मामलों में से 367 में आरोप पत्र दायर किए गए हैं और 384 में जांच लंबित है।
नई दिल्ली [विनीत त्रिपाठी]। दिल्ली दंगे से जुड़ी जनहित याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट में दिल्ली पुलिस ने हलफनामा दाखिल करके कहा कि फरवरी 2020 में उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए दंगे को नियंत्रित करने एवं जान-माल को बचाने के लिए पुलिस ने बिना किसी डर या पक्ष के पेशेवर तरीके से त्वरित व प्रभावी कार्रवाई की थी। पुलिस ने कहा कि उनके द्वारा की गई त्वरित कार्रवाई के कारण ही हिंसा को कुछ दिनों में ही नियंत्रित करने के साथ ही उसे एक क्षेत्र में सीमित किया जा सका। पुलिस ने मुख्य न्यायाधीश डीएन पटेल व न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ को बताया कि इन मामलों की जांच वरिष्ठ अधिकारियों की निगरानी में पेशेवर और वैज्ञानिक रूप से की जा रही है। मामले में आगे की सुनवाई चार फरवरी को होगी।
दिल्ली हाई कोर्ट दिल्ली दंगा व इस दौरान विभिन्न दलों के नेताओं द्वारा दिए गए भड़काऊ भाषण से जुड़ी विभिन्न याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। अधिवक्ता अमित महाजन और रजत नायर के माध्यम से दायर हलफनामे में पुलिस ने पीठ को बताया कि 758 मामलों में से 367 में आरोप पत्र दायर किए गए हैं और 384 में जांच लंबित है।
तीन मामलों को बंद करने के लिए अदालतों में रद्दीकरण रिपोर्ट दायर की गई है और चार को हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। दर्ज किए गए 758 मामलों में से उत्तर-पूर्व जिला पुलिस द्वारा 695 मामलों की जांच की जा रही है। हत्या आदि जैसी बड़ी घटनाओं से संबंधित 62 मामलों को अपराध शाखा को स्थानांतरित कर दिया गया था। दिल्ली में सांप्रदायिक दंगों की इंजीनियरिंग के पीछे बड़ी साजिश के एक मामले की जांच स्पेशल सेल में की जा रही है।
पुलिस ने यह भी कहा कि प्रदर्शनकारियों द्वारा नागरिकता संशोधन कानून के विरोध में सड़कों की नाकेबंदी के दौरान दिल्ली पुलिस सतर्क रही और विरोध आगे न बढ़े यह सुनिश्चित करने का प्रयास किया। पुलिस ने कहा कि सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए पर्याप्त बल की तैनाती और क्षेत्र के सम्मानित नागरिकों को शामिल करने सहित गंभीर प्रयास किए गए थे।
पुलिस ने यह हलफनामा दिल्ली हाई कोर्ट के 25 नवंबर 2021 के आदेश के तहत दाखिल किया। पीठ ने पुलिस को दंगों से उत्पन्न आपराधिक मामलों की नवीनतम स्थिति पर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया था। अदालत ने इस मामले से जुड़ी अन्य याचिकाओं को भी इसी मामले में क्लब कर दिया था। जिसमें आरोप लगाया गया था कि कांग्रेस अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा, उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया समेत अन्य पर भड़काऊ भाषण दिए थे।
वहीं, याचिकाकर्ता अजय गौतम की जनहित याचिका दायर कर दिल्ली दंगा मामले की जांच गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम के तहत राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआइए) से जांच कराने की मांग की है। उन्होंने मांग की है कि आंदोलन के पीछे राष्ट्र विरोधी ताकतों का पता लगाने के लिए केंद्र सरकार को एनआइए से जांच कराने का निर्देश दिया जाए।