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बेरहम हुई दिल वालों की दिल्ली, ऐसे बचा सकते थे हजारों लोगों की जान

दिल्ली-एनसीआर में अंगदान की मुहिम कमजोर पड़ती दिख रही है। इसका अदांजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि पिछले साल राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में अंगदान बहुत कम हुए।

By Edited By: Published: Tue, 15 Jan 2019 12:15 AM (IST)Updated: Tue, 15 Jan 2019 01:33 PM (IST)
बेरहम हुई दिल वालों की दिल्ली, ऐसे बचा सकते थे हजारों लोगों की जान
बेरहम हुई दिल वालों की दिल्ली, ऐसे बचा सकते थे हजारों लोगों की जान

नई दिल्ली, जेएनएन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 'मन की बात' कार्यक्रम में देश के लोगों से अंगदान करने की अपील की थी। पीएम मोदी की अपील के बाद इसका खासा असर देखा गया। अंगदान की शपथ लेने वाले लोगों की संख्या अचानक बढ़ गई। अंगदान के मामले भी बढ़े। ब्रेन डेड व्यक्ति के अंगदान करने पर दूसरे शहरों से विमान से अंग लाकर दिल्ली में प्रत्यारोपित किए जाने लगे, लेकिन इस बीच दिल्ली-एनसीआर में अंगदान की मुहिम कमजोर पड़ती दिख रही है। पिछले साल दिल्ली व एनसीआर में अंगदान बहुत कम हुए। सफदरजंग अस्पताल स्थित राष्ट्रीय अंग और ऊतक प्रत्यारोपण संगठन (नोटो) का कहना है कि एक तो लोगों में जागरूकता का अभाव है। दूसरे अस्पताल के डॉक्टर भी उदासीन हैं, इसलिए अस्पतालों में अधिक अंगदान नहीं हो पा रहे हैं। ब्रेन डेड व्यक्ति के अंगदान से कई लोगों की जिंदगी बच सकती है।

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अंगदान को बढ़ावा देने और अंग प्रत्यारोपण कार्यक्रम को व्यवस्थित करने के लिए ही नोटो का गठन किया गया है। नोटो के अनुसार, वर्ष 2017 में दिल्ली-एनसीआर में 45 ब्रेन डेड व्यक्तियों के अंगदान हुए थे। इससे 78 लोगों को किडनी, 36 लोगों को लीवर और 22 को हार्ट प्रत्यारोपण हुआ था। वर्ष 2018 में यह 60 फीसद तक घट गया। पिछले साल 18 अंगदान हुए। इससे 26 किडनी, सात लीवर और सिर्फ आठ हार्ट प्रत्यारोपण लोगों को हो सके। नोटो का हेल्पलाइन नंबर भी खराब लोगों को अंगदान के प्रति जागरूक करने के लिए नोटो में हेल्पलाइन नंबर (1800114770) शुरू किया गया था। प्रधानमंत्री ने 'मन की बात'  कार्यक्रम में इस टोल फ्री हेल्पलाइन नंबर अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने की बात कही थी, ताकि लोग अंगदान से संबंधित जानकारी ले सकें। पर हालत यह है कि यह हेल्पलाइन नंबर पिछले कई महीनों से बंद पड़ा है। अंगदान कार्यक्रम पर इसका भी असर पड़ रहा है।

हेल्पलाइन संचालित करने के लिए नोटो में कॉल सेंटर बनाया गया है और इसमें 18 कर्मचारी हैं। पहले औसतन इस हेल्पलाइन पर प्रतिदिन 80 से 90 कॉल आते थे। लोग कॉल करके अंगदान के लिए रजिस्ट्रेशन कराने की प्रक्रिया की जानकारी लेते थे। इसके बाद अनेकों लोग रजिस्ट्रेशन भी कराते थे। इसके अलावा किसी भी अस्पताल में ब्रेन डेड होने पर नोटो को इसकी सूचना देना अनिवार्य है।

 हेल्पलाइन खराब होने से अस्पतालों को भी नोटो से संपर्क साधने में परेशानी हो रही है। नोटो के सूत्रों के मुताबिक, किसी अस्पताल में अंगदान होने पर यदि नोटो से संपर्क नहीं हो पाए तो दान में मिला अंग बर्बाद हो सकता है। हालांकि, अस्पतालों में अंगदान होने पर डॉक्टर दिन में नोटो के अधिकारियों के मोबाइल पर कॉल करके संपर्क कर लेते हैं, दिक्कत रात के वक्त होती है। जबकि ज्यादातर अंगदान रात के वक्त ही होता है।  नोटो के निदेशक डॉ. बसंती रमेश के अनुसार, वर्जन हेल्पलाइन की पांच लाइनें हैं, जिसमें एक लाइन ठीक काम कर रही है। चार लाइन भी जल्द ठीक करा ली जाएंगी। 


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