अब जर्नलों में दम नहीं तोड़ेंगे एम्स के चिकित्सकीय शोध, मरीजों को होगा लाभ, नीति तैयार
एम्स शोध द्वारा विकसित चिकित्सकीय तकनीकों को बाजार में उपलब्ध कराने के लिए स्टार्टअप इंडिया को बढ़ावा देगा। अमेरिकी संस्थानों के बाद एम्स में सबसे अधिक शोध होने की बात सामने आ चुकी है।
नई दिल्ली (राज्य ब्यूरो)। एम्स ने अपने शोधों को पेटेंट कर बाजार में उपलब्ध कराने के लिए पहल की है। इसके तहत एम्स इनोवेशन फैसिलिटेशन डिविजन का गठन किया गया है। इसके अलावा एम्स बौद्धिक संपदा अधिकार नीति लागू की गई है। एम्स के चिकित्सकीय शोध अब सिर्फ मेडिकल जर्नलों में छप कर दम नहीं तोड़ेंगे, बल्कि दूसरे अस्पतालों के मरीजों को उसका फायदा मिल सकेगा।
इलाज के तरीकों में बदलाव आने की उम्मीद
एम्स के अनुसार बौद्धिक संपदा अधिकार के ऐसे शोधों को पेटेंट कराया जाएगा जिसके इस्तेमाल से मरीजों को फायदा होगा और इलाज के तरीकों में बदलाव आने की उम्मीद हो। पेटेंट कराने के बाद कंपनियों से करार किया जाएगा, ताकि वह तकनीक दूसरे अस्पतालों व मरीजों तक पहुंच सके।
स्टार्टअप इंडिया को बढ़ावा
बताया जा रहा है कि एम्स शोध द्वारा विकसित चिकित्सकीय तकनीकों को बाजार में उपलब्ध कराने के लिए स्टार्टअप इंडिया को बढ़ावा देगा। उल्लेखनीय है कि अमेरिकी संस्थानों के बाद एम्स में सबसे अधिक चिकित्सा शोध होने की बात सामने आ चुकी है।
नैनो टेक्नोलॉजी से विकसित किया हेपेटाइटिस बी का टीका
एम्स के डॉक्टरों ने नैनो टेक्नोलॉजी से हेपेटाइटिस बी का टीका विकसित किया है, जिसका चूहों पर सफल परीक्षण किया जा चुका है। यह शोध अब तक इससे आगे नहीं बढ़ पाया है। यदि यह तकनीक उपलब्ध हो जाए तो हेपेटाइटिस बी से बचाव के लिए सिर्फ एक डोज टीका लगाने की जरूरत पड़ेगी, जबकि अभी तीन डोज टीके लगाने पड़ते हैं।
नवीनतम प्रयोग संस्थान में हुए हैं
एम्स के डॉक्टरों ने कैंसर सर्जरी, न्यूरो सर्जरी व आंखों के इलाज में कई तकनीक विकसित की है। हार्ट के मरीजों की देखभाल के लिए मोबाइल एप विकसित किया गया है। इस तरह के कई नवीनतम प्रयोग संस्थान में हुए हैं, जिसके उपलब्ध होने पर मरीजों को फायदा होगा।
शोध शुरुआती परिक्षण से आगे नहीं बढ़ पाते
एम्स में शोध तो बहुत होते हैं पर वह अपने मुकाम तक नहीं पहुंच पाते। कुछ शोध ही ऐसे होंगे जिसका इस्तेमाल होने से इलाज के तरीकों में बदलाव आया हो। ज्यादातर शोध शुरुआती परिक्षण से आगे नहीं बढ़ पाते। यहां के डॉक्टर जांच व इलाज की कोई तकनीक ढूंढ भी लें तो वह बाजार व दूसरे अस्पतालों में आसानी से नहीं पहुंचती है।