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कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता भले ही अपने पिता के पास ज्यादा आराम से रह सकती है लेकिन अमेरिका में रहने से बच्चे को माता-पिता दोनों का प्यार मिलेगा जिससे उसका हर तरह से विकास होगा।
नई दिल्ली, जेएनएन। पति-पत्नी के बीच बच्चों के अभिभावक को लेकर हुए विवाद पर दिल्ली हाई कोर्ट (Delhi High Court) ने दूरगामी परिणाम वाला सुझाव दिया है। न्यायमूर्ति जीएस सिस्तानी व न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने कहा कि किसी बच्चे की मां प्राथमिक देखभाल करती है तो उसका पिता बच्चे को प्यार के साथ निगरानी में रखकर उसका भविष्य संवारता है। मां की तरह पिता की निगरानी जरूरी है। पीठ ने कहा कि एक का नहीं होना बच्चे के पालन पोषण के लिए ठीक नहीं।
न्यायमूर्ति जीएस सिस्तानी व न्यायमूर्ति च्योति सिंह की पीठ ने दो बच्चे के अभिभावक होने का अधिकार देने की मां की मांग को खारिज कर दिया और परिवार अदालत के फैसले को बरकरार रखा।
पीठ ने कहा कि माता-पिता के अलग रहने से बच्चे को मानसिक विकार हो सकता है। बच्चे को पिता का प्यार मिलना बहुत जरूरी है। पीठ ने कहा याचिकाकर्ता भले ही अपने पिता के पास ज्यादा आराम से रह सकती है, लेकिन अमेरिका में रहने से बच्चे को माता-पिता दोनों का प्यार मिलेगा और बेहतर शिक्षा के साथ स्वास्थ्य की देखभाल हो सकेगी।
याचिका के अनुसार महिला ने अमेरिका में युवक से 2006 में शादी की थी। दोनों डेंटिस्ट के तौर पर 2011 से 2016 तक साथ काम कर रहे थे। 2012 में उन्हें अमेरिका में एक बेटी हुई। इसके बाद दोनों के बीच विवाद हो और महिला जब 2016 में अपने भाई की शादी में शामिल होने भारत आई तो यहीं रहने का फैसला किया। इसके बाद उसने सितंबर 2016 में एक बेटे को जन्म दिया।