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सुप्रीम कोर्ट के आदेश का होगा पालन, लेकिन- ग्रीन पटाखों के बारे में लोगों को नहीं है जानकारी

ग्रीन पटाखों का स्टॉक तो दूर अभी पटाखा विक्रेताओं से लेकर अधिकारियों और आमजन को यह तक नहीं पता कि ग्रीन पटाखे होते क्या हैं।

By Edited By: Published: Fri, 02 Nov 2018 07:59 PM (IST)Updated: Fri, 02 Nov 2018 06:59 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट के आदेश का होगा पालन, लेकिन- ग्रीन पटाखों के बारे में लोगों को नहीं है जानकारी
सुप्रीम कोर्ट के आदेश का होगा पालन, लेकिन- ग्रीन पटाखों के बारे में लोगों को नहीं है जानकारी

फरीदाबाद, प्रवीन कौशिक। दिवाली का पर्व नजदीक है लेकिन पटाखों के लाइसेंस के लिए एक भी आवेदन जिला प्रशासन के पास नहीं आया है। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-एनसीआर में केवल ग्रीन पटाखे फोड़ने के आदेश दिए हैं। इसलिए इस बार बारूद वाले पटाखा विक्रेताओं को लाइसेंस जारी नहीं किया जाएगा। चूंकि यहां ग्रीन पटाखों का स्टॉक तो दूर अभी पटाखा विक्रेताओं से लेकर अधिकारियों और आमजन को यह तक नहीं पता कि ग्रीन पटाखे होते क्या हैं।

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संबंधित थाना प्रभारी की जिम्मेदारी तय
दिल्ली-एनसीआर में लगातार बढ़ रहे प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने ग्रीन पटाखे ही चलाने के आदेश दिए हैं। इसके लिए संबंधित थाना प्रभारी की जिम्मेदारी तय की है। अगर दिवाली पर आम पटाखे फोड़े गए तो इसे कोर्ट की अवमानना करार दिया जाएगा और थाना प्रभारी पर कार्रवाई करने के आदेश हैं।

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चोरी-छिपे बिकते हैं पटाखे
बेशक सुप्रीम कोर्ट ने आम पटाखों की बिक्री पर बैन लगाया है लेकिन गली-मोहल्ले से लेकर कई बाजार में अभी चोरी-छिपे पटाखा बिकना शुरू हो गए हैं। कई जगह पटाखों के फोड़ने की आवाजें आ रही हैं। पिछले साल भी पटाखों की बिक्री पर बैन होने के बावजूद इन्हें खूब फोड़ा गया था। इसलिए इस बार थाना प्रभारी के लिए पटाखों की बिक्री और इन्हें फोड़ने से रोकना बड़ी चुनौती होगी।

नहीं आया है आवेदन
नगराधीश बलीना का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार केवल ग्रीन पटाखे बेचने वालों को ही लाइसेंस जारी किया जाएगा। इसके लिए पेट्रोलियम एक्सप्लोसिव सेफ्टी ऑर्गनाइजेशन द्वारा जारी किया गया सर्टिफिकेट जरूरी है। फिलहाल एक भी आवेदन नहीं आया है। 

हर हाल में होगा सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन
एसडीएम, बल्लभगढ़ राजेश कुमार का कहना है कि हमारे यहां ग्रीन पटाखों का स्टॉक है ही नहीं। इसलिए आवेदन नहीं आ सके हैं। इसके लिए काफी पहले से ही तैयारी करनी पड़ती है। इसलिए आवेदन आने की संभावना काफी कम है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश का पालन हर हाल में कराया जाएगा। 


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