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मनेठी एम्स के बनने से दिल्ली पर कम होगा दबाव, इन क्षेत्रों के लोगों को होगा फायदा

यहां एम्स खुलने का सबसे अधिक लाभ दक्षिण हरियाणा के रेवाड़ी, महेंद्रगढ़, भिवानी, रोहतक व गुरुग्राम आदि कई जिलों के अलावा राजस्थान के झुंझुनु, अलवर व सीकर जिलों के लोगों को भी मिलेगा।

By Edited By: Published: Fri, 01 Feb 2019 09:03 PM (IST)Updated: Sat, 02 Feb 2019 03:49 PM (IST)
मनेठी एम्स के बनने से दिल्ली पर कम होगा दबाव, इन क्षेत्रों के लोगों को होगा फायदा
मनेठी एम्स के बनने से दिल्ली पर कम होगा दबाव, इन क्षेत्रों के लोगों को होगा फायदा

रेवाड़ी [महेश कुमार वैद्य]।  आने वाले समय में दिल्ली पर मरीजों का दबाव कम करने में हरियाणा की अहम भूमिका रहेगी। झज्जर के बाढ़सा में नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट खुलने से कुछ राहत तो मिल चुकी है, लेकिन यहां के मनेठी में एम्स खुलने से नई दिल्ली स्थित एम्स पर हर दृष्टि से दबाव कम हो जाएगा। मनेठी (कुंड) न केवल दिल्ली-अहमदाबाद व मुंबई से सीधा रेलमार्ग से जुड़ा हुआ है, बल्कि रेवाड़ी-नारनौल-जैसलमेर जैसा महत्वपूर्ण राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 11 भी मनेठी होकर ही गुजरता है।

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यह हाईवे जल्दी ही चारमार्गी बनने जा रहा है। यहां पर एम्स खुलने का सबसे अधिक लाभ दक्षिण हरियाणा के रेवाड़ी, महेंद्रगढ़, भिवानी, रोहतक व गुरुग्राम आदि कई जिलों के अलावा राजस्थान के झुंझुनु, अलवर व सीकर जिलों के लोगों को भी मिलेगा। अरावली पर्वत श्रंखला से घिरे इस पिछड़े क्षेत्र में एम्स आने से व्यवसायिक बहार भी आ जाएगी।

दिल्ली एम्स की स्थिति चिंताजनक
रोगियों की संख्या के मामले में दिल्ली एम्स की स्थिति चिंताजनक है। दिल्ली एम्स में पांच वर्ष में पांच गुना मरीज बढ़ चुके हैं, लेकिन उसी अनुपात में बिस्तरों की संख्या नहीं बढ़ी है। वर्ष 2017-18 के आंकड़ों को आधार मानकर बात करें तो दिल्ली एम्स में पांच साल में 56.26 फीसद रोगी बढ़ चुके हैं, जबकि बेड दोगुना भी नहीं हुए।

नहीं बढ़ी बेड की संख्‍या
पांच साल पहले कुल 2 हजार 428 बेड थे जबकि गत वर्ष यह संख्या महज 2 हजार 478 थी। हालांकि अब इनकी संख्या में कुछ बढ़ोतरी हुई है, लेकिन यह संख्या मरीजों की बढ़ोतरी की तुलना में काफी कम है। वर्ष 2013-14 में एम्स और उसके नौ अन्य सेंटरों (एम्स परिसर में छह और एनसीआर में तीन) की ओपीडी में कुल 27 लाख 86 हजार 754 मरीज पहुंचे थे।

25 लाख मरीजों का है दवाब
इसमें सबसे अधिक 25 लाख दो हजार मरीज एम्स के दिल्ली परिसर पहुंचे थे। वर्ष 17-18 में एम्स और उसके सभी नौ आउटरीच सेंटरों की ओपीडी में कुल 43 लाख 55 हजार 338 मरीज पहुंचे। इनमें एम्स के दिल्ली परिसर में कुल 35 लाख 9 हजार मरीज पहुंचे। कुल मिलाकर वर्ष 13-14 की तुलना में वर्ष 2017-18 में एम्स में 15 लाख 68 हजार 584 मरीज अधिक पहुंचे। मरीजों के दबाव का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है इस समय एम्स दिल्ली में सर्जरी का औसत प्रतिदिन 500 से अधिक है।

झज्जर के बाढ़सा में राष्ट्रीय कैंसर संस्थान में सर्जरी शुरू होने से दिल्ली एम्स को कुछ राहत मिली है, लेकिन असली समस्या का समाधान मनेठी एम्स से होगा।

दिल्ली एम्स में मरीज (लाख में) वर्ष मरीजों की संख्या

  • 2017-18     43.55
  • 2016-17    41.40
  • 2015-16    35.33
  • 2014-15    33.41
  • 2013-14    27.86

नोट: बाढ़सा स्थित नेशनल कैंसर इंस्टीट्यूट में 2020 तक 710 बेड का लक्ष्य है।


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