एम्स में मरीजों का आरोप, इलाज के लिए मिल रहा समय; दर-दर भटकने को मजबूर
गंभीर बीमारियों से पीडि़त मरीज दर-दर भटकने को मजबूर हैं लेकिन एम्स प्रशासन इस मामले पर बोलने को तैयार नहीं है।
नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। कोरोना के इलाज पर अस्पतालों में इन दिनों विशेष ध्यान दिया जा रहा है, लेकिन अन्य बीमारियों से पीडि़त मरीजों की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं। कहने को तो अस्पतालों में ओपीडी सेवा सामान्य हो चुकी है। एम्स में ओपीडी दोबारा शुरू हुए करीब तीन माह हो चुके हैं, फिर भी एम्स में इलाज कराना मरीजों के लिए आसान नहीं। मरीजों को ऑनलाइन या फोन करने पर भी ओपीडी में इलाज के लिए समय नहीं मिल पाता।
गंभीर बीमारियों से पीडि़त मरीज दर-दर भटकने को मजबूर हैं, लेकिन एम्स प्रशासन इस मामले पर बोलने को तैयार नहीं है। उल्लेखनीय है कि 25 जून को एम्स में दोबारा ओपीडी शुरू हुई थी, तब सभी सिर्फ पुराने मरीजों को देखने की व्यवस्था की गई। इसके तहत सभी विभागों में 15 पुराने मरीज देखने का प्रावधान किया गया। बाद में 15 जुलाई से सभी विभागों में 30 नए मरीजों का इलाज शुरू कर दिया गया। तब एम्स द्वारा कहा गया ओपीडी सेवा को चरणबद्ध तरीके से धीरे-धीरे बढ़ाया जाएगा। साथ ही ऑनलाइन या फोन पर समय लेकर पहुंचने वाले मरीजों को ही ओपीडी में इलाज का प्रावधान किया गया है।
असल समस्या यह है कि कोरोना का संक्रमण शुरू होने से पहले एम्स में प्रतिदिन दिन करीब 12 हजार मरीज इलाज के लिए पहुंचते थे। ओपीडी में कोई प्रतिबंध नहीं था। वही अब ओपीडी में इलाज के लिए मरीजों की संख्या इतनी कम निर्धारित है कि अभी मरीजों को ऑनलाइन समय भी नहीं मिल पा रहा। फोन से भी सिर्फ पुराने मरीजों को समय मिल पाता है। इस वजह से नए मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
इस बारे में एम्स के एक वरिष्ठ डॉक्टर ने कहा कि नए मरीजों को समय देने के लिए अलग से फोन नंबर जारी किया गया है, जो संस्थान की वेबसाइट पर दर्ज है। सुबह 9:30 से शाम पांच बजे के बीच उस नंबर पर कॉल करके इलाज के लिए समय लिया जा सकता है। इसके बाद ऑनलाइन एक विशेष नंबर जेनरेट करना पड़ता है। समस्या यह है कि इन दिनों ऑनलाइन विशेष नंबर भी जेनरेट नहीं हो पाता।
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