बिना वीजा दिल्ली में 11 साल से रह रहा पाकिस्तानी परिवार, सुरक्षा एजेंसियों में हड़कंप
उत्तरी पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद के चौहान बांगर इलाके में पिछले 11 साल से पाकिस्तानी परिवार बिना वीजा के न केवल रह रहा है, बल्कि सरकारी सुविधाओं का लाभ भी उठा रहा है।
नई दिल्ली [शुजाउद्दीन]। पाकिस्तानी नागरिकों के भारतीय दस्तावेज बनाने के साथ ही उसे सभी सरकारी सुविधाएं मुहैया कराए जाने का सनसनीखेज मामला सामने आया है। जाफराबाद के चौहान बांगर इलाके में 11 साल से पाकिस्तानी परिवार न सिर्फ बिना वीजा के रह रहा है, बल्कि सदस्यों का आधार कार्ड, राशन कार्ड और ड्राइविंग लाइसेंस तक बना हुआ है। इतना ही नहीं, घर की मुखिया तो दिल्ली सरकार से पिछले कई वर्षों से विधवा पेंशन भी ले रही है। देश की राजधानी दिल्ली में इस तरह का मामला सामने आने से सुरक्षा एजेंसियां सकते हैं।
संपत्ति विवाद के बाद सामने आया राज
इसके बाद जाफराबाद पुलिस ने देश में अवैध रूप से रहने का मामला दर्ज कर अमीना बेगम (50) और उसके दो बेटों उमर दराज (25) व वकास (22) को गिरफ्तार कर लिया। इन सभी को कोर्ट में पेश कर न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। पुलिस उपायुक्त अतुल कुमार ठाकुर का कहना है कि कोर्ट के आदेश पर आगे की कार्रवाई की जाएगी। यह सुरक्षा एजेंसियों के भी चिंता की बात है कि कैसे पूरा परिवार देश की राजधानी में इस तरह रह रहा था? बताया जा रहा है कि परिवार में संपत्ति विवाद छिड़ा तो यह मामला सामने आया।
जानकारी के मुताबिक, अमीना बेगम जाफराबाद इलाके में ही पैदा हुई, लेकिन मां ने 19 अप्रैल 1984 को पाकिस्तान के लाहौर में रहने वाले अपने बड़े भाई के बेटे मोहम्मद नफीस से निकाह करा दिया। निकाह के बाद अमीना कई बार अपने परिजनों से मिलने भारत आई।
वीजा खत्म हुआ, लेकिन भारत में रहना जारी रहा
1996 के आसपास अमीना के पति की पाकिस्तान में हुए एक सड़क हादसे में मौत हो गई। घर का खर्च चलाना मुश्किल होने पर वह 1997 में 90 दिन का वीजा लेकर दो बेटियों आसमा, उज्मा और दो बेटों उमर दराज व वकास को लेकर चौहान बांगर में परिजनों के पास आ गई। 2007 तक उन्होंने अपना और बच्चों के वीजा की अवधि बढ़वाई, लेकिन वीजा अवधि खत्म होने के बाद भी वह अवैध रूप से रहने लगी।
दो मंजिला मकान में रहता है परिवार
जुगाड़ से सरकारी दस्तावेज बनवाए और सरकारी स्कूल में बच्चों को पढ़ाया भी। इतना ही नहीं, कुछ समय पहले दोनों बेटियों का निकाह भी इसी इलाके में करा दिया। उमर दराज के पड़ोसी जो कि उसके अच्छे दोस्त भी हैं, उन्होंने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि यह मामला संपत्ति विवाद के चलते खुला है। अगर घर में विवाद न होता तो किसी को पता ही नहीं चलता कि परिवार पाकिस्तानी है। जिस घर में उमर रहता है वह 22 गज का है और दो मंजिल बना हुआ है।
राशन कार्ड से हर महीने मिलता है राशन
पाकिस्तान से आने के बाद अमीना दोनों बेटों के साथ घर की छत पर टीन शेड डालकर रह रही है। उमर के मामू दिलशाद और अखलाक अली चाहते हैं कि किसी तरह से उनकी बहन का परिवार यह घर छोड़कर चला जाए। अखलाक ने कहा कि उनकी बहन ने कहा था कि उन्हें व बच्चों को भारतीय नागरिकता मिल गई है। बहन के नाम पर राशन कार्ड है, हर महीने वह सरकारी दुकान से राशन लेती हैं।
दिल्ली सरकार घर की मुखिया को देती है विधवा पेंशन
दिल्ली सरकार से उन्हें विधवा पेंशन भी मिलती है। अखलाक ने कहा कि एक महीने पहले उनके पिता सुल्तान अली की मृत्यु हो गई है। उन्होंने ही अपनी बेटी अमीना पर संपत्ति विवाद का केस किया था। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि अमीना और उसके दोनों बेटे यहां अवैध रूप से रहते हुए पाए गए हैं। दोनों बेटियों की जिनसे शादी हुई, वे भारतीय हैं। ऐसे में उनकी गिरफ्तारी नहीं की गई है।
रिश्तेदार ने कहा, पासपोर्ट व वीजा हो चुकी है चोरी
एक रिश्तेदार ने कहा कि कुछ वर्ष पहले अमीना के कमरे में चोरी हो गई थी। तब परिवार के सभी सदस्यों का पासपोर्ट, वीजा व अन्य कागजात चोरी हो गए। भारतीय नागरिकता पाने के लिए उन्होंने विदेश मंत्रालय में कई बार संपर्क किया। पासपोर्ट की तिथि भी खत्म हो गई थी। जब भी अमीना व अन्य सदस्यों को पुलिस भवन बुलाया गया, वे गए। उन्होंने कहा कि अमीना इसी देश में पैदा हुई हैं लेकिन उन्हें यहां की नागरिकता के लिए ही ठोकरें खानी पड़ रही हैं।
AAP के मंत्री बोले, पूर्व की सरकारों की करतूत
राजेंद्र पाल गौतम, महिला एवं बाल विकास तथा समाज कल्याण मंत्री, दिल्ली सरकार ने कहा कि पहले जो सरकारें सत्ता में थीं, उनके कार्यकाल में दलालों के माध्यम से सरकारी कागजात आसानी से बन जाते थे। मौजूदा दिल्ली सरकार ने दलालों पर नकेल कस रखी है। इस परिवार के सरकारी कागज कैसे बने, इस बारे में मैं कुछ नहीं बता पाऊंगा, क्योंकि कागजात पहले की सरकार के समय बने हैं।
पड़ोसी चाहते हैं कि भारत में ही रहे परिवार
अमीना के पड़ोसी सलमान ने कहा कि शादी के कुछ ही साल बाद अमीना बच्चों को लेकर यहां चली आई। भले ही उनकी शादी पाकिस्तान में हुई, लेकिन वह पैदा तो भारत में ही हुई। पाकिस्तान में उनका कोई नहीं है, ऐसे में उन्हें पाकिस्तान भेजना गलत है। वह अन्य पड़ोसियों के साथ मिलकर विदेश मंत्रालय जाएंगे और केंद्र सरकार से गुहार लगाएंगे कि अमीना इसी देश की बेटी है, उन्हें यहीं रहने दिया जाए। दूसरे पड़ोसी गुफरान ने कहा कि भारत हमेशा उदारवादी रहा है। अमीना को दोबारा यहां की नागरिकता मिलनी चाहिए। इस परिवार का पाकिस्तान में अब कोई नहीं है।