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हार्ट अटैक होने पर घबराए नहीं, इस हेल्पलाइन नंबर पर फोन करते ही मिलेगी 10 मिनट में मदद

हेल्पलाइन नंबर (14430) पर हार्ट अटैक की सूचना मिलने पर एम्स के प्रशिक्षित पैरामेडिकल कर्मचारी मरीजों के घर पहुंचकर इलाज कर रहे हैं।

By Mangal YadavEdited By: Published: Fri, 19 Jul 2019 04:40 PM (IST)Updated: Fri, 19 Jul 2019 04:40 PM (IST)
हार्ट अटैक होने पर घबराए नहीं, इस हेल्पलाइन नंबर पर फोन करते ही मिलेगी 10 मिनट में मदद
हार्ट अटैक होने पर घबराए नहीं, इस हेल्पलाइन नंबर पर फोन करते ही मिलेगी 10 मिनट में मदद

नई दिल्ली, जेएनएन। हार्ट अटैक के मरीजों को जल्द आपातकालीन चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आइसीएमआर) व एम्स द्वारा शुरू की गई मिशन दिल्ली पहल का असर दिखने लगा है। हेल्पलाइन नंबर (14430) पर हार्ट अटैक की सूचना मिलने पर एम्स के प्रशिक्षित पैरामेडिकल कर्मचारी 15 मरीजों की जान बचा चुके हैं।

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मिशन दिल्ली
मई में आइसीएमआर के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव व एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया ने मिशन दिल्ली के तहत फस्र्ट रिस्पांडर बाइक की शुरुआत की थी। इसके तहत चार बाइकों पर एम्स द्वारा प्रशिक्षित पैरामेडिकल कर्मचारी तैनात किए गए हैं, जो एम्स परिसर के 3 किलोमीटर के दायरे में सक्रिय रहते हैं। इस परियोजना में 12 नर्सिंग कर्मचारी व चार डॉक्टरों को शामिल किया गया है। इसके लिए एम्स में बकायदा कंट्रोल रूम बनाया गया है। लोगों को इसकी जानकारी देने के लिए इलाके में पर्चे बंटवाए गए हैं। इसके अलावा आरडब्ल्यूए के साथ बैठकें भी की गई हैं।

हृदयाघात के बाद शुरुआती 30 मिनट होते हैं कीमती
चिकित्सक कहते हैं कि हृदयाघात होने पर 30 मिनट के भीतर क्लॉट बस्टर इंजेक्शन देना जरूरी होता है। यह इंजेक्शन लगने के बाद 70 फीसद ब्लॉकेज दूर हो जाता है। लेकिन ज्यादातर मरीज इतने कम समय में अस्पताल नहीं पहुंच पाते। 30 से 90 मिनट के अंदर अस्पताल पहुंचने पर प्राइमरी एंजियोप्लास्टी कर मरीज की जिंदगी बचाई जा सकती है। इससे अधिक देर होने पर मरीज को बचा पाना मुश्किल हो जाता है।

फस्र्ट रिस्पांडर बाइक
आइसीएमआर ने शोध परियोजना के रूप में यह पहल शुरू की है। डॉक्टर कहते हैं कि अब लोगों का कॉल आने लगे हैं। सीने में दर्द व हार्ट अटैक के लक्षण महसूस होने पर लोग हेल्पलाइन नंबर पर कॉल करते हैं। ड्यूटी पर मौजूद नर्स द्वारा कॉल फस्र्ट रिस्पांडर बाइक को स्थानांतरित कर दिया जाता है। 10 मिनट में कर्मचारी मौके पर पहुंच जाते हैं और तुरंत ईसीजी कर रिपोर्ट कंट्रोल रूम में भेजते हैं। जहां मौजूद डॉक्टर ईसीजी टीम को इलाज के लिए जरूरी निर्देश देता है। जरूरत पड़ने पर मरीज के घर ही उसे दिल की धमनियों से ब्लॉकेज दूर करने के लिए इंजेक्शन लगाया जाता है।

मरीज की हालत स्थिर होने पर उसे नजदीकी अस्पताल में एंबुलेंस से पहुंचाया जाता है। ताकि उसका आगे का इलाज हो सके। यह ट्रायल सफल होने पर आइसीएमआर इस मॉडल को देश भर में लागू करने की केंद्र सरकार से सिफारिश कर सकता है।

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