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संरक्षा कर्मचारियों की कमी से हो रहे हैं रेल हादसे: एनआरएमयू

मिश्रा ने यह भी कहा कि ट्रैक मरम्मत का कार्य ठेके पर कराना उचित नहीं है। ठेकेदार के कर्मचारियों को इसका अनुभव नहीं होता है। इससे रेल हादसे का खतरा बना रहता है।

By Amit MishraEdited By: Published: Wed, 04 Oct 2017 09:31 AM (IST)Updated: Wed, 04 Oct 2017 09:31 AM (IST)
संरक्षा कर्मचारियों की कमी से हो रहे हैं रेल हादसे: एनआरएमयू
संरक्षा कर्मचारियों की कमी से हो रहे हैं रेल हादसे: एनआरएमयू

नई दिल्ली [जेएनएन]। कर्मचारी यूनियन ने रेल हादसों के लिए रेल प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया है। कर्मचारी नेताओं का आरोप है कि संरक्षा कर्मचारियों की कमी और समय पर पटरी की मरम्मत नहीं होने की वजह से रेल हादसे हो रहे हैं। इसलिए कर्मचारियों की कमी दूर करने के साथ ही पटरियों की मरम्मत के लिए आवश्यक सामग्री समय पर उपलब्ध कराने की जरूरत है। सोमवार से शुरू हो रहे नॉर्दन रेलवे मेंस यूनियन (एनआरएमयू) के दो दिवसीय अधिवेशन में भी यह मुद्दा उठाया जाएगा।

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रेल हादसे चिंता की बात

यूनियन के महासचिव शिव गोपाल मिश्रा ने कहा कि लगातार हो रहे रेल हादसे चिंता की बात है। सुरक्षित रेल संचालन रेलवे कर्मचारियों की जिम्मेदारी है। इसलिए किसी भी सूरत में उन्हें रेल परिचालन में शार्टकट नहीं अपनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि रेल परिचालन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले लगभग डेढ लाख कर्मचारियों के पद रिक्त हैं। वहीं, लगभग 30 लाख कर्मचारी अधिकारियों के घरों में काम कर रहे हैं। इससे संरक्षा का काम प्रभावित हो रहा है। इसलिए रिक्त पदों को भरने के साथ ही अधिकारियों के घरों में तैनात कर्मचारियों को उनके मूल काम में लगाना चाहिए। इस दिशा में रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ने निर्देश भी जारी किया है।

पर्याप्त मात्रा में रेल पटरी नहीं है

शिव गोपाल ने कहा कि ट्रैक बदलने के लिए पर्याप्त मात्रा में रेल पटरी नहीं है। इससे समय पर क्षतिग्रस्त ट्रैक को बदलने में परेशानी आती है, यह समस्या दूर होनी चाहिए। रेल मंत्री पीयूष गोयल ने नया ट्रैक बिछाने की जगह मरम्मत कार्य के लिए पटरी की आपूर्ति को वरीयता देने का निर्देश दिया है। इससे स्थिति सुधरने की उम्मीद है।

मरम्मत का कार्य ठेके पर कराना उचित नहीं

मिश्रा ने यह भी कहा कि ट्रैक मरम्मत का कार्य ठेके पर कराना उचित नहीं है। ठेकेदार के कर्मचारियों को इसका अनुभव नहीं होता है। इससे रेल हादसे का खतरा बना रहता है। अगस्त महीने में मुज्जफरनगर के खतौली में हुए रेल हादसे में बिना किसी के जांच के 14 रेल कर्मियों को बर्खास्त करना गलत था जिसका यूनियन ने भी विरोध किया था। संरक्षा आयुक्त की जांच में भी उनकी कोई गलती नहीं मिली है। भविष्य में कर्मचारियों के खिलाफ इस तरह की कार्रवाई नहीं होनी चाहिए।

उन्होंने बताया कि बुधवार से दिल्ली के किशनगंज में यूनियन का दो दिवसीय अधिवेशन होने जा रहा है जिसमें संरक्षा के साथ ही कर्मचारियों के हितों पर चर्चा होगी। रेलवे में निजीकरण का विरोध किया जाएगा। इस मौके पर अन्य कर्मचारी नेता मौजूद थे। 

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