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5.6 लाख भारतीयों का फेसबुक डाटा हुआ लीक, जिम्मेदार कोई और नहीं, हम खुद

फेसबुक के नियम में साफ लिखा है कि आपका डाटा किसी थर्ड पार्टी से साझा हो सकता है।

By JP YadavEdited By: Published: Fri, 06 Apr 2018 12:21 PM (IST)Updated: Sun, 08 Apr 2018 09:57 AM (IST)
5.6 लाख भारतीयों का फेसबुक डाटा हुआ लीक, जिम्मेदार कोई और नहीं, हम खुद
5.6 लाख भारतीयों का फेसबुक डाटा हुआ लीक, जिम्मेदार कोई और नहीं, हम खुद

नई दिल्ली (मनु त्यागी)। देशभर में शोर मचा है कि डाटा लीक हो गया। यह डाटा लीक नहीं, बल्कि डाटा के दुरुपयोग का मामला है। और इसके लिए कहीं न कहीं हम खुद भी जिम्मेदार हैं। साइबर विशेषज्ञों की मानें तो देशभर में बमुश्किल एक फीसद लोग ही होंगे जो किसी भी एप्लीकेशन को डाउनलोड करते समय उससे जुड़े नियम पढ़ते हैं।

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न करें अनदेखी
फेसबुक के नियम में साफ लिखा है कि आपका डाटा किसी थर्ड पार्टी से साझा हो सकता है। इस नियम की अनदेखी कर हम खुद ही अपने डाटा का गलत इस्तेमाल होने का रास्ता साफ करते हैं। ऐसे में आवश्यक यह है कि हम स्वयं सतर्क रहें और पूर्वाग्रह युक्त अथवा भ्रामक संदेशों व विज्ञापनों का शिकार होने से बचें।

हो रहा है मैन टू मैन विज्ञापन
साइबर विशेषज्ञ कहते हैं कि सावधानी ही एकमात्र उपाय है। हम अपनी हर छोटी से छोटी निजी समस्या को सोशल साइट्स पर लिखते हैं, साझा करते हैं या किसी भी चीज के बारे में बार-बार सर्च करते हैं तो इन छोटी-छोटी बातों का भी आकलन कर उसका दुरुपयोग किया जा सकता है। उदाहरण के तौर पर यदि कोई बेरोजगार है। उसने फेसबुक पर अपनी व्यथा अभिव्यक्त की तो उसके एकाउंट पर उसके आसपास के इलाके में सक्रिय नेताओं के विज्ञापन आने लगेंगे कि हमारी पार्टी को वोट दें, हम आपको रोजगार दिलाएंगे। राजनीतिक पार्टियां जिस तरह से डोर टू डोर कैंपेन करती थीं या जिले की समस्याओं को अपना एजेंडा बनाती थीं, यहां मैन टू मैन वोट जुटाने के लिए व्यक्ति विशेष के अनुसार विज्ञापन अथवा संदेश बनाकर उस तक पहुंचाए जाते हैं। इसी तरह से कमर्शियल ई-विज्ञापन भी चिन्हित उपभोक्ताओं को टारगेट कर उन तक पहुंचाए जाते हैं।

मानवीय भूल से भी होता है डाटा चोरी

कंप्यूटर क्षेत्र की दिग्गज अमेरिकी कंपनी आइबीएम ने साइबर सिक्योरिटी से संबंधित एक नई रिपोर्ट में डाटा चोरी के लिए मानवीय भूल को जिम्मेदार पाया है। 2018 आइबीएम एक्स-फोर्स थ्रेट इंटेलीजेंस इंडेक्स रिपोर्ट के हवाले से गुरुवार को आइबीएम ने कहा कि 2017 में क्लाउड (ऑनलाइन स्टोरेज) संबंधित साइबर हमलों में जहां 424 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। वहीं, डाटा चोरी के मामलों में 25 फीसद की कमी आई है। रिपोर्ट के अनुसार साइबर अपराधियों ने अब अपना ध्यान रैनसमवेअर वायरस जैसे घातक साइबर हमले की तरफ केंद्रित कर लिया है। अब वे डाटा अपने पास स्टोर ही नहीं करते बल्कि उसे लॉक (जिसका कोई प्रयोग न कर सके) या डिलीट कर देते हैं।

कंप्यूटर की गलत सेटिंग से डाटा चोरी
आइबीएम के तकनीकी विशेषज्ञ वेंडी व्हिटमोर ने कहा कि,‘2017 में साइबर अपराधियों ने 2.9 अरब रिकॉर्ड की सुरक्षा में सेंध लगाई जबकि 2016 में चार अरब रिकॉर्ड साइबर अपराधियों के निशाने पर थे।’ वेंडी ने कहा, कंप्यूटर सिस्टम की सही सेटिंग का न होना भी सुरक्षा में सेंध लगने का प्रमुख कारण है। 70 फीसद मामलों में क्लाउड कंप्यूटर प्रणाली की गलत सेटिंग की वजह से ही साइबर अपराधी डाटा चोरी करने में कामयाब होते हैं। 2017 में वनाक्राइ, नोटपेट्या और बैड रैबिट जैसे वायरस ने दुनिया भर के कई उद्योग इकाइयों को नुकसान पहुंचाया। इनमें सबसे ज्यादा हमले बैंकिंग इंडस्ट्री पर किए गए थे। एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2017 में पूरी दुनिया के उद्योगों को अकेले रैनसमवेअर वायरस ने आठ सौ करोड़ डॉलर (करीब 52 हजार करोड़ रुपये) का नुकसान पहुंचाया है।

कैसे दुरुपयोग होता है डाटा का
किसी भी एजेंसी-कंपनी द्वारा लोगों के ई-मेल, मोबाइल नंबर, उनकी रुचि, निवास स्थान आदि जानकारी जुटा ली जाती है। अब आप सोचेंगे इसका वे क्या करते हैं? हाल ही चर्चा में आई इलेक्शन कैंपेन करने वाली कंपनी कैंब्रिज एनालिटिका (सीए) ने खुद कहा कि इन जानकारियों के जरिये लोगों के बदलते व्यवहार, उनके रुझान का आकलन कर अपने क्लाइंट को चुनाव जिताने में मददगार डाटा विश्लेषण के साथ उपलब्ध कराया जाता है। साइबर विशेषज्ञ अनुज अग्रवाल बताते हैं कि हम फेसबुक सहित अन्य सोशल साइट्स पर बहुत मजे से कमेंट्स, पोस्ट को लाइक करते चले जाते हैं। इसी में इन कंपनियों के विज्ञापन छिपे रहते हैं। 

5.62 लाख भारतीयों के डाटा लीक की आशंका
फेसबुक ने मान लिया है कि कैंब्रिज एनालिटिका (सीए) से डाटा साझा करने में करीब 5.62 लाख भारतीयों का डाटा शामिल होने की आशंका है। सोशल मीडिया की इस दिग्गज कंपनी ने माना कि उसने 8.70 करोड़ लोगों का डाटा सीए के साथ साझा किया था।

फेसबुक ने गुरुवार को स्वीकार किया कि 8.70 करोड़ लोगों में से करीब 7.80 करोड़ यूजर्स अमेरिका के हैं। इंडोनेशिया और ब्रिटेन के भी करीब 10-10 लाख लोगों की जानकारी फेसबुक ने सीए को दी थी। सरकार के नोटिस के जवाब में फेसबुक ने कहा है कि केवल 335 भारतीय ही सीधे तौर पर प्रभावित हुए हैं क्योंकि उन्होंने ग्लोबल साइंस रिसर्च लिमिटेड द्वारा विकसित माइडिजिटललाइफ नामक एप को डाउनलोड किया था। इसके जरिये सीए ने डाटा हासिल किया था। भारत में फेसबुक के करीब 20 करोड़ यूजर्स हैं।

इलेक्ट्रॉनिक व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रलय के अधिकारियों ने फेसबुक का जवाब मिलने की पुष्टि की है। मंत्रलय के एक अधिकारी ने बताया कि सरकार ने सीए से छह सवालों के जवाब मांगे हैं, जिससे यह पता चलेगा कि उसने भारतीयों के डाटा का किस प्रकार इस्तेमाल किया।

फेसबुक के मुख्य तकनीकी अधिकारी माइक श्रइफर ने कहा है कि लोग आसानी से एप को अपनी निजी जानकारी लेने की अनुमति दे देते हैं। इसलिए एप को जानकारी देते वक्त हमें सावधान रहना चाहिए। फेसबुक का कहना है कि वह ऐसी व्यवस्था बनाने जा रहे हैं जहां एप यूजर की व्यक्तिगत जानकारी जैसे धार्मिक या राजनीतिक विचार, रिलेशनशिप स्टेटस, दोस्तों की संख्या, शिक्षा और काम की जानकारी, स्वास्थ्य, किताब पढ़ने, संगीत, न्यूज, खेल, वीडियो संबंधी जानकारी न मांगी जाए।


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