पैदल चलने में दिल्ली में लगता है डर, ताजा आकड़ों में सामने आई हैरान करने वाली बात
ताजा आकड़ों के मुताबिक, देश की राजधानी दिल्ली में सड़क हादसों में पैदल चलने वालों की मौत के मामलों में इस साल तकरीबन 10 फीसद का इजाफा हुआ है।
नई दिल्ली, जेएनएन। दिल्ली की सड़कों पर पैदल चलना काफी खतरनाक हो चुका है। ताजा आकड़े इस बात की तस्दीक भी कर रहे हैं। पैदल चलने वालों को लेकर जारी ताजा आकड़ों के मुताबिक, दिल्ली की सड़कें राहगीरों के लिए पहले से भी ज्यादा खतरनाक बन गईं हैं। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह यह सामने आई है कि दिल्ली में ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन जमकर हो रहा है।
ताजा आकड़ों के मुताबिक, देश की राजधानी दिल्ली में सड़क हादसों में पैदल चलने वालों की मौत के मामलों में इस साल तकरीबन 10 फीसद का इजाफा हुआ है। बताया जा रहा है कि ताजा आकड़ों से विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के उस अभियान को तगड़ा झटका लगा है। बता दें कि डब्ल्यूओ ने चार साल बाद यानी वर्ष 2020 तक दिल्ली समेत पूरे देश में सड़क हादसों में 50 फीसद तक की कमी लाने और सड़कों को राहगीरों और साइकिल यात्रियों के लिए सुरक्षित बनाने का लक्ष्य निर्धारित किया था।
ताजा आकड़ों के मुताबिक, इस साल अब तक दिल्ली में साइकिल सवारों और दुपहिया चालकों की सड़क दुर्घटना में कमी आई है। वहीं, स्वयं दुर्घटना में दोषी और अज्ञात वाहनों की टक्कर से होने वाली मौतों के मामलों में काफी इजाफा हुआ है। ऐसे में मौतों का आकड़ा बढ़ा है।
दिल्ली यातायात विभाग के मुताबिक, राजधानी दिल्ली में वर्ष 2017 में 15 सितंबर तक सड़क हादसों में जहां 469 राहगीरों की मौत हुई थी, वहीं इस साल 15 सितंबर तक यह संख्या 513 तक पहुंच गई है। आकड़े बता रहे हैं कि पिछले साल की तुलना में इस साल 44 पैदल चलने वालों की मौत ज्यादा हुई है। वहीं, 15 सितंबर, 2017 तक जहां सड़क हादसों में 52 साइकिल से चलने वालों की मौत हुई थी, वहीं इस साल 39 लोगों की मौत हुई।
पैदल यात्रियों की मौत सबसे ज्यादा रिंग रोड, आउटर रिंग रोड, एनएच-8, एनएच-24, एनएच-1 जैसे हाईस्पीड सिग्नल फ्री इलाकों में हुई हैं। हैरानी की बात है कि जेब्रा क्रॉसिंग, फुट ओवरब्रिज, पैडस्ट्रियल सिग्नल, प्रॉपर लाइटिंग जैसी कमी भी इसके लिए जिम्मेदार है।
फुटपाथ तो दूर, यहां पर सड़क पर चलना भी मुश्किल है। आपकी जरा सी चूक आपकी जान पर भारी पड़ सकती है। फुटपाथ की जगह को चायनीज फूड के ठेले लगाने वालों ने घेर रखा है। इससे पैदल निकलने के लिए सड़क ही एकमात्र विकल्प है। जिससे तेज रफ्तार वाहनों से दुर्घटना की आशंका हमेशा बनी रहती है। ऐसे में पैदल चलना मुश्किल और खतरनाक है। यहां पर राहगीरों को तेज रफ्तार वाहनों के साथ सड़क पर चलना पड़ता है। सड़क के किनारे चलने के लिए जगह ही नहीं बची है। शाम में पार्क घूमने आने वाले लोगों को मजबूरी में सड़क पर चलना पड़ता है। यहां पर ठेले वालों के कब्जे के कारण अक्सर जाम भी लग जाता है। ऐसे में वाहन चालक भी परेशान होते है।