जुनूनी युवाओं की बदौलत पर्यटकों को लुभाने लगा है शाहजहांनाबाद
पुरानी दिल्ली में पले-बढ़े युवाओं की कोशिश ला रही रंग, देशी विदेशी पर्यटक दलों को करा रहे हैं भ्रमण, बता रहे विशेषताएं।
नई दिल्ली (नेमिष हेमंत)। पुरानी दिल्ली की अपनी विशेष पहचान है। खान-पान, रहन-सहन और मिजाज सबकुछ खास है। यहां की हर गली और हवेली एक इतिहास लिए हुए है। संकरी गलियों में बसे शाहजहांनाबाद की विशेषताओं को देश-दुनिया के सामने लाने के अभियान में पुरानी दिल्ली के कुछ युवा जुट गए हैं। पुरानी दिल्ली के ऐसे कई ऐसे युवा हैं जो गाइड बनकर देशी-विदेशी पर्यटकों को वास्तविक शाहजहांनाबाद से परिचित करा रहे हैं।
जामा मस्जिद, लाल किला और चांदनी चौक तक ही सिमटी पुरानी दिल्ली की पहचान को आकार देते हुए इसमें तुर्कमान गेट, मटिया महल, सुईवालान, चितली कबर जैसे अनजान इलाकों को भी ये युवा शामिल कर रहे हैं। ये वे जगह हैं, जहां अभी भी पुरानी दिल्ली का मुगलई अंदाज जिंदा है और सांसें ले रहा है। जो युवा इस मुहिम में लगे हैं, उनमें कई नौकरीपेशा हैं तो कुछ ने इसे ही पेशे के रूप में अपना लिया है। इस तरह पुरानी दिल्ली के युवाओं के लिए जहां रोजगार का एक विकल्प बढ़ा है वहीं पर्यटकों के संकरी गलियों तक जाने से वहां के लोगों के लिए भी आय के साधन बढे़ हैं।
युवाओं ने दल बना रखा है और देशीविदेशी पर्यटकों के लिए हवेलियों और घरों में समारोह आयोजित कराकर पुरानी दिल्ली के लोगों से उनका संवाद बढ़ा रहे हैं। इन युवाओं के मुताबिक, पुरानी दिल्ली घूमने आए पर्यटकों के साथ अक्सर बाहरी गाइड होते हैं, जिनका शाहजहांनाबाद को लेकर ज्ञान सीमित होता है। ऐसे में वह सुनी सुनाई बातों का जिक्र कर इसका गलत इतिहास बताते हैं। यह उन्हें खराब लगता था। ऐसे में उन्होंने खुद पर्यटकों की सहायता करने का फैसला किया।
शौकिया गाइड और एक बहुराष्ट्रीय कंपनी में नौकरी करते जव्वाद इकबाल के मुताबिक यह आसान नहीं था। एक साल पहले जब यह करने के लिए सोचा था तब कोई अनुभव नहीं था, लेकिन अब वह विषय आधारित पर्यटन के लिए पर्यटक गु्रप का नेतृत्व करते हैं। शाहजहांनाबाद से पहले की दिल्ली, गालिब की दिल्ली, पुरानी दिल्ली की हवेलियां और खान-पान जैसे विषय हैं। संकरी गलियों का टूर अमूमन चार से पांच घंटे का होता है। एक दल में 20 से 25 पर्यटक होते हैं। एक साल में वह 200 से अधिक पर्यटकों को इन गलियों का दीदार करा चुके हैं।
मिलवाते हैं बुजुर्ग लोगों से
इनके दल में पुरानी दिल्ली के बुजुर्ग भी शामिल हैं, जिनसे पर्यटक दलों को मिलवाते हैं। उनकी जुबानी ट्रांसलेशन
के जरिये पर्यटक वास्तविक मुगलई दिल्ली को जानते हैं। घरों और हवेलियों में भी घुमाने के साथ रहन-सहन और घर के जायके से परिचित कराया जाता है। पतंगबाजी और कबूतर प्रेम से भी परिचित कराया जाता है।
बाहरी गाइड पुरानी
दिल्ली के बारे में पर्यटकों को भ्रामक जानकारी देते थे। इसलिए संकरी गलियों की विशेषता और संस्कृति से बाहरी दुनिया को परिचित कराने का हम सबने जिम्मा उठाया है।- जव्वाद इकबाल, टूर प्रबंधक,
दिल्ली वालों की बातें
पहले पर्यटकों की सूची में अजमेरी गेट, तुर्कमान गेट, चावड़ी बाजार की तवायफों की गली, सीताराम बाजार, कला मस्जिद आदि नहीं थे, लेकिन अब ये भी पसंदीदा जगह बन रहे हैं। -एम मेहताब राही, सीनियर वॉक लीडर/प्लानर दिल्ली बाई फुट
टेक्नोसेवी हैं ये युवा
ये युवा सोशल मीडिया के जरिए पुरानी दिल्ली में पर्यटन बढ़ाने का काम कर ररहे हैं। ये खुद ही वेबसाइट बनाकर देशी-विदेशी पर्यटकों से संपर्क साध रहे हैं तो डाटा एनालिसिस का उपयोग भी कर रहे हैं। माउथ पब्लिसिटी भी काम आ रही है। यहां से जाने के बाद पर्यटक दूसरों को भी यहां आने का सुझाव देता है।