केजरीवाल सरकार को नहीं रास आया LG का पीसीए गठन का फैसला, मंत्री भड़के
पीसीए गठन को लेकर दिल्ली सरकार ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए फैसले को वापस लेने की अपील की है। इस संबंध में गृहमंत्री सत्येंद्र जैन ने उपराज्यपाल अनिल बैजल को कड़ा पत्र लिखा है।
नई दिल्ली, जेएनएन। उपराज्यपाल अनिल बैजल ने पुलिस शिकायत प्राधिकरण (पीसीए) का गठन कर दिया है। इस संबंध में गत 11 दिसंबर को राजनिवास की ओर से अधिसूचना जारी कर दी गई है। उधर, दिल्ली सरकार ने इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए फैसले को वापस लेने की अपील की है। इस संबंध में गृहमंत्री सत्येंद्र जैन ने उपराज्यपाल अनिल बैजल को कड़ा पत्र लिखा है।
सत्येंद्र जैन ने अपने पत्र में कहा है कि पीसीए के गठन का मामला दिल्ली हाई कोर्ट में विचाराधीन है। कोर्ट की डिवीजन खंडपीठ ने 12 अक्टूबर को निर्देश दिया था कि इस मामले में किसी भी प्रकार का फैसला या कार्रवाई किए जाने पर उसकी जानकारी कोर्ट को देनी होगी। जैन ने कहा है कि हमारी जानकारी में यह आया है कि उपराज्यपाल के निर्देशों पर पीसीए के लिए अध्यक्ष और सदस्यों का गठन 11 दिसंबर को कर दिया गया है। उन्होंने उपराज्यपाल से अनुरोध किया है कि वह इस अधिसूचना को वापस लें। बता दें कि पीसीए गठित करने के उपराज्यपाल के फैसले के खिलाफ आप विधायक संजीव झा कुछ माह पहले हाई कोर्ट चले गए थे। उनकी याचिका पर हाई कोर्ट ने केंद्र को नोटिस जारी कर जवाब मागा था। याचिका में दलील दी गई थी कि उपराज्यपाल ने बिना आप सरकार से मशविरा किए ही पीसीए गठित कर दिया।
पीएस तेजी बनाए गए चेयरमैन
पीसीए गठन के संबंध में जारी अधिसूचना के अनुसार, दिल्ली हाई कोर्ट के पूर्व न्यायमूर्ति पीएस तेजी को प्राधिकरण का चेयरमैन, जबकि पूर्व आइएएस नूतन गुहा विश्वास व पूर्व आइपीएस पी. कामराज को सदस्य बनाया गया है। पीएस तेजी 1995 में दिल्ली हायर ज्यूडिशियल सर्विस से जुड़े। उन्होंने एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज, एडिशनल सेशन जज, स्पेशल जज सहित अन्य महत्वपूर्ण पदों पर काम किया। वर्ष 2009 में उन्हें डिस्ट्रिक्ट जज से स्पेशल जज, पीसी एक्ट (सीबीआइ) से डिस्ट्रिक्ट एंड सेशन जज (ईस्ट) बनाया गया। गत 13 अगस्त को वह सेवानिवृत्त हो गए। वहीं, नूतन गुहा विश्वास यूटी कैडर की आइएएस रही हैं। वह दिल्ली सरकार में भी लंबी सेवा दे चुकी हैं। पूर्व आइपीएस पी. कामराज भी दिल्ली पुलिस में महत्वपूर्ण पदों पर रहे हैं।
पीसीए करेगा यह काम
पीसीए राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पुलिसकर्मियों के खिलाफ गंभीर कदाचार के आरोपों को देखेगा और उनकी स्वत: जाच करेगा। यह पीड़ित, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, उपराज्यपाल, दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव या प्रधान सचिव की ओर से प्राप्त शिकायत पर तफ्तीश करेगा।