Move to Jagran APP

अब ब्लड सैंपल से हो सकेगी अल्जाइमर की जांच, दिल्ली AIIMS के डॉक्टरों ने की खून में नए बायो मार्कर की पहचान

एम्स के डाक्टरों ने ब्लड में एक नए बायो मार्कर सर्टुइन्स प्रोटीन की पहचान की है। ब्लड सैंपल में इसकी जांच से अल्जाइमर बीमारी की पहचान हो सकेगी। इससे जल्दी इलाज शुरू कर बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकेगा।

By Ranbijay Kumar SinghEdited By: Abhi MalviyaPublished: Fri, 26 May 2023 10:46 PM (IST)Updated: Fri, 26 May 2023 10:46 PM (IST)
अब ब्लड सैंपल से हो सकेगी अल्जाइमर की जांच, दिल्ली AIIMS के डॉक्टरों ने की खून में नए बायो मार्कर की पहचान
एम्स के डॉक्टरों का दावा है कि इस शोध से अल्जाइमर की जांच आसान हो जाएगी।

नई दिल्ली, राज्य ब्यूरो। एम्स के डाक्टरों ने ब्लड में एक नए बायो मार्कर सर्टुइन्स प्रोटीन की पहचान की है। ब्लड सैंपल में इसकी जांच से अल्जाइमर बीमारी की पहचान हो सकेगी। इससे जल्दी इलाज शुरू कर बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकेगा। एम्स के डॉक्टरों का दावा है कि इस शोध से अल्जाइमर की जांच आसान हो जाएगी।

loksabha election banner

एम्स के बायोफिजिक्स, जेरियाट्रिक मेडिसिन व न्यूरोलाजी के डॉक्टरों ने मिलकर यह अध्ययन किया है। बायोफिजिक्स विभाग की विशेषज्ञ डॉ. शर्मिष्ठा ने बताया कि बुढ़ापे सामने आने वाली यह बीमारी पहचान में आने से 14-15 वर्ष पहले शुरू हो जाती है, लेकिन इसकी पहचान तब हो पाती है जब बीमारी एडवांस स्टेज में पहुंच चुकी होती है।

मौजूदा समय में ऐसे होती है जांच

मौजूदा समय में इसकी जांच के लिए एमआरआई, पेट (पाजिट्रॉन एमिशन टोमोग्राफी) स्कैन या रीढ़ की हड्डी से फ्लूइड लेकर जांच की जाती है। इन तकनीकों से शुरुआती चरण में बीमारी पहचान संभव नहीं है। इसके अलावा रीढ़ की हड्ड़ी से फ्लूइड का सैंपल लेना आसान नहीं होता।

वहीं, एमआरआई व पेट स्कैन जांच महंगी होती हैं। बीमारी के सही समय पर निदान के लिए इसकी जल्दी पहचान होना जरूरी है। इसके मद्देनजर तीन वर्षों से जांच की तकनीक पर शोध चल रहा था। इस दौरान ब्लड में सर्टुइन्स प्रोटीन पाया गया।

अल्जाइमर के करीब 100 मरीजों पर किए गए शोध पर यह बात सामने आई है कि अल्जाइमर होने पर ब्लड में सर्टुइन्स की मात्रा कम होने लगती है। ब्लड मेंं मौजूद इसकी मात्रा के अनुसार बीमारी की गंभीरता का भी पता किया जा सकता है। इस आधार पर अब आगे अल्जाइमर का इलाज तलाशने के लिए भी शोध किया जा रहा है। यदि मरीजों के ब्लड में इस प्रोटीन का स्तर बढ़ जाए तो इस बीमारी का इलाज भी हो सकता है।

रिपोर्ट इनपुट- रणविजय सिंह


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.