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तिहाड़ के जेल संख्या 8 में है दहशत का नेटवर्क, पहले भी बरामद की जा चुकी हैं आपत्तिजनक वस्तुएं

सबसे बड़ा सवाल ये है कि इतनी कड़ी सुरक्षा वाली सेल में मोबाइल पहुंचा कैसे और आतंकी इसका लगातार प्रयोग करता रहा। इसके बाद भी जेल प्रशासन को इसकी भनक कैसे नहीं लगी जाहिर है इसमें कहीं न कहीं तो जेल कर्मियों की लापरवाही रही है।

By Mangal YadavEdited By: Published: Sat, 13 Mar 2021 12:59 PM (IST)Updated: Sat, 13 Mar 2021 12:59 PM (IST)
तिहाड़ के जेल संख्या 8 में है दहशत का नेटवर्क, पहले भी बरामद की जा चुकी हैं आपत्तिजनक वस्तुएं
जब एक आतंकी की सेल से मोबाइल और सिम मिलता है। ऐसे में जेल प्रशासन पर सवाल उठना लाजिमी है।

नई दिल्ली [गौतम कुमार मिश्रा]। इंडियन मुजाहिदीन के आतंकी की सेल से मोबाइल और सिम मिलने के बाद एक बार फिर तिहाड़ जेल देशभर में सुर्खियों में आ गई है। हालांकि, तिहाड़ की जेल संख्या आठ और नौ में पहले भी दहशत का नेटवर्क सक्रिय रहा है। इससे पहले यहां न सिर्फ मोबाइल और ड्रग्स बरामद किया जा चुका है, बल्कि चाकू से गोदकर एक कैदी की हत्या करने का मामला भी पिछले साल ही सामने आ चुका है। तिहाड़ की जेल संख्या आठ और नौ की सुरक्षा बेहद कड़ी रहती है। दरअसल, यहां जो कैदी हैं, वह बेहद ही संगीन मामलों में सजा काट रहे हैं। ऐसे में यहां जेल प्रशासन को हर समय सतर्क रहने के निर्देश रहते हैं।

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इसके बावजूद यहां से लगातार संदिग्ध वस्तुएं मिलती रही हैं। इसमें मोबाइल, नशीला पदार्थ और धारदार हथियार भी मिलते रहे हैं, लेकिन इस बार यह मामला तब और बड़ा हो जाता है, जब एक आतंकी की सेल से मोबाइल और सिम मिलता है। ऐसे में जेल प्रशासन पर सवाल उठना लाजिमी है।

सबसे बड़ा सवाल ये है कि इतनी कड़ी सुरक्षा वाली सेल में मोबाइल पहुंचा कैसे और आतंकी इसका लगातार प्रयोग करता रहा। इसके बाद भी जेल प्रशासन को इसकी भनक कैसे नहीं लगी, जाहिर है इसमें कहीं न कहीं तो जेल कर्मियों की लापरवाही रही है।

पिछले साल हुई थी कैदी की हत्या

पिछले वर्ष जून में जेल संख्या आठ- नौ में मेहताब नाम के कैदी की चाकू से गोदकर हत्या कर दी गई थी। हत्या के आरोपित कैदी से प्रशासन व पुलिस ने पूछताछ की तो पता चला कि वह हत्या के इरादे से ही जेल संख्या पांच से इस जेल में आया था। उसने धातु के एक टुकड़े का जेल में इंतजाम किया और उससे चाकू बना लिया था।

 यहां बरामद होते हैं सबसे ज्यादा मोबाइल

तिहाड़ परिसर में मोबाइल बरामदगी के सबसे अधिक मामले जेल संख्या आठ- नौ में ही सामने आते हैं। वर्ष 2019 में यहां सिर्फ छह महीने में ही 57 मोबाइल मिले थे। सूत्रों की मानें तो औसतन हर सप्ताह दो मोबाइल इस जेल से बरामद होते हैं। लापरवाही का आलम यह है कि अधिकांश बरामदगी जेल प्रशासन द्वारा नहीं, बल्कि दिल्ली पुलिस द्वारा की गई छापेमारी में होती है। ऐसे में जेल कर्मियों पर जहां कैदियों से मिली भगत का आरोप लगता रहा है। वहीं जेल प्रशासन भी कठघरे में खड़ा होता रहा है।

 हालांकि, जेल प्रशासन हर बार यह कहकर पल्ला झाड़ लेता है कि जेल की दीवारें छोटी होने की वजह से सड़क से मोबाइल फेंककर कैदियों तक पहुंचाए जाते हैं। चरस व स्मैक भी कैदी के पास उपलब्धवर्ष 2018 में जेल संख्या आठ नौ में एक कैदी के पास से चरस व स्मैक की बरामदगी हुई थी। इस मामले में भी बरामदगी तब हुई थी, जब जेल प्रशासन को गुप्त सूचना से पता चला कि कैदी चरस, स्मैक का इस्तेमाल कर रहा है। पिछले वर्ष कोरोना के कारण इन मामलों में कमी देखी गई थी, लेकिन संक्रमण कम होते ही फिर से मामले बढ़ने लगे हैं।

 खूब होते हैं बवाल

यहां कैदियों के बीच गुटबाजी के मामले सामने आते रहते हैं। करीब ढाई वर्ष पूर्व इस जेल में दो गुटों के बीच विवाद इस कदर बढ़ गया था कि मारपीट में आधा दर्जन कैदी जख्मी हो गए थे। इस मामले में जेलकर्मियों को बाहर से मदद लेनी पड़ी थी।


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