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बिहार में नाश्‍ता तो बंगाल में खाना, ट्रेन में भूखे और परेशान मजदूरों की मदद के लिए सेवा भारती की पहल

इस ट्रेन का सफर गुरुग्राम से 22 मई को शुरू हुआ था। 1435 यात्रियों को लेकर इसे नागालैंड के दीमापुर तक जाना था। फिर शुरू हुआ मदद करने का सिलसिला।

By Prateek KumarEdited By: Published: Wed, 27 May 2020 07:22 PM (IST)Updated: Wed, 27 May 2020 07:25 PM (IST)
बिहार में नाश्‍ता तो बंगाल में खाना, ट्रेन में भूखे और परेशान मजदूरों की मदद के लिए सेवा भारती की पहल
बिहार में नाश्‍ता तो बंगाल में खाना, ट्रेन में भूखे और परेशान मजदूरों की मदद के लिए सेवा भारती की पहल

नई दिल्ली [नेमिष हेमंत]। श्रमिक को लेकर चल रही ट्रेनें जहां पटरियां भटक जा रही है। ट्रेनों में सवार श्रमिकों के खाना-पानी समेत अन्य मुश्किलों की खबरें आ रही हैं। उस बीच एक ऐसा मामला भी सामने आया है, जब श्रमिक ट्रेन के सभी यात्रियों के खाने-पीने और जरूरतों का इंतजाम सेवा भारती ने अपने जिम्मे ले लिया। सफर में स्वयंसेवकों द्वारा न सिर्फ यात्रियों को खाना-पानी उपलब्ध कराया गया, बल्कि ट्रेन में सफर कर रहे बच्चों के लिए दूध और डाइपर तक का इंतजाम किया गया। बीमार लोगों को दवाएं भी दी गई। यहां तक कि ट्रेन के देरी से चलने पर रेलवे मंत्रालय से आग्रह कर ट्रेन के लिए रास्ता भी आसान किया।

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22 मई से गुरुग्राम से शुरू था सफर

इस ट्रेन का सफर गुरुग्राम से 22 मई को शुरू हुआ था। 1435 यात्रियों को लेकर इसे नागालैंड के दीमापुर तक जाना था। 23 मई को रात में नागालैंड के सेवा भारती के स्वयंसेवकों को संदेश मिला कि गुरुग्राम से निकली इस ट्रेन में खाने-पानी की दिक्कत है। नागालैंड के सेवा भारती के प्रमुख डा. शंकर देव राय ने राष्ट्रीय सेवा भारती टीम से ट्रेन में तकरीबन 40 लोगों और उनके बच्चों के लिए रास्ते में खाना, पानी, दूध, दवा और डाइपर की उपलब्धता का आग्रह किया। समन्वय के लिए कुछ युवाओं के नंबर भी दिए।

500 पैकेट का किया इंतजाम

दिल्ली की सेवा भारती की टीम ने जब युवाओं को फोन कर पूछा तो उन्होंने भोजन के 500 पैकेट का इंतजाम करने का आग्रह किया। टीम ने जब ट्रेन की स्थिति जाननी चाही तो पता चला कि इसमें सभी यात्रियों के सामने खाना और पानी का संकट है। कई परिवारों के साथ बच्चे भी हैं, जिनके लिए दूध और डाइपर की समस्या है। तब सेवा भारती ने इस ट्रेन के यात्रियों को प्राथमिकता पर लेना तय किया।

रेल मंत्रालय के विशेष हस्‍तक्षेप के बाद मिली इजाजत

सेवा भारती के राष्ट्रीय महामंत्री श्रवण कुमार कहते हैं कि ट्रेन में यात्रियों को सहायता पहुंचाने में कई तरह की दिक्कतों का सामना करना पड़ा। सबसे पहली दिक्कत की श्रमिक स्पेशल ट्रेन में कुछ भी बाहर से खाने पीने की व्यवस्था नहीं की जा सकती है। ऐसे में इसके लिए रेलवे मंत्रालय से विशेष हस्तक्षेप का आग्रह किया गया। तब भी कई स्टेशनों पर अवरोध का सामना करना पड़ा। वहीं, इस ट्रेन में लोगों तक राहत पहुंचाने की व्यवस्था जल्दी में करनी थी। तब तक यह ट्रेन बिहार पहुंच गई थी। ऐसे में बिहार व पश्चिम बंगाल के स्वयंसेवकों से संपर्क साधा गया। खासकर सिलीगुड़ी के स्वयंसेवकों ने मदद को बढ़ चढ़कर आगे आएं।

कटिहार में नाश्‍ते का प्रबंध

इस तरह रास्ते में पड़ने वाले स्टेशन कटिहार में जहां यात्रियों के लिए नाश्ता-पानी का प्रबंध किया गया, वहीं न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन पर ट्रेन में सवार सभी यात्रियों के लिए खाने-पीने के साथ बच्चों के लिए दूध व डाइपर का भी इंतजाम किया गया। पाटलिपुत्र व दानापुर में भी नाश्ते का इंतजाम किया गया था, लेकिन वह सभी यात्रियों तक नहीं पहुंच सकी।

हलवाई से तैयार करवाया खाना

जबकि न्यू जलपाईगुड़ी में 1400 से अधिक यात्रियों के लिए खाना तैयार करना आसान नहीं था। ऐसे में वहां यात्रियों का खाना तैयार करने के लिए बकायदा हलवाई लगाए गए। 50-60 स्वयंसेवक सेवा में जुटे रहे। वे सहायता के लिए रविवार सुबह ही स्टेशन पर पहुंच गए। ट्रेन देर से चल रही थी। इसलिए यह दोपहर की जगह रात 9 बजे न्यू जलपाईगुड़ी स्टेशन पहुंची। तब भी वह इंतजार करते मिले।

चार बजे पहुंची दानापुर स्‍टेशन

इसके पहले जब भोर में 4 बजे ट्रेन दानापुर पहुंची और खड़ी हो गई तो रेलवे मंत्रालय व रेलवे पुलिस फोर्स (आरपीएफ) की मदद से उसे वहां से निकलवाया गया। इसी तरह तमाम मुश्किलों के बीच कटिहार स्टेशन पर ट्रेन के यात्रियों के लिए नाश्ता-पानी का प्रबंध किया गया। अगले दिन सोमवार की सुबह यह ट्रेन अपने मंजिल दीमापुर पहुंची।


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