साइबर अपराध के जरिए धोखाधड़ी पर प्रतिबंध लगाने की पेटीएम ने की मांग
हाई कोर्ट में दाखिल जवाब में ट्राई ने मुख्य न्यायमूर्ति डीएन पटेल व न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ के समक्ष जवाब दाखिल किया। हालांकि पीठ ने कहा कि शपथ पत्र अभी रिकॉर्ड पर नहीं है
नई दिल्ली [ विनीत]। विभिन्न मोबाइल नेटवर्क के माध्यम से साइबर अपराध के जरिए धोखाधड़ी करने वाले उपभोक्ताओं को टेलीकॉम कंपनियों द्वारा ब्लाक नहीं किए जाने का आरोप लगाते हुए पेटीएम द्वारा दायर याचिका को दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने गलत बताया है।
मामले की सुनवाई 14 जुलाई तक के लिए स्थगित
दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल जवाब में ट्राई ने मुख्य न्यायमूर्ति डीएन पटेल व न्यायमूर्ति प्रतीक जालान की पीठ के समक्ष जवाब दाखिल किया। हालांकि, पीठ ने कहा कि शपथ पत्र अभी रिकॉर्ड पर नहीं है। पीठ ने यह कहते हुए सुनवाई को 14 जुलाई के लिए स्थगित कर दी कि इस मामले में केंद्र समेत अन्य टेलीकॉम कंपनियों द्वारा दाखिल किए गए शपथ पत्र का परीक्षण करना है।
बगैर दस्तावेज के नहीं मिलेंगे सिम कार्ड
पिछली सुनवाई पर पीठ ने दूरसंचार मंत्रालय, ट्राई समेत एयरटेल, रिलायंस जियो, एमटीएनएल और वोडाफोन जैसी प्रमुख टेलीकॉम कंपनियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। केंद्र सरकार ने अपने शपथ पत्र में कहा कि उन्होंने निर्देश जारी किया है कि यह सुनिश्चित किया जाए कि बगैर दस्तावेजों की जांच किए सिम कार्ड न जारी हो।
साइबर अपराध पर प्रतिबंध की मांग
पेटीएम चलाने वाली वन-97 कम्युनिकेशन कंपनी ने याचिका दायर कर मोबाइल नेटवर्क के जरिए साइबर अपराध करने वालों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की थी। याचिका के अनुसार कई लोग किसी कंपनी का प्रतिनिधि बताकर लोगों को फोन, ईमेल या फिर अन्य माध्यमों से बैंक अकाउंट, पासवर्ड या क्रेडिट कार्ड की जानकारी लेकर धोखाधड़ी करते हैं।
100 करोड़ का हुआ नुकसान
याचिका के अनुसार पेटीएम को इससे सौ करोड़ रुपए का आर्थिक नुकसान हुआ है और उसकी प्रतिष्ठा को भी ठेस पहुंच रही है। याचिका के अनुसार इसे लेकर नियम-कानून भी है, लेकिन इसके बावजूद अपराधियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। याचिका में कंपनी को 100 करोड़ का मुआवजा दिलवाने की भी मांग की गई है।