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जानिए, कौन है रोहिंग्या मुसलमान, दिल्‍ली में सड़क पर उतरे लोग

रोहिंग्या मुसलमान की घुसपैठ की आंच दिल्‍ली तक पहुंच गई है। यहां अखंड भारत मोर्चा ने रोहिंग्या मुसलमान की घुसपैठ के खिलाफ पैदल मार्च निकाल कर विरोध प्रदर्शन किया।

By Edited By: Published: Sun, 10 Sep 2017 09:55 PM (IST)Updated: Mon, 11 Sep 2017 11:39 AM (IST)
जानिए, कौन है रोहिंग्या मुसलमान, दिल्‍ली में सड़क पर उतरे लोग
जानिए, कौन है रोहिंग्या मुसलमान, दिल्‍ली में सड़क पर उतरे लोग

नई दिल्ली [ जेएनएन ]। रोहिंग्या मुसलमान की घुसपैठ की आंच दिल्‍ली तक पहुंच गई है। यहां अखंड भारत मोर्चा ने रोहिंग्या मुसलमान की घुसपैठ के खिलाफ पैदल मार्च निकाल कर विरोध प्रदर्शन किया।

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इस दौरान मोर्चा के पदाधिकारियो व कार्यकर्ताओ ने रोहिंग्या मुसलमान की घुसपैठ के खिलाफ नारेबाजी की। उन्होने सरकार से मांग की कि रोहिंग्या मुसलमान देश के लिए खतरा हैं, इन्हे हर हाल मे भारत की सीमा से दूर खदेड़ा जाए।

पैदल मार्च मधुबन चौक शुरू हुआ और विकास मार्ग मेन बाजार होते लक्ष्मीनगर मेट्रो चौक पर समाप्त हुआ। इस मौके पर प्रदर्शनकारियो ने अधिवक्ता प्रशांत भूषण का पुतले जलाया।

मार्च का नेतृत्व मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष संदीप आहूजा ने किया। इस मौके पर आयोजित सभा में आहूजा ने केंद्र की मोदी सरकार से मांग करते हुए कहा कि म्यांमार (वर्मा) से नजदीकी बढ़ाने के चक्कर में भारत में जनसांख्यिकीय बदलाव (डेमोग्राफिक चेंज) न करे।

इससे भारी असंतुलन हो जाएगा, जो हिंदूओं के लिए घातक होगा। रोहिंग्या मुसलमान को वीजा न दिया जाए। आहूजा ने शंका जताते हुए कहा कहा कि अब हमें और अधिक मुस्तैदी रखनी होगी, क्योकि बांग्लादेश इन घुसपैठियो को अवैध रूप से बेस उपलब्ध करवा कर उनकी भारत में घुसपैठ करवा रहा है।

सरकारी आंकड़ो के अनुसार रोहिंग्या मुसलमान की संख्या 40 हजार है, जबकि वास्तविक संख्या इससे बहुत अधिक है। जम्मू कश्मीर की सरकार द्वारा जम्मू में इनको बसाना एक बहुत बड़ा षड्यंत्र है।

आहूजा ने रोष व्यक्त करते हुए कहा कि यह भारत का दुर्भाग्य है कि कश्मीरी पंडित अपने ही देश में निर्वासित जीवन जीने पर मजबूर हैं। वही दूसरी ओर 15 हजार रोहिंग्या मुसलमान को जम्मू में बसा भी दिया गया है। प्रशांत भूषण जैसे वकील जोकि कश्मीर को तोड़ने के पक्षधर हैं, इन घुसपैठियो को शरणार्थियो का दर्जा दिलाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा रहे हैं, यह देश के साथ गद्दारी है।

अखंड भारत मोर्चा द्वारा निकाले गए पैदल मार्च व प्रदर्शन में काफी संख्या में लोगो ने हिस्सा लिया और सरकार से मांग की कि इस गंभीर समस्या को नजरअंदाज नही करे। देशहित में फैसला लेकर घुसपैठ पर पूरी तरह से रोक लगाया जाए।

रोहिंग्या कौन हैं?

म्यांमार की बहुसंख्यक आबादी बौद्ध है. म्यांमार में एक अनुमान के मुताबिक़ 10 लाख रोहिंग्या मुसलमान हैं। इन मुसलमानों के बारे में कहा जाता है कि वे मुख्य रूप से अवैध बांग्लादेशी प्रवासी हैं। सरकार ने इन्हें नागरिकता देने से इनकार कर दिया है। हालांकि ये म्यामांर में पीढ़ियों से रह रहे हैं। रखाइन स्टेट में 2012 से सांप्रदायिक हिंसा जारी है। इस हिंसा में बड़ी संख्या में लोगों की जानें गई हैं और एक लाख से ज्यादा लोग विस्थापित हुए हैं।

बड़ी संख्या में रोहिंग्या मुसलमान आज भी जर्जर कैंपो में रह रहे हैं। रोहिंग्या मुसलमानों को व्यापक पैमाने पर भेदभाव और दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ता है। लाखों की संख्या में बिना दस्तावेज़ वाले रोहिंग्या बांग्लादेश में रह रहे हैं। इन्होंने दशकों पहले म्यांमार छोड़ दिया था।


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