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अस्पताल की अमानवीयताः फोर्टिस में पैसे के अभाव में नहीं दी दवा, मरीज की गई जान

दिल्ली से सटे नोएडा सेक्टर-62 स्थित फोर्टिस अस्पताल में बुधवार को शव न देने का आरोप लगाते हुए मृतक के परिजनों ने जमकर हंगामा किया।

By JP YadavEdited By: Published: Thu, 20 Sep 2018 09:30 AM (IST)Updated: Thu, 20 Sep 2018 09:30 AM (IST)
अस्पताल की अमानवीयताः फोर्टिस में पैसे के अभाव में नहीं दी दवा, मरीज की गई जान
अस्पताल की अमानवीयताः फोर्टिस में पैसे के अभाव में नहीं दी दवा, मरीज की गई जान

नोएडा (जेएनएन)। दिल्ली से सटे नोएडा सेक्टर-62 स्थित फोर्टिस अस्पताल में बुधवार को शव न देने का आरोप लगाते हुए मृतक के परिजनों ने जमकर हंगामा किया। परिजनों का आरोप है कि इलाज के दौरान पैसे जमा करने में देरी होने पर डाक्टरों ने मरीज को दवा देनी बंद कर दी। इसके चलते उसकी की मौत हो गई।

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बुलंदशहर के तहसील गुलावटी गांव कोटा में रहने वाले आकाश शर्मा ने बताया कि बीते नौ सितंबर को उनके मामा अरविंद शर्मा गाजियाबाद के लालकुआं के पास एक सड़क हादसे में गंभीर रूप से घायल हो गए थे। हादसे की सूचना मिलने पर परिजन उन्हें गंभीर हालत में लेकर फोर्टिस अस्पताल पहुंचे। यहां पहले अस्पताल प्रशासन ने इसे सड़क हादसा बताकर मरीज को यहां भर्ती करने से मना कर दिया, लेकिन परिजनों के काफी विनती करने पर मरीज को अस्पताल में भर्ती कर लिया गया।

आकाश शर्मा का आरोप है कि सब कुछ ठीक ही चल रहा था और मरीज की हालत में भी लगातार सुधार हो रहा था। लेकिन दो दिन पहले उन्हें फोन करके बताया गया कि मरीज के इलाज में लगने वाला खर्च ओवर हो चुका है। इसीलिए मरीज का इलाज कराने के लिए आपको पहले 1 लाख 88 लाख हजार रुपये जमा कराने होंगे।

परिजनों का आरोप है वे पहले ही इलाज के दौरान साढ़े छह लाख रुपये अस्पताल में जमा कर चुके थे, इसीलिए उन्होंने बाकी पैसों का इंतजाम करने के लिए अस्पताल प्रबंधन से कुछ दिन का समय मांगा। लेकिन अस्पताल प्रशासन ने ऐसा करने से मना कर दिया और मरीज को दवा देनी बंद कर दी। इसके चलते मंगलवार रात साढ़े 11 बजे मरीज की मौत हो गई। एक्सीडेंटल केस होने के चलते शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है।

आकाश शर्मा  (मृतक का भांजा) का कहना है कि पैसा न जमा होने के कारण पहले दवा नहीं दी और बाद में अस्पताल प्रशासन ने कई घंटों तक शव भी नहीं सौंपा। भारी हंगामे और पुलिस हस्तक्षेप के बाद ही शव को अस्पताल से ले जाने दिया गया।  

फोर्टिस अस्पताल प्रबंधन ने प्रतिक्रिया में कहा कि परिजनों के सभी आरोप बेबुनियाद हैं। ये एक एक्सीडेंटल केस था। इसके चलते दिशा-निर्देशों को पूरा करना होता है, जिसके चलते शव को पहले पुलिस को सौंपा गया, इसी कारण ये देरी हुई। 


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