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शराब की बोतलों पर चेतावनी छापने की मांग करते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर

याचिकाकर्ता अधिवक्ता ने आगे संविधान के अनुच्छेद 21 और 47 की भावना में नशीले पेय और ड्रग्स के उत्पादन वितरण और खपत से लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण पर पड़ रहे प्रभाव का आकलन करने के लिए दिल्ली सरकार को निर्देश जारी करने की मांग भी की है।

By Ashish GuptaEdited By: Prateek KumarPublished: Sat, 26 Feb 2022 03:09 PM (IST)Updated: Sat, 26 Feb 2022 03:09 PM (IST)
शराब की बोतलों पर चेतावनी छापने की मांग करते हुए हाई कोर्ट में याचिका दायर
याचिका में बताया दिल्ली में 2015 तक निकाय क्षेत्र में कुल 280 वार्ड में केवल 250 शराब की दुकानें थीं।

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। राजधानी में नशीले पेय और सामग्री के उत्पादन, वितरण और खपत को प्रतिबंधित या नियंत्रित करने के लिए दिल्ली सरकार को निर्देश जारी करने की मांग करते हुए हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय ने संविधान के अनुच्छेद 21 में दिए गए स्वास्थ्य का अधिकार को सुरक्षित रखने का हवाला देते हुए याचिका में सिगरेट की डिब्बी की तरह शराब की बोतलों पर चेतावनी के रूप में स्वास्थ्य के लिए हानिकारक जैसी पंक्ति छापने को निर्देश देने का भी आग्रह किया गया है।

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दिल्ली सरकार को निर्देश जारी करने की मांग

याचिकाकर्ता अधिवक्ता ने आगे संविधान के अनुच्छेद 21 और 47 की भावना में नशीले पेय और ड्रग्स के उत्पादन, वितरण और खपत से लोगों के स्वास्थ्य और पर्यावरण पर पड़ रहे प्रभाव का आकलन करने के लिए दिल्ली सरकार को निर्देश जारी करने की मांग भी की है।

हर वार्ड में तीन दुकान से स्वास्थ्य के अधिकार की गांरटी का उल्लंघन

याचिका में कहा गया है कि दिल्ली में 2015 तक निकाय क्षेत्र में कुल 280 वार्ड में केवल 250 शराब की दुकानें थीं। यानी 250 वार्ड में महज एक-एक शराब की दुकान थी और 30 वार्ड में यह दुकानें ही नहीं थी। अब हर वार्ड में तीन शराब की दुकानें खोलने की तैयारी है, जो न केवल मनमाना और तर्कहीन है, बल्कि संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत नियम और स्वास्थ्य के अधिकार की गारंटी का उल्लंघन है।


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