Shaheen Bagh protest: 100 दिन से ज्यादा समय तक चले धरने से त्रस्त हो गया था दिल्ली-एनसीआर
दिल्ली-नोएडा मार्ग पूरी तरह से बंद हो जाने के कारण कालिंदी कुंज से होकर नोएडा ग्रेटर नोएडा व फरीदाबाद आने-जाने वाला पूरा ट्रैफिक डीएनडी की ओर डायवर्ट हो गया था। इससे डीएनडी व रिंग रोड पर यातायात का दबाव काफी बढ़ गया था।
नई दिल्ली [अरविंद कुमार द्विवेदी]। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) व राष्ट्रीय नागरिकता रजिस्टर (एनआरसी) के विरोध में शाहीन बाग में लगभग चार महीने तक चले धरना-प्रदर्शन को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि इस प्रकार सार्वजनिक स्थल पर प्रदर्शन के लिए कब्जा स्वीकार्य नहीं है। इस धरने के कारण से दिल्ली-नोएडा मार्ग पर दिल्ली-एनसीआर के लाखों लोगों की दिनचर्या बुरी तरह प्रभावित हुई थी।
दिल्ली-नोएडा मार्ग पूरी तरह से बंद हो जाने के कारण कालिंदी कुंज से होकर नोएडा, ग्रेटर नोएडा व फरीदाबाद आने-जाने वाला पूरा ट्रैफिक डीएनडी की ओर डायवर्ट हो गया था। इससे डीएनडी व रिंग रोड पर यातायात का दबाव काफी बढ़ गया था। नतीजतन नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद व पूर्वी दिल्ली से दक्षिणी दिल्ली आने-जाने वाले लोगों को भारी जाम का सामना करना पड़ा। वहीं, बदरपुर की ओर से नोएडा आने-जाने वाले लोगों को भी मथुरा रोड होते हुए पहले डीएनडी जाना पड़ता था। इस कारण मथुरा रोड पर भी सरिता विहार से लेकर आश्रम तक भयंकर जाम लग जाता था। नोएडा, अक्षरधाम व सराय काले खां से दक्षिणी दिल्ली आने वाले लोगों को डीएनडी से ही भयंकर जाम का सामना करना पड़ता था। सीएए व एनआरसी के विरोध में हौजरानी व निजामुद्दीन बस्ती में भी धरना शुरू हुआ था। यहां भी प्रदर्शनकारी सड़क पर धरना देना चाहते थे, लेकिन पुलिस ने समय रहते उन्हें सड़क से हटा दिया था।
बच्चे नहीं जा पाए थे स्कूल
धरने के कारण नोएडा, ग्रेटर नोएडा से दिल्ली आने वाले लोग आगरा कैनाल से होकर मदनपुर खादर गांव में होते हुए सरिता विहार के लिविंग स्टाइल मॉल के सामने निकलते थे। लेकिन, गांव के संकरे मार्गों में यातायात का दबाव कई गुना बढ़ जाने से गांव पूरी तरह से चोक हो जाता था। इस कारण गांव में महीनों तक कूड़ा उठाने के लिए निगम की गाड़ी नहीं आ पाई थी, सीवर की मरम्मत के लिए कर्मचारी नहीं आ पाए थे। इससे लोगों को सीवर ओवरफ्लो की समस्या का सामना करना पड़ा था। धरने के कारण, न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी, सरिता विहार, मदनपुर खादर, आली गांव, जसोला, सुखदेव विहार, कालिंदी कॉलोनी के बच्चे महीनों तक स्कूल नहीं जा पाए थे।
शाहीन बाग मार्केट का चौपट हो गया कारोबार
धरने के कारण शाहीन बाग मार्केट की दुकानें करीब चार माह तक बंद रहीं। यहां जूते, कपड़े, स्पोट्र्स एसेसरीज से लेकर तमाम चीजों की बड़ी-बड़ी कंपनियों के कई शोरूम थे। प्रदर्शन के कारण ये सब बंद रहे जिससे दुकानदारों को लाखों का घाटा हुआ। कोविड-19 के कारण लगे लॉकडाउन के कारण 24 मार्च को पुलिस ने धरना तो हटा दिया, लेकिन कुछ दुकानें तो हमेशा के लिए बंद हो गईं। शाहीन बाग के साथ ही जामिया मिल्लिया इस्लामिया के सामने भी महीनों धरना चला था, जिस कारण सुखदेव विहार, न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी आदि के लोग परेशान रहे थे।
धरने के विरोध में होने लगे थे धरने
शाहीन बाग व जामिया मिल्लिया इस्लामिया धरने से लोग इतना परेशान हो गए थे कि वे इसके विरोध में भी धरने पर बैठने लगे थे। हालांकि पुलिस ने अनुरोध कर उन्हें धरने से हटा दिया था। धरने के विरोध में शाहीन बाग में एक युवक ने गोली भी चला दी थी, हालांकि इससे कोई घायल नहीं हुआ था। वहीं, जामिया मिल्लिया इस्लामिया में भी एक युवक ने गोली चलाई थी, जिससे एक प्रदर्शनकारी घायल हो गया था। इन धरनों की वजह से क्षेत्र में काफी तनाव बढ़ गया था।
सभी वार्ताएं रहीं बेनतीजा
सुप्रीम कोर्ट ने 17 फरवरी को वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े व अधिवक्ता साधना रामचंद्रन को वार्ताकार नियुक्त करते हुए उन्हें प्रदर्शनकारियों से बातचीत कर सड़क खुलवाने को कहा था। पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्ला को दोनों पक्षों में बातचीत का माहौल बनाने के लिए नियुक्त किया गया था। पांच बार वार्ताकार बातचीत के लिए शाहीन बाग पहुंचे, लेकिन इसका कोई सकारात्मक परिणाम नहीं निकला। वार्ताकारों ने सुप्रीम कोर्ट में बंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट सौंप दी थी।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला एकदम सही है। किसी को भी सड़क पर इस तरह से धरने की इजाजत नहीं मिलनी चाहिए। शाहीन बाग धरने के कारण लाखों लोगों को परेशानी हुई थी। इसके कारण हमारे गांव के सैकड़ों बच्चे स्कूल नहीं जा पाए थे। पुलिस को सुनिश्चित करना चाहिए कि ऐसी स्थिति दोबारा न उत्पन्न हो।
Coronavirus: निश्चिंत रहें पूरी तरह सुरक्षित है आपका अखबार, पढ़ें- विशेषज्ञों की राय व देखें- वीडियो