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Pitru Amavasya 2022: पितृ अमावस्या आज, पितरों की शांति के लिए भोजन व जल अर्पण करने में इन बातों का रखें ध्यान

Pitru Amavasya 2022 पितृ पक्ष का समापन 25 सितंबर यानी रविवार को है। इसके बाद यानी 26 सितंबर से नवरात्र आरंभ हो जाएंगे। पितृ अमावस्या पर पूर्वजों से समृद्धि कल्याण और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए अनुष्ठान किया जाता है।

By JagranEdited By: Pradeep Kumar ChauhanPublished: Sun, 25 Sep 2022 06:05 AM (IST)Updated: Sun, 25 Sep 2022 06:05 AM (IST)
Pitru Amavasya 2022: पितृ अमावस्या आज, पितरों की शांति के लिए भोजन व जल अर्पण करने में इन बातों का रखें ध्यान
Pitru Amavasya 2022: श्राद्ध में पितरों को खुश करने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए।

नई दिल्ली, जागरण डिजिटल डेस्क। Pitru Amavasya 2022: पितृ अमावस्या आज है और श्राद्ध का रविवार को पितरों को भोजन व जल अर्पण करने का आखिरी दिन है। रविवार को ही पितरों की आत्मशांति के लिए दिल्ली-एनसीआर समेत अन्य जगहों से लाखों श्रद्वालु गंगा में डुबकी लगाएंगे और अपने पितरों को जल अर्पण करेंगे। इसके साथ ही अपने घर पर भी लोग पितृ अमावस्या को पितरों को शांति के लिए 16 पत्तों पर भोजन निकालकर जल का अर्पण करेंगे।

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दरअसल, पितृ पक्ष का समापन 25 सितंबर यानी रविवार को है। इसके बाद यानी 26 सितंबर से नवरात्र आरंभ हो जाएंगे। पितृ अमावस्या पर पूर्वजों से समृद्धि, कल्याण और आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए अनुष्ठान किया जाता है।

गाजियाबाद के श्यामपार्क एक्सटेंशन स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर के पंडित ने बताया कि पितृ अमावस्या के दिन ज्ञात-अज्ञात पितरों का श्राद्ध किया जाता है। यानी जिन पितरों का नाम याद न हो या उनके बारे में कोई जानकारी न हो ऐसे पितरों का श्राद्ध अमावस्या को करते हैं। पंडित ने बताया कि सोमवार को पहला नवरात्र है। इसलिए सुबह 8 बजे से पहले ही विधि-विधान से पूजा अर्चना के साथ अपने घर के पूजा स्थल के पास कलश स्थापित करें। नवरात्र के पहले दिन मां दुर्गा के शैलपुत्री रूप की पूजा अर्चना होगी।

ऐसे करें तर्पण

मान्यता के मुताबिक तालाब, नदी या अपने घर में व्यवस्था अनुसार जवा, तिल,गंगाजल, वस्त्र आदि सामग्री के द्वारा पितरों की शांति, ऋषि एवं सूर्य को प्रसन्न करने के लिए तर्पण किया जाता है। इसलिए श्रद्धा के साथ पितरों का आह्वान करना चाहिए। पितृ अमावस्या को ध्यान रखना चाहिए कि भोजन व जल अर्पण में कोई चूक न हो।

वृक्षों का विशेष महत्व

पौराणिक मान्यताओं के आधार पर पूर्वजों की आत्माएं भटकती रहती है। जिससे कुंडली में पितृदोष का योग बनता है जो दैहिक, दैविक तथा भौतिक कष्टों का कारक बनता है l पूर्वजों की आत्मा शांति और पितृदोष दूर करने का सबसे सुगम तथा सरल तरीका श्राद्ध में पितरों की नामराशि का राशि वृक्ष रोपित करना बहुत जरूरी होता हैl

नामराशि के राशिवृक्ष निम्न प्रकार है-मेष राशि- विजयसार, वृष राशि- चितवन, मिथुन राशि- चंपा, कर्क राशि- अशोक, सिंह राशि- पाडल, कन्या राशि- आम, तुला राशि- मौलश्री, वृश्चिक राशि- ढाक, धनु राशि- सेमल, मकर राशि- शीशम, कुम्भ राशि- कदम्ब तथा मीन राशि का दिव्यवृक्ष विल्व होता है। जिसको पूरे विधिविधान से रोपित कर पेड़ बनने तक पोषित करना चाहिए।

पितृ रूष्ट होने से आता है संकट

पंडित  ने बताया कि श्राद्ध में पितरों को खुश करने के लिए हर संभव प्रयास करना चाहिए। श्राद्ध में ब्राहमणों को भोजन कराने से भी विशेष आर्शीवाद प्राप्त होता है। पितरों को खुश करने से ही परिवार में सुख व शांति रहती है। ऐसी मान्यता है कि अगर पितर रुष्ट हो जाए तो मनुष्य को जीवन में कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

पितरों की अशांति के कारण धन हानि और संतान पक्ष से समस्याओं का भी सामना करना पड़ता है। संतान-हीनता के मामलों में ज्योतिषी पितृदोष को अवश्य देखते हैं। ऐसे लोगों को पितृ अमावस्या के दौरान परम्परागत और पौराणिक विधि से श्राद्ध अवश्य करना चाहिए।


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