दिल्ली में गुमशुदा बच्चों को तलाशने पर होगा प्रमोशन, वर्दी पर बढ़ेगें सितारे
एक साल के दौरान 14 साल से कम उम्र के 15 बच्चों और 8 साल से कम उम्र के पांच यानी कुल 20 बच्चों को ढूंढने पर पुलिस कर्मियों को असाधारण कार्य पुरस्कार दिया जाएगा।
नई दिल्ली [राकेश कुमार सिंह]। राजधानी दिल्ली में सक्रिय बच्चा चोर गिरोह के शिकार हुए परिवारों में एक बार फिर खुशियां लौटने की उम्मीद जगी है। दिल्ली पुलिस गुमशुदा बच्चों को तलाशने के लिए सख्ता हो गई है। इसके लिए जहां हर महीने गुमशुदा बच्चों के मामलों की मॉनिटरिंग की जाएगी। वहीं एक साल में 50 गुमशुदा बच्चों को ढूंढने वाले सिपाही और हवलदार को पदोन्नति देकर प्रोत्साहित किया जाएगा। पुलिस आयुक्त एसएन श्रीवास्तव ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है।
दिल्ली में प्रतिदिन करीब 20 बच्चे गायब होते हैं। इनमें 17 फीसद बच्चों को पुलिस ढूंढ नहीं पाती है। इनमें ज्यादातर बच्चे संगठित गिरोह के हाथ लगने की वजह से मिल नहीं पाते हैं। वहीं बच्चा चोर गिरोह के लोग इन्हें बदमाशों को बेच देते हैं, जिसके बाद इन्हें अपराध की दुनिया में ढकेल दिया जाता है। इधर गुमशुदा बच्चों के परिजनों की भी यह शिकायत रहती है कि पुलिस बच्चों को तलाशने में गंभीरता नहीं दिखाती है। इसकी वजह से उनके बच्चे मिल नहीं पाते हैं।
ऐसे में पुलिस आयुक्त श्रीवास्तव ने पूर्व पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक के स्थायी आदेश में बड़ा संशोधन किया है। इसके मुताबिक अब एक साल में 14 साल से कम उम्र के 35 व 8 साल से कम उम्र के 15 यानी 50 गुमशुदा बच्चों को ढूंढने पर पदोन्नति दी जाएगी। इसमें सिपाही को आउट ऑफ टर्न पदोन्नति देकर हवलदार और हवलदार को एएसआइ बना दिया जाएगा। दिल्ली पुलिस में भगोड़े बदमाशों को पकड़ने पर आउट ऑफ टर्न प्रमोशन देने का पहले से ही प्रावधान है।
20 बच्चों को ढूंढा तो किया जाएगा पुरस्कृत
एक साल के दौरान 14 साल से कम उम्र के 15 बच्चों और 8 साल से कम उम्र के पांच यानी कुल 20 बच्चों को ढूंढने पर पुलिस कर्मियों को असाधारण कार्य पुरस्कार दिया जाएगा। तीन असाधारण कार्य पुरस्कार मिलने पर पुलिस कर्मी को आटउ ऑफ टर्न प्रमोशन दिया जाएगा। इसमें पुलिसकर्मियों का पिछले तीन वर्ष का कार्य भी देखा जाएगा।
गुमशुदा बच्चों को ढूंढने के लिए एसीपी हर महीने करेंगे जांच
पुलिस आयुक्त का कहना है कि दिल्ली पुलिस गुमशुदा बच्चों को ढूंढने के लिए सख्ती से काम कर रही है। इसके लिए प्रभारी एसीपी हर महीने कम से कम एक बार गायब हुए बच्चों के रजिस्टर की जांच करेंगे। इसके बाद बच्चों के संबंध में रिकॉर्ड सीसीटीएनएस और जिपनेट पर अपडेट जानकारी देंगे। आयुक्त ने बताया कि यह भी जांच कराई जा रही है कि पहले कहां कमी रही, ताकि आगे उन्हें दूर किया जा सके।
दो माह में गायब हुए 724 बच्चे
इस साल जून व जुलाई दो महीने में 724 बच्चे गायब हुए हैं। इसमें आठ साल से कम उम्र के 32 लड़के और 17 लड़कियां गायब हुई हैं। 8 से 12 साल की उम्र के 41 लड़के ओर 20 लड़कियां गायब हुईं। वहीं, 12 से 18 साल के 99 लड़के और 515 लड़कियां गायब हुई हैं। इसमें से 537 को ढूंढ लिया गया है।
बच्चों को ढूंढने की दर में आ रही तेजी
दिल्ली से लापता हो रहे बच्चों को ढूंढने के लिए दिल्ली पुलिस अब तत्परता से काम करना शुरू कर दिया है। 2019 में मई तक चार महीने के आंकड़े को देखे तो दिल्ली के विभिन्न इलाकों से 2,324 बच्चे लापता हो गए थे। जिनमें 1,241 को ढूंढ लिया गया। 1,089 को पुलिस नहीं ढूंढ पाई। ओवर ऑल के पिछले कुछ सालों के आंकड़े को देखा जाए तो दिल्ली से हर दिन करीब 20 बच्चे लापता होते हैं। इनमें 17 फीसद को पुलिस नहीं ढूंढ पाती है।
पुराने आंकड़े को देखा जाए तो 2008-2017 के दौरान 2 लाख 15,216 बच्चे गायब हुए, जिनमें 60,210 बच्चों को ढूंढ लिया गया। एक लाख 12 हजार 465 का पता नहीं लगा पाई। इस साल जून व जुलाई दो महीने के आंकड़े को देखें तो आठ साल से कम उम्र के 32 मेल 17 फीमेल, 8-12 साल के 41 मेल व 20 फीमेल, 12-18 साल के 99 मेल व 515 फीमेल गायब हुए। यानी दो महीने में 724 बच्चे लापता हुए। इनमें 537 को ढूंढ लिया गया।