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पार्किंग और कन्वर्जन शुल्क समेत 5 समस्याएं बनी Delhi Mcd Election 2022 में व्यापारियों के लिए मुद्दा

Delhi राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली देश का प्रमुख कारोबारी हब भी है। यहां कई बाजार हैं। इनका सालाना कारोबार हजारों करोड़ रुपये का होगा और इसी हिसाब से GST व आयकर भरते हैं लेकिन ये बाजार ई-कामर्स के साथ कई स्थानीय मूलभूत समस्याओं व शासन-प्रशासन की उदासीनता से जूझ रहे हैं।

By Nemish HemantEdited By: Abhi MalviyaPublished: Thu, 24 Nov 2022 01:39 PM (IST)Updated: Thu, 24 Nov 2022 01:39 PM (IST)
पार्किंग और कन्वर्जन शुल्क समेत 5 समस्याएं बनी Delhi Mcd Election 2022 में व्यापारियों के लिए मुद्दा
मूलभूत समस्याओं व शासन-प्रशासन की उदासीनता से जूझ रहे दिल्ली के बाजार। (फाइल फोटो)

नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली देश का प्रमुख कारोबारी हब भी है। चांदनी चौक, सदर बाजार, चावड़ी बाजार, कश्मीरी गेट, अजमेरी गेट व दरियागंज जैसे थोक बाजार हैं तो कनाट प्लेस, खान मार्केट, सरोजनी नगर, लाजपत नगर जैसे सैकड़ों की संख्या में खुदरा बाजार भी है। जो विभिन्न राज्यों के साथ ही दिल्ली-एनसीआर वालों को जरूरत का सामान मुहैया कराते हैं।

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इनका सालाना कारोबार हजारों करोड़ रुपये का होगा और इसी हिसाब से वस्तु एवं सेवा कर (GST) व आयकर भरते हैं, लेकिन ये बाजार ई-कामर्स के साथ कई स्थानीय मूलभूत समस्याओं व शासन-प्रशासन की उदासीनता से जूझ रहे हैं।

इन बाजारों में अनियोजित विकास, सीलिंग का मंडराता साया, ट्रैफिक जाम, अतिक्रमण व अवैध निर्माण, लटकते बिजली के तार, शौचालय व सफाई में कमी के साथ पेयजल संकट कुछ ऐसी दिक्कतें है जिनका समाधान जल्द निकलना जरूरी है। 

चुनाव में पार्टियां कर रही व्यापारियों को लुभाने की कोशिश

दिल्ली नगर निगम (MCD) का चुनाव आते ही राजनीतिक दलों द्वारा व्यापारियों को लुभाने की कोशिशें एक बार फिर से तेज हो गई है। क्योंकि, व्यापारी, दुकानों पर काम करने वाले कर्मचारी तथा उनका परिवार मिलाकर प्रभावी वोटबैंक बन जाता है। ये 250 में से करीब 76 पर जीत-हार तय करते हैं तो 30 सीटों पर परिणाम प्रभावित करने का दमखम रखते हैं।

ऐसे में इन्हें साधने के लिए प्रमुख राजनीतिक दलों द्वारा कुछ व्यापारियों को टिकट भी थमाया गया है, लेकिन व्यापारी नेताओं की शिकायत है कि राजनीतिक दलों की यह कवायद केवल चुनाव तक ही रहती है। इसके तुरंत बाद से जनप्रतिनिधि उन्हें भूल जाते हैं। स्थिति यह हो जाती है कि फिर उनके दर्शन तक दुर्लभ हो जाते हैं।

चुनाव में व्यापारियों के मुद्दे-

सबसे बड़ा मुद्दा दिल्ली के बाजारों को सीलिंग से मुक्ति दिलाने का है। वर्ष 2006 से शुरू हुए सीलिंग अभियान के चलते वर्तमान में भी 10 हजार से अधिक दुकानें बंद पड़ी है। अभी भी दुकानदारों को कन्वर्जन चार्ज व पार्किंग शुल्क के नोटिस भेजे जाते हैं। इसी तरह पुरानी दिल्ली के थोक बाजारों को एक नया कारोबारी हब विकसित कर वहां स्थानांतरित करने का मामला भी वर्षों से अटका पड़ा है।

कारोबारी संगठन कंफेडरेशन आफ आल इंडिया (कैट) ने इस चुनाव के मद्देनजर व्यापारी चार्टर जारी किया है, जिसे तीनों प्रमुख राजनीतिक दलों को भेजा गया है। उनसे मांग की गई है कि वे अपने चुनाव घोषणा पत्र में न केवल इन मुद्दों को शामिल करें बल्कि पूरा करने के लिए एक समयबद्ध योजना की जानकारी दें।

चुनाव को लेकर व्यापारियों की मांगे

सीलिंग से राहत देने के लिए एमनेस्टी स्कीम लाए। सील हुई दुकानें खोली जाए। -बाजारों में पर्याप्त पार्किंग स्थल विकसित किए जाए। पुरानी दिल्ली के बाजारों को पार्किंग व कन्वर्जन चार्ज से राहत मिले। संपत्तिकर को कम किया जाए तथा साइन बोर्ड व सफाई टैक्स हटे। मास्टर प्लान 2041 में एमसीडी के लिए किए गए प्राविधानों को समयबद्ध पूरा किया जाए। बाजारों में आधारभूत सुविधाओं को विकसित किया जाए।

बाजारों की समस्या को लेकर कैट के महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल का कहना है कि दिल्ली की सारी आर्थिक गतिविधियों का केंद्र व्यापार ही है और दिल्ली में मौटे तौर पर छोटे -बड़े, सूक्ष्म, लघु तथा हर बाजार और रिहायशी कालोनियों में नुक्कड़ की दुकानें होती हैं। दिक्कत यह है कि इनकी तथा बाजार की समस्याओं को किसी भी राजनीतिक दल ने गंभीरता से नहीं लिया है। इसलिए समस्याओं का अंबार लगा हुआ है।

दिल्ली भाजपा के व्यापार प्रकोष्ठ के अध्यक्ष रमेश खन्ना कहते है कि व्यापारियों के दबाव के बाद गृहकर का मुद्दा हल कर दिया गया है। व्यापार लाइसेंस शुल्क मामले में खामियां है। उसे दूर किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर दिल्ली में सीलिंग की कार्रवाई आरंभ हुई थी। हमारी कोशिश है कि इससे दुकानदारों को स्थायी हल मिले। बंद दुकानें खुले। इसपर पार्टी का जोर है। पार्किंग स्थलों का निर्माण हुआ है, लेकिन वह इतने नहीं है। अतिक्रमण का मामले का हल निकालने का प्रयास चल रहा है। ध्यान देने वाली बात है कि यह मामला सुप्रीम कोर्ट में भी लंबित है।

आम आदमी पार्टी (आप)ट्रेड विंग के संयोजक बृजेश गोयल ने कहा कि पिछले 15 सालों से बाजार गंदगी की समस्या से जूझ रहे हैं। MCD को बाजारों में सार्वजनिक शौचालय और पार्किंग स्थल बनाने थे। अधिक समस्या अधिकतर बाजारों में महिलाओं के लिए शौचालय का न होना है। इसी तरह अतिक्रमण गंभीर समस्या है। व्यापार लाइसेंस व कन्वर्जन शुल्क के साथ गृहकर के मामले पर व्यापारियों की गंभीर आपत्तियां है, जिसे दूर नहीं किया जा रहा है। एमसीडी द्वारा लगातार दुकानदारों को नोटिस भेजी जा रही है। ऐसे में व्यापारी सत्ता परिवर्तन के मूड में है।

इसके अलावा भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के महामंत्री हेमंत गुप्ता ने बताया कि अतिक्रमण के साथ ही जाम गंभीर समस्या है। ऐसा इसलिए क्योंकि अधिकतर बाजारों में पार्किंग स्थल नहीं है। इसी तरह तारों का जंजाल है। जिससे बराबर आग लगने की आशंका बनी रहती है। जो पार्टी बाजारों के विकास और व्यापारियों के हित का रोडमैप बताएगी, उसी को मतदान किया जाएगा।

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