Kisan Andolan: राकेश टिकैत के जाते ही फीका पड़ जाता है यूपी गेट पर आंदोलन, जानें- बाकी तीनों बार्डर का हाल
Kisan Andolan दिल्ली-यूपी के गाजीपुर बार्डर पर भारतीय किसान यूनियन राकेश टिकैत की अगुवाई में चल रहा किसानों का धरना प्रदर्शन एक बार फिर फीका पड़ गया है। कमोबेश ऐसी ही स्थिति टीकरी सिंघु और शाहजहांपुर पर भी है।
नई दिल्ली/गाजियाबाद, आनलाइन डेस्क। तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को पूरी तरह से वापस लेने की मांग को लेकर किसानों का आंदोलन जारी है। दिल्ली-एनसीआर के चारों बार्डर (सिंघु, टीकरी, गाजीपुर और शाहजहांपुर) पर किसान पूर्व की तरह डटे हुए हैं और धरना खत्म करने को तैयार नहीं हैं। इस बीच आगामी 26 नवंबर को यूपी, पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसानों के आंदोलन को एक साल पूरा हो जाएगा। बावजूद इसके दिल्ली बार्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसानों में कोई हलचल नहीं है। ऐसा लग रहा है कि जैसे वे प्रदर्शन के लिए अभ्यस्त हो गए हैं। यहां पर बने मंच पर भी कई दिनों तक कोई भाषण नहीं होता है।
यूपी गेट पर सिर्फ राकेश टिकैत के आने पर होती है हरकत
इस बीच दिल्ली-यूपी के गाजीपुर बार्डर पर भारतीय किसान यूनियन राकेश टिकैत की अगुवाई में चल रहा किसानों का धरना प्रदर्शन एक बार फिर फीका पड़ गया है। कमोबेश ऐसी ही स्थिति टीकरी, सिंघु और शाहजहांपुर पर भी है। बताया जा रहा है कि धान की फसल की कटाई के चलते किसान धरना प्रदर्शन से दूरी बनाए हुए हैं, इसलिए चारों बार्डर पर प्रदर्शन बेहद फीका पड़ गया है।
आंदोलन के प्रति बेरुखी है सबसे बड़ी वजह
किसान आंदोलन के फीका पड़ने के पीछे सबसे बड़ी इसके प्रति आम लोगों के साथ बहुत से किसानों की बेरुखी है। कहने को यह किसान आंदोलन एक साल पूरा करने जा रहा है, लेकिन नतीजा नहीं निकलने से लोग अब दूरी बनाने लगे हैं। लोगों का कहना है कि 350 दिन बाद भी किसान आंदोलन किसान अंजाम पर नहीं पहुंचा है। लोगों को लगने लगा है कि किसान नेता अब अपनी राजनीतिक चमकाने के लिए ही यह आंदोलन जिंदा किए हुए हैं।
दरअसल, भाकियू नेता राकेश टिकैत की गैरमौजूदगी में किसान आंदोलन में सुस्ती आ जाती है। गौरतलब है कि एक पखवाड़े तक राकेश टिकैत उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में रहेंगे। इस बीच आगामी 22 नवंबर को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक बड़ी महापंचायत प्रस्तावित है। ऐसे में राकेश टिकैत के यूपी गेट से नदारद रहने से यहां पर अभी से वीरानी छा गई है। गाजीपुर बार्डर पर सिर्फ कुछ किसान ही प्रदर्शन कर रहे हैं।
राकेश टिकैत पहले ही कह चुके हैं कि अगली महापंचायत 22 तारीख की लखनऊ में रखी गई है। इसमें कई मामले हैं, लखीमपुर खीरी में घायल किसानों को 10 लाख रुपये देने की बात कही गई थी। नौकरी की बात की गई थी, वह भी नहीं हुआ। अजय टेनी की गिरफ्तारी की बात हुई थी, लेकिन वह भी नहीं हो पाया। यह सब मुद्दे इस महापंयायत उठाए जाएंगे।
गौरतलब है कि पिछले दिनों भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने ट्वीट किया था- '22 नवंबर को लखनऊ में होने वाली किसान महापंचायत ऐतिहासिक होगी। एसकेएम की यह महापंचायत किसान विरोधी सरकार और तीन काले कानूनों के ताबूत में आखिरी कील साबित होगी। अब 'अन्नदाता' का आंदोलन पूर्वांचल में भी तेज करेंगे।'
लगेंगे पोस्टर
उधर, राकेश टिकैत ने यूपी गेट किसानों के प्रदर्शन को लेकर कहा कि यहां हमारे तीन गेट काम कर रहे हैं। इससे काम नहीं चलने वाला है। पक्की किलेबंदी और अपनी चौकियां बनानी पड़ेंगी। उन पर युवाओं की छह-छह घंटे की ड्यूटी रहेगी। वह पूरी तरह से मुस्तैद रहेंगे। उनकी अनुमति के बिना कोई प्रदर्शन स्थल पर आ-जा नहीं सकेगा। उन्होंने कहा कि यहां पर तीनों कृषि कानूनों की खामियां लिखे पोस्टर लगाए जाएंगे।