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हाशिमपुरा नरसंहारः 16 में से सिर्फ 4 जवानों का सरेंडर, बाकी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी

19 लोगों पर हाशिमपुरा नरसंहार का आरोप लगाया गया था। अब सिर्फ 15 लोग ही जिंदा बचे हैं। सजा पाने वाले एक शख्स का कहना है कि हमें अभी भी कोर्ट पर पूरा भरोसा है।

By JP YadavEdited By: Published: Thu, 22 Nov 2018 10:09 AM (IST)Updated: Thu, 22 Nov 2018 04:24 PM (IST)
हाशिमपुरा नरसंहारः 16 में से सिर्फ 4 जवानों का सरेंडर, बाकी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी
हाशिमपुरा नरसंहारः 16 में से सिर्फ 4 जवानों का सरेंडर, बाकी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी

नई दिल्ली/मेरठ, जेएनएन। मेरठ के हाशिमपुरा नरसंहार के मामले में 31 अक्टूबर को दिल्ली हाईकोर्ट द्वारा सजा पाने वाले 15 पीएसी जवानों में सिर्फ 4 ही दिल्ली की कोर्ट में सरेंडर करने के लिए पहुंचे, जबकि 11 के बारे में कोई सूचना नहीं है। जानकारी के मुताबिक, नीरज ला, महेश, समी उल्लाह और जयपाल ही दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में सरेंडर करने के लिए पहुंचे, जबकि 11 दोषी अब तक कोर्ट नहीं पहुंचे हैं। पुलिस ने चारों को तिहार जेल भेज दिया है। कोर्ट ने बाकी जवानों के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी किया है।

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बता दें कि दिल्ली हाई कोर्ट ने यूपी के 15 रिटायर्ड और कार्यरत पीएसी जवानों को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी। पहले कहा गया था कि सभी दोषी जवान बृहस्पतिवार (22 नवंबर) को दिल्ली की कोर्ट में आत्मसमर्पण कर सकते हैं। वहीं, यह भी जानकारी मिल रही है कि अपने बचाव और पक्ष रखने के लिए सभी दोषी सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दाखिल कर सकते हैं। बता दें कि पीएसी के जवानों पर मेरठ के हाशिमपुरा में रहने वाले 41 लोगों की हत्या करने का आरोप है। 

बता दें कि 19 लोगों पर हाशिमपुरा नरसंहार का आरोप लगाया गया था। अब सिर्फ 15 लोग ही जिंदा बचे हैं। सजा पाने वाले एक शख्स का कहना है कि हमें अभी भी कोर्ट पर पूरा भरोसा है। इसी के चलते हम दिल्ली हाईकोर्ट का फैसला आने के बाद अब सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दाखिल कर रहे हैं। अभी बहुत सारी चीज ऐसी हैं जो इस केस में छूट रही हैं। हम सभी 15 लोग वकीलों के संपर्क में हैं। दो लोगों की उम्र इस वक्त 70 से अधिक हैं तो बाकी सभी 68 वर्ष से भी कम उम्र के हैं।

हाशिमपुरा कांड में हुई 38 लोगों की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा पा चुके 16 सिपाहियों में से पांच सिपाही वर्तमान में ड्यूटी कर रहे हैं। इनमें से आगरा में तैनात एक सिपाही सजा होने से पहले ही गैरहाजिर हो चुका है। वहीं, चार अन्य सिपाहियों के बारे में पता लगाया जा रहा है। इन सिपाहियों को 22 नवंबर तक तीस हजारी कोर्ट में सरेंडर करना है। यदि सरेंडर नहीं करते हैं तो अदालत उनकी गिरफ्तारी के आदेश जारी कर सकती है।

सजा पाए सिपाहयोंं में से 11 हाेे चुके रिटायर

दरअसल दिल्‍ली हाई कोर्ट से सजा पाने वाले 16 सिपाहियों में से 11 सिपाही रिटायर हो चुके हैं। वहीं, पांच सिपाही महेश कुमार, शमीउल्ला, जयपाल, हमबीर, श्रवण कुमार अभी भी अलग अलग स्थानों पर ड्यूटी कर रहे हैं। इनमे से एक सिपाही हमबीर सिंह आगरा में ट्रैफिक विभाग में सिपाही के पद पर नौकरी कर रहा था। वारदात के समय वह पीएसी में सिपाही था, लेकिन 1990 में वह उत्तर प्रदेश पुलिस में ट्रांसफर होकर आ गया था। आगरा के ट्रैफिक इंस्पेक्टर सतीश राय ने बताया कि हमबीर उनके साथ काम करता था।

वह 15 दिन की छुट्टी लेकर गया था, लेकिन उसकी छुट्टी का समय खत्म हो चुका है। अभी तक भी नहीं आया है। सतीश राय का कहना है कि पिछले 15 दिन से वह गैर हाजिर चल रहा है। वहीं, लखीमपुर खीरी में तैनात श्रवण कुमार भी छुट्टी गया हुआ था, लेकिन वह छुट्टी काटने के बाद वापस अपनी ड्यूटी पर लौट आया है।  


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