नई दिल्ली, जागरण संवाददाता। जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) अपने परिसर में यौन उत्पीड़न के मामलों को रोकने के लिए काउंसलिंग पर जोर देगा। जनवरी से हर माह सेशन आयोजित किया जाएगा। इसके माध्यम से छात्राओं को जागरूक किया जाएगा। हालांकि छात्र संगठनों ने दिशानिर्देश की भाषा पर आपत्ति जताते हुए कहा कि इसकी भाषा छात्राओं को ही दोषी मानने की प्रवृति पर आधारित है।
जेएनयू प्रशासन ने बताया कि आंतरिक शिकायत समिति ने जारी दिशानिर्देश में कहा है कि परिसर में सामने आए हालिया मामलों में आरोपी घनिष्ट मित्र थे। लड़के आमतौर पर (कभी जानबूझकर या अनजाने में) दोस्ती और यौन उत्पीड़न के बीच की रेखा लांघ जाते हैं। लड़कियों को यह जानना चाहिए कि वे ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए (खुद और अपने पुरुष दोस्तों के बीच) एक वास्तविक रेखा कैसे खींचें।
पुरुष दोस्तों से उचित दूरी बनाकर रखी जाए। जेएनयू प्रशासन ने कहा कि यह काउंसलिंग पूरी तरह ऐच्छिक होगी। छात्राओं को 17 जनवरी तक आनलाइन पंजीकरण करवाना होगा। वहीं जेएनयू छात्रा आयशी घोष ने कहा कि दिशानिर्देश की भाषा छात्राओं को उचित दूरी बनाने की सलाह देती है। पीडि़ता को ही दोषी मान लिया गया है। इससे छात्राओं के लिए जेएनयू असुरक्षित बन जाएगा।
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