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आखिर क्यों आशीष खेतान ने केजरीवाल से बनाई दूरी, पढ़ें- इसकी इनसाइड स्टोरी

आशीष खेतान ने पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल को 15 अगस्त को ई-मेल से निजी कारणों का हवाला देते हुए इस्तीफा भेजा है। हालांकि केजरीवाल अभी उन्हें मनाने की कोशिशों में जुटे हैं।

By JP YadavEdited By: Published: Wed, 22 Aug 2018 08:24 AM (IST)Updated: Thu, 23 Aug 2018 12:45 AM (IST)
आखिर क्यों आशीष खेतान ने केजरीवाल से बनाई दूरी, पढ़ें- इसकी इनसाइड स्टोरी
आखिर क्यों आशीष खेतान ने केजरीवाल से बनाई दूरी, पढ़ें- इसकी इनसाइड स्टोरी

नई दिल्ली (जेएनएन)। दिल्ली में सत्तासीन आम आदमी पार्टी (AAP) सरकार के मुखिया अरविंद केजरीवाल को एक सप्ताह के भीतर लगातार दूसरा बड़ा झटका लगा है। AAP के वरिष्ठ नेता और पेशे से पत्रकार रहे आशीष खेतान ने भी पार्टी से दूरी बना ली है। आशीष खेतान ने पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल को 15 अगस्त को लिखे ई-मेल से निजी कारणों का हवाला देते हुए 'इस्तीफा' भेजा है। वहीं, दूसरी ओर बताया जा रहा है कि केजरीवाल अभी उन्हें मनाने में जुटे हुए हैं।

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...इसलिए खफा हुए आशीष खेतान
बताया जा रहा है कि कुछ दिनों पहले दिल्ली डायलॉग कमीशन के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा देने वाले आशीष खेतान नई दिल्ली लोकसभा सीट से दोबारा चुनाव लड़ना चाहते हैं, जबकि पार्टी किसी नए चेहरे को उतारना चाहती है। इसी वजह से आशीष खेतान ने आम आदमी पार्टी से दूरी बनाई है। इस इस्तीफों को एक दबाव के तौर पर भी देखा जा रहा है। 

 

उधर, आशीष खेतान के करीबियों का कहना है कि वे कानून की उच्च शिक्षा के लिए विदेश जाना चाहते हैं और इसी कारण उन्होंने इस्तीफा दिया है। यह भी बात सामने आ रही है कि वकालत करने के लिए ही उन्होंने दिल्ली डायलॉग कमीशन से इस्तीफा दिया था। केजरीवाल के हवाले से यह बात सामने आई है कि के चाहते हैं कि पढ़ाई करने के लिए आशीष खेतान पार्टी से छुट्टी ले लें और पढ़ाई पूरी होने के बाद वापस पार्टी के काम में जुट जाएं।

राहुल मेहरा की वजह से खड़ा हुआ बखेड़ा
AAP सूत्रों की मानें तो दिल्ली सरकार के वरिष्ठ वकील और पार्टी के वरिष्ठ नेता-प्रवक्ता राहुल मेहरा को आशीष खेतान के स्थान पर नई दिल्ली लोकसभा सीट से उतरने की चर्चा गरम है। इसे भी नाराजगी की एक वजह बताया जा रहा है। 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में नई दिल्ली सीट पर अशीष खेतान को 2.9 लाख वोट मिले थे और वे  भाजपा की मीनाक्षी लेखी से 1.6 लाख वोट से हार गए थे, जबकि कांग्रेस के अजय माकन 1.82 लाख वोट पाकर तीसरे स्थान पर रहे थे।

आशीष खेतान और आशुतोष में एक चीज कॉमन
आशीष खेतान को मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल का विश्वासपात्र माना जाता है। खेतान ने 2014 के लोकसभा चुनाव में AAP के ही टिकट पर नई दिल्ली सीट से चुनाव लड़ा था। यहां पर पता दें कि AAP के वरिष्ठ नेताओं में शुमार आशुतोष के इस्तीफे का खुलासा भी 15 अगस्त को ही हुआ था और आशीष खेतान के भी 15 अगस्त को ही इस्तीफा देने के बात कही जा रही है।

आशीष खेतान डीडीसी के उपाध्यक्ष पद से भी दे चुके हैं इस्तीफा
यहां पर बता दें कि इसी साल अप्रैल महीने में उपराज्यपाल द्वारा 9 सलाहकारों की नियुक्ति रद किए जाने के बीच आम आदमी पार्टी के नेता आशीष खेतान ने दिल्ली डायलॉग कमीशन (डीडीसी) के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। इस्तीफे की जानकारी खेतान ने ट्विटर पर दी थी। उन्होंने लिखा था कि मैंने डीडीसी के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है जो 16 अप्रैल से प्रभावी है। उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा कि मैं कानूनी पेशे से जुड़ रहा हूं और दिल्ली बार में पंजीकरण करा रहा हूं, जिसकी वजह से डीडीसी से इस्तीफा देना आवश्यक है। बार काउंसिल के नियम के अनुसार कोई भी व्यक्ति वकालत करते समय निजी या सरकारी नौकरी नहीं कर सकता है।

गौरतलब है कि पत्रकारिता छोड़कर राजनीति में आए दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के बेहद करीबी आशुतोष भी AAP से इस्तीफा दे चुके हैं, हालांकि उनका भी इस्तीफा मंजूर नहीं हुआ है। उन्होंने कुछ महीने पहले ही आम आदमी पार्टी के संयोजक और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अपना इस्तीफा सौंप दिया था, लेकिन केजरीवाल ने अभी तक इसे मंजूर नहीं किया है। आशुतोष का इस्तीफा जैसे ही मीडिया की सुर्खियां बना तो सीएम केजरीवाल ने तत्काल ट्वीट कर कहा था- 'हम आपका इस्तीफा कैसे स्वीकार कर लें? ना इस जन्म में तो नहीं।'

केजरीवाल ने एक और भावुक अपील करके आशुतोष से AAP नहीं छोड़ने की अपील की है। अपने ट्वीट में केजरीवाल ने लिखा- 'सर, हम सब आपको बहुत प्यार करते हैं।' इसके साथ ही केजरीवाल ने एक पुरानी फोटो भी लगाई है, जिसमें वे आशुतोष के साथ गले मिलते नजर आ रहे हैं।

इससे पहले इस्तीफे के बाबत आशुतोष मीडिया के सामने भी आए। उन्होंने समाचार एजेंसी एएनआइ से कहा था कि AAP के साथ मेरी यात्रा खत्म हुई। मैंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। मैंने पार्लियामेंट अफेयर्स कमेटी (PAC) से गुजारिश की है कि मेरा इस्तीफा स्वीकार किया जाए। 


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