जाफराबाद में अशांति माहौल के बीच पुलिस ने बदली रणनीति मिली सफलता
जाफराबाद में बदली हुई रणनीति के कारण शुक्रवार को करीब तीन घंटे तक चले प्रदर्शन में किसी तरह का कोई उपद्रव नहीं हुआ।
नई दिल्ली [स्वदेश कुमार]। नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन को लेकर पुलिस पहले से सतर्क थी। अमन कमेटियों के साथ बैठकें हो रही थीं। इसके बावजूद जाफराबाद में मंगलवार को प्रदर्शन के दौरान हिंसा हो गई। इसमें 15 पुलिसकर्मियों सहित 22 लोग घायल हो गए। कई वाहनों में तोड़फोड़ और आगजनी की गई। इस हिंसा के बाद पुलिस ने अपनी रणनीति बदल ली। इसी बदली हुई रणनीति के कारण शुक्रवार को करीब तीन घंटे तक चले प्रदर्शन में किसी तरह का कोई उपद्रव नहीं हुआ। जबकि भीड़ मंगलवार की तुलना में कई गुणा अधिक थी। यह भीड़ जामा मस्जिद की तरफ जाने वाली थी, लेकिन पुलिस ने इसे सीलमपुर लाल बत्ती पर ही रोक दिया।
दरअसल शुक्रवार को जुमे की नमाज होने के कारण पुलिस को बड़े पैमाने पर प्रदर्शन की आशंका थी। इसी वजह से पुलिस ने एक दिन पहले से रणनीति पर काम शुरू कर दिया था। पहले सभी थानों से जुड़े अमन कमेटी के सदस्यों के साथ बैठक की गई। इसके बाद मस्जिद और मदरसों के इमामों और मौलवियों से संपर्क किया गया। इसके लिए पुलिस अधिकारी खुद रात में सीलमपुर और जाफराबाद के मदरसों में बैठक कर रहे थे। कुछ समाजसेवियों को भी पुलिस ने अपने साथ जोड़ा। करीब पांच सौ लोगों की ऐसी टीम तैयार हुई ,जो पुलिस से अलग थी। प्रदर्शन के दौरान ये लोग भीड़ में शामिल थे। जहां कहीं भी कोई उग्र होने की कोशिश कर रहा था, ये लोग उन्हें शांत कर रहे थे।
इनमें कुछ लोग किनारे पर खड़े होकर भी भीड़ को लगातार शांति से प्रदर्शन करने की अपील कर रहे थे। इन्हीं लोगों ने शाम की नमाज सड़क पर पढ़नी शुरू की तो माहौल ठंडा होने लगा। लोग भी साथ में ही नमाज पढ़ने लगे। सीलमपुर के प्रतिष्ठित लोगों से अपील करवाई गई। इनमें जाफराबाद की मदीना मस्जिद के इमाम मौलाना शकील शामिल थे। इनकी अपील के बाद ही भीड़ छंटनी शुरू हुई, लेकिन तीन घंटे में भीड़ को नियंत्रित और संयमित रखने की पुलिस की रणनीति सफल रही।
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