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नौकरी का झांसा देकर तीन हजार बेरोजगारों से ठग लिए लाखों रुपए, एक गिरफ्तार

आरोपियों ने 30 हजार रुपये में किराए पर दफ्तर ले रखा था। करीब छह माह से यहां ऑफिस खोलकर ठगी का धंधा चल रहे थे।

By Amit MishraEdited By: Published: Mon, 12 Mar 2018 08:14 PM (IST)Updated: Tue, 13 Mar 2018 08:46 AM (IST)
नौकरी का झांसा देकर तीन हजार बेरोजगारों से ठग लिए लाखों रुपए, एक गिरफ्तार
नौकरी का झांसा देकर तीन हजार बेरोजगारों से ठग लिए लाखों रुपए, एक गिरफ्तार

नोएडा [जेएनएन]। बीटेक-एमबीए व अन्य प्रोफेशनल कोर्स कर चुके युवकों को नौकरी का झांसा देकर ठगी करने वाले गिरोह का कोतवाली फेज तीन पुलिस ने पर्दाफाश किया है। आरोपी सेक्टर-72 स्थित एक बिल्डिंग में दफ्तर खोलकर ठगी का धंधा चला रहे थे और अब तक करीब तीन हजार युवकों से ठगी कर चुके थे।

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मौके से धरा गया एक आरोपी 

सोमवार को सूचना के आधार पर कोतवाली फेज तीन पुलिस ने छापेमारी कर एक आरोपी को मौके से पकड़ा। गिरोह से जुड़े तीन आरोपी फरार हैं। पकड़े गए आरोपी की पहचान गौरव निवासी सुजातपुर गोपीगंज भदोही के रूप में हुई। वह सेक्टर-73 स्थित जनता फ्लैट में रहता है और दिल्ली से हार्ड वेयर नेटवर्किंग का कोर्स कर रखा है। मौके से 16 मोबाइल फोन, दो लैपटॉप, एक सीपीयू, एक प्रिंटर, छह नोटबुक, चार बैंक पासबुक, सात एटीएम कार्ड, चार चेकबुक सहित ठगी के अन्य सामान बरामद हुए हैं।

ऐसे शुरू किया गोरखधंधा 

पुलिस के मुताबिक गौरव पहले सेक्टर-63 स्थित एक कॉल सेंटर में काम करता था। वहां भी नौकरी का झांसा देकर ठगी का धंधा चलता था। वहां वर्ष 2016 में मेरठ पुलिस ने छापेमारी कर दो संचालकों को गिरफ्तार किया था। उस दौरान गौरव को पुलिस ने कर्मचारी होने की वजह से पूछताछ के बाद छोड़ दिया था। अब उसने उसी प्रकार से ठगी का धंधा शुरू किया था। फरार आरोपियों के नाम दिनेश कुमार निवासी कानपुर, शिराज और विक्रांत गोस्वामी हैं। विक्रांत फर्जी अकाउंट इस गैंग को उपलब्ध कराता था।

30 हजार में किराए पर ले रखा था दफ्तर

क्षेत्राधिकारी ने बताया कि सेक्टर-72 स्थित ए-स्कवायर बिल्डिंग में आरोपियों ने 30 हजार रुपये में किराए पर दफ्तर ले रखा था। करीब छह माह से यहां ऑफिस खोलकर ठगी का धंधा चल रहे थे। एक नॉमी जॉब पोर्टल से डेटा चुराकर आरोपी खासकर दक्षिण भारत व दिल्ली-एनसीआर से दूर के प्रदेशों के बीटेक-एमबीए सहित अन्य प्रोफेशनल कोर्स कर चुके युवकों से संपर्क कर नौकरी का झांसा देते थे।

इसलिए शिकायत करना आसान नहीं था 

फंसने वाले युवकों से रजिस्ट्रेशन के नाम पर 16 सौ रुपये, दस्तावेज सत्यापन के नाम पर पांच हजार रुपये और फिर नियुक्ति पत्र जारी करने के नाम पर 10 हजार रुपये तक खाते में जमा कराने के बाद अपना सिम कार्ड बंद कर लेते थे। पीड़ितों के काफी दूर होने की वजह से यहां तक शिकायत नहीं पहुंचती थी।

किसी को दफ्तर में नहीं बुलाते थे 

आरोपी दफ्तर में किसी को नौकरी के लिए नहीं बुलाते थे। अब तक की जांच में पुलिस को इनके छह बैंक अकाउंट का पता लगा है। पूछताछ में पता लगा है कि गैंग पिछले करीब छह माह में 20 लाख से अधिक की ठगी कर चुका है। हालांकि इस मामले में किसी पीड़ित ने नोएडा पुलिस से अभी शिकायत नहीं की है। वहीं बैंक खाते की पड़ताल के बाद फर्जीवाड़े की सही रकम के संबंध में पता लग सकेगा। फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है और फरार आरोपियों को पकड़ने की कोशिश जारी है।

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